Tata Tiago EV User Review: सड़क पर चलती EV को देखकर कई लोग सोचते हैं- क्या इसे लेना फायदेमंद है? मसलन इसकी रनिंग कॉस्ट, मेनटेंस, चार्जिंग इंफ्रा से लेकर कंफर्ट तक तमाम सवाल लोगों के जेहन में उठते हैं. ऐसे लोगों के लिए aajtak.in लेकर आया है EV के रियल यूजर के 2 साल और 22,000 किमी का ड्राइविंग एक्सपीरियंस.
यूजर एक्सपीरिएंस जानने से पहले यह भी जान लेते हैं कि फिलहाल इंडियन मार्केट में इलेक्ट्रिक वाहनों की क्या स्थिति है. भारतीय कार बाजार तेजी से इलेक्ट्रिफाइड हो रहा है. सरकार भी लगातार इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. साल 2024 में जनवरी से दिसंबर के बीच 19.49 यूनिट (20 लाख से 51 हजार यूनिट कम) की बिक्री हुई थी. जो की साल 2023 के पूरे साल भर में बेचे गए 15.32 लाख यूनिट के मुकाबले तकरीबन 27% ज्यादा है. बिक्री के इन आंकड़ों में दोपहिया, चारपहिया, तिपहिया और बस इत्यादि सभी इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हैं.
आंकड़े ये स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि EV के प्रति लोग आकर्षित हो रहे हैं. लेकिन बिक्री में एक बड़ी हिस्सेदारी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स (11.48 लाख) की है. वहीं लगभग 6.91 लाख यूनिट तिपहिया बेचे गए हैं. लेकिन कारों की बिक्री की बात करें तो फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के अनुसार देश भर में साल 2024 में कुल 99,165 यूनिट इलेक्ट्रिक कार बेचे गए थें. जो साल 2023 में बेचे गए 82,688 यूनिट के मुकाबले थोड़ा ज्यादा हैं.
खैर, इलेक्ट्रिक की चर्चा हर तरफ जरूर हो रही है लेकिन ग्राउंड जीरों पर नज़र डालें तो कारों के मामले में अभी भी लोग थोड़ा धीमी गति से आगे बढ़ रहे हें. EV सेग्मेंट की लीडर बनी टाटा मोटर्स के पास सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक कार पोर्टफोलियो है. ऐसे में टाटा मोटर्स के एक इलेक्ट्रिक कार यूजर से यह जानने की कोशिश की है कि, पिछले 2 सालों तक टाटा टिएगो इलेक्ट्रिक कार चलाने का उनका अनुभव (User Experience) कैसा रहा है.
तो आइये खुद यूजर की जुबानी इस बात को समझते हैं-
क्या कहता है यूजर?
सितंबर 2022 के आसपास Tata ने अपनी मोस्ट अवेटेड EV Tiago की जल्द लॉन्चिंग का जोर-शोर से ऐलान किया. कंपनी ने दावा किया कि ये अब तक की सबसे सस्ती EV कार होगी और इसकी रनिंग कॉस्ट भी बाइक के बराबर होगी. विज्ञापन में बताई गई गाड़ी की कीमत, कम्फर्ट और रनिंग कॉस्ट जैसे तमाम खासियत और पहलुओं को देखते-समझते हुए मैंने इस गाड़ी को खरीदने का फैसला किया. ये मेरे परिवार की पहली इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) होने वाली थी, यहां तक कि मेरे किसी जानने वालों के पास भी इलेक्ट्रिक कार या उससे जुड़ा कोई अनुभव नहीं था.
जब खरीदी पहली EV
मैंने Tata TiagoEV XT MR (19.2 kWh बैटरी) की बुकिंग 19 अक्टूबर, 2022 को की थी. Tata की EV की प्रीलॉन्च बुकिंग थी, जिसके लिए फरवरी 2023 के बाद से डिलिवरी की बात कही गई. हालांकि, फरवरी के बाद भी कई राउंड की बातचीत और कई पापड़ बेलने के बाद डिलिवरी मुझे 4 मई, 2023 को मिली. ये गाड़ी मैंने तकरीबन 9.5 लाख (ऑनरोड ) में खरीदी. जिसके बाद मुझे 2 दिसंबर 2023 को इसपर 1 लाख की सब्सिडी मिली. इस तरह ये गाड़ी मुझे लगभग 8.5 लाख रुपये की पड़ी.
इसे लेने के बाद के शुरुआती दिन काफी मुश्किल भरे थे. इस गाड़ी को समझना मेरी सोच से काफी अलग था. ऊपर से मेरे जान-पहचान वालों में से किसी को भी इसका अनुभव नहीं था, तो जानकारी जैसी मदद की कोई उम्मीद नहीं थी. और हर बात पूछने के लिए कंपनी के शो-रूम या वर्कशॉप तक जाना या संपर्क करना भी प्रैक्टिकली पॉसिबल नहीं था. फिर भी धीरे-धीरे ही सही, पर मैं अपनी गाड़ी से दोस्ती बढ़ाता चला गया. फिलहाल खरीदने के 2 दो साल बाद ये कुल 22 हजार किमी से ज्यादा चल चुकी है.
इसका ज्यादातर इस्तेमाल ऑफिस जाने में ही करता हूं. इसके अलावा दिल्ली-एनसीआर में लोकल आने-जाने, घूमने, बाजार-हाट जैसे छोटे-छोटे कामों में भी इसका भरपूर इस्तेमाल होता है. एक तरह से मैंने इसे बाइक से रिप्लेस कर दिया है.
कैसा रहा कंफर्ट?
बात आराम की करें तो इन कारों को सिटी कार कहा जाता है, इस कसौटी पर ये गाड़ी पूरी तरह खरी उतरती है. खास तौर पर दिल्ली-NCR जैसे मेट्रो सिटी के लिए ये बहुत ही माकूल गाड़ी है. एक तो डीजल-पेट्रोल कारों के मुकाबले इसमें नॉयस और बायब्रेशन काफी कम है. साथ ही मेट्रो सिटी के ट्रैफिक में क्लच दबाने और गियर शिफ्टिंग की झंझट से पूरी तरह मुक्ति मिलती है. जो इसे एक बहुत ही ज्यादा आरामदायक गाड़ी बनाती है.
मेंटेनस पर कितना खर्च
इस गाड़ी में डीजल-पेट्रोल कारों की तुलना में थोड़े कम मैकेनिकल कंपोनेंट्स होते हैं. जो किसी भी दूसरे ICE (पेट्रोल-डीजल) वाहन की तुलना में इसके मेंटनेंस को कम करने में पूरी मदद करते हैं. साथ ही यूजर की जेब ढीली कराने में इंजन ऑइल बदलवाना सबसे अहम वजह होती ही है. वहीं, मेरी गाड़ी में मुख्यत: बॉडी के अलावा सिर्फ दो ही चीजें हैं- एक तो मोटर और दूसरी बैटरी पैक. जिससे डीजल-पेट्रोल कारों के बनिस्पत इसमें मेंटनेस काफी कम या कहें तो न के बराबर ही है.
गाड़ी तयशुदा पीरियड में कंपनी के वर्कशॉप जाती रही है. जिसमें से कुछ विजिट में 40 मिनट तो कुछ में कई घंटे लग गए, जो कि बेहतर अनुभव है. लेकिन शायद ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि कंपनी ने वर्कशॉप्स में EV के लिए अलग डिपार्टमेंट ही बना रखे हैं, जहां EV के एक्सपर्ट हैं और वे सिर्फ EV का ही काम देखते हैं.
टोटल मेंटनेंस कॉस्ट
गाड़ी खरीदने से लेकर अब तक ये कार दर्जनों बार वर्कशॉप का मुंह देख चुकी है. जिनमें से कुछ विजिट में 400 तो कुछ में 3000 रुपये तक का बिल बना है. कई बार तो 0 चार्ज किया गया. इन दो साल में मेंटनेंस (सर्वसिंग) के नाम पर मैंने 6 हजार रुपये के आसपास चुकाए हैं. EV की सर्विसिंग में वक्त-वक्त पर सॉफ्टवेयर अपडेट के साथ ही एसी फिल्टर चेंज और ब्रेक ऑइल, कूलेंट्स वगैरह टॉप-अप किए जाते हैं. मेजर सर्विसिंग में इसके अलावा व्हील अलॉयमेंट जैसे काम ही किए जाते हैं.
कंपनी ऑथराइज्ड वर्कशॉप्स पर ही जाना मजबूरी
यहां ये बता देना जरूरी है कि EV की सर्विसिंग के लिए कंपनी के ही वर्कशॉप पर ही जाना पड़ता है. क्योंकि एक तो इसके एक्सपर्ट केवल कंपनी के अधिकृत वर्कशॉप पर ही उपलब्ध हैं. फिलहाल बाहर इसके मैकेनिक या जानकार नहीं हैं. दूसरा, वक्त-वक्त पर इसके सॉफ्टवेयर अपडेशन की जरूरत होती है, जो कि केवल कंपनी के ऑथराइज्ड वर्कशॉप्स में ही हो सकता है. फिलहाल तो ये फ्री है, लेकिन हो सकता है कि भविष्य में कंपनी इसके लिए चार्ज ले. मुझे लगता है कि अगर ये काम फ्री भी हुआ तो इसके लिए हमेशा कंपनी के ऑथराइज्ड वर्कशॉप्स पर ही जाने की मजबूरी बनी रहेगी.
कितना देती है… ड्राइविंग रेंज
कंपनी ने इस मिड रेंज मॉडल की सिंगल चार्जिंग में 200 किमी की रेंज का दावा किया है, लेकिन असल में ये 150KM के आसपास ही ड्राइविंग रेंज रही है. लेकिन ये कोई फिक्स आंकड़ा नहीं है. बैटरी कंडीशन, AC का इस्तेमाल, ड्राइविंग के तरीके और ट्रैफिक जैसे फैक्टर्स का इस पर सीधा असर होता है. पर ये मान कर चलें कि अगर इसकी बैटरी 30% से नीचे दिखा रही है पहले इसे तत्काल प्रभाव से चार्ज करने की जरूरत है.
प्रति किमी रनिंग कॉस्ट
दरअसल EV की रनिंग कॉस्ट इसे चार्ज करने के माध्यम पर निर्भर करती है. इसके आधार पर ही EV की रनिंग कॉस्ट तय होती है. मेरे मामले में देखें तो मेरी गाड़ी महीने में तकरीबन 1,000 किमी चलती है और घर पर ही स्लो चार्जर के इस्तेमाल के साथ मेरा ज्यादा-से-ज्यादा 1,000 रुपये तक का बिल आता है. तो यह कह सकते हैं कि इस गाड़ी की रनिंग कॉस्ट प्रति किमी 1 रुपये से कम ही बैठती है.
नोट: ये आंकड़ा EV खरीदने से पहले और बाद के घरेलू बिजली बिल में आए फर्क के आधार पर है.
चार्जिंग के तरीके और कॉस्टिंग
किसी भी EV को चार्ज करने के 3 तरीके हैं-
1. स्लो चार्जर: कंपनी की तरफ से गाड़ी के साथ एक स्लो चार्जर दिया जाता है. ये घर पर अपने मोबाइल को चार्जर से चार्ज करने जैसा ही है. इसे घरेलू बिजली से चलाया जा सकता है. इसके लिए महज 16 एम्पीयर के सॉकेट से काम चल सकता है.
समय: इसकी मदद से गाड़ी को 10 से 100% चार्ज करने में लगभग 7-8 घंटे का वक्त लगता है.
खर्च: 1,000 किमी के आसपास की रनिंग में इस पर 1,000 रुपये से कम का बिजली बिल चुकाना होगा.
2. फास्ट चार्जर: कंपनी की तरफ से गाड़ी के साथ एक फास्ट चार्जर भी दिया जाता है. इसे घरेलू बिजली से चलाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए 3 फेस हैवी पावर लाइन की जरूरत होगी.
समय: इसकी मदद से 10 से 100% चार्ज करने में लगभग 5 घंटे के आसपास का वक्त लगता है.
खर्च: 1,000 किमी के आसपास की रनिंग में इसपर 1,000 रुपये से ज्यादा का बिजली बिल चुकाना होगा.
3. कमर्शियल हैवी DC फास्ट चार्जर: ये चार्जर पब्लिक चार्जिंग स्टेशन पर उपलब्ध होता है और इसकी मदद से आपकी कार कम समय में जल्दी चार्ज होती है.
समय: इसकी मदद से 10 से 100% चार्ज करने में लगभग 1 घंटे के आसपास का वक्त लगता है.
खर्च: 18.49 रुपये प्रति KWh के आसपास
हालांकि DC फास्ट चार्जर जो पब्लिक के लिए उपलब्ध होते हैं वो पूरी तरह कमर्शियल होते हैं. इसलिए इससे चार्ज करना काफी महंगा है. खासतौर पर ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस कंपनी/वेंडर का चार्जर इस्तेमाल कर रहे हैं और कितना KWh कंज्यूम कर रहे हैं. इसके लिए 18.49 रुपये प्रति KWh के आसपास ( मान के चलिए इससे ज्यादा ही) चार्ज किया जाता है. साथ ही इसपर 18% GST चार्ज भी अलग से लगाया जाता है.
मौटे तौर पर कहा जाए तो आपको एक फुल चार्जिंग (10-20% से 100%) के लिए 350 रुपये के आसपास चुकाने होते हैं.
नोट- ये सारा हिसाब Tata TiagoEV के मिड वेरिएंट XT MR (19.2 kWh बैटरी-पैक के 79.06 हॉर्स पॉवर मॉडल) के अनुभव के आधार पर है.
कुछ ख़ास बातें जिन पर ध्यान देना जरूरी
रिजर्व पार्किंग और उसमें पावर कनेक्शन कितना जरूरी?
अगर आप हाईराइज बिल्डिंग में रहते हैं और आपके पास रिजर्व पार्किंग नहीं है (अगर रिजर्व पार्किंग है, लेकिन उसमें चार्जर के लिए बिजली कनेक्शन नहीं है न आपकी सोसायटी के मैनेजमेंट की दया से ऐसा मुमकिन होता नजर आ रहा है) तो इलेक्ट्रिक कार के साथ आपकी मुश्किलें बढ़ सकती है. अगर आप ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं और उसमें बिना सिरदर्द गाड़ी पार्क और चार्ज की सुविधा है. या अपार्टमेंट में रहते हैं और आपकी रिजर्व पार्किंग में चार्जिंग फैसिलिटी है तो आपके लिए ये एक बेहतर खरीदारी साबित होगी.
पब्लिक चार्जिंग स्टेशन से ही चार्ज करना कितना मुश्किल?
बहुत से लोगों को EV खरीदने से पहले ये खुशफहमी होती है कि पब्लिक चार्जिंग स्टेशन से ही गाड़ी चार्ज कर लेंगे, हमें अपने पर्सनल चार्जर के सेटअप की क्या जरूरत? लेकिन ये वाला ऑप्शन काफी सिरदर्दी वाला है. एक तो अपनी सुविधानुसार चार्जिंग पॉइंट ढ़ूंढो. फिर वहां चार्जिंग पर पहले से ही कोई गाड़ी हो तो वेट करना होगा. उसके बाद वहां चार्जिंग पूरे होने तक वेट करना बिलकुल भी आसान नहीं होता है.
केलकुलेटेड डिस्टेंस में ही कर सकते हैं रन?
इलेक्ट्रिक कार लेने वाले ये बात अच्छे से पल्ले बांध लें कि इसमें वे हमेशा एक केलकुलेटेड डिस्टेंस में ही रन कर सकते हैं. यानी नॉनईवी के मुकाबले ईवी में फर्राटा भरने के लिए वो आजादी नहीं होती है. अगर आप किसी ऐसे सफर में हैं, जिसमें ईवी चार्जिंग पॉइंट को लेकर अनिश्चितता है तो आपके मन में एक डर बना ही रहेगा.
EV किन लोगों के लिए ज्यादा बेहतर?
मौजूदा हालात और चार्जिंग इंफ्रा को देखते हुए इलेक्ट्रिक कारें उन लोगों के लिए ज्यादा बेहतर है, जिनके पास पहले से कोई ICE (पेट्रोल-डीजल) है. जिससे लॉन्ग ड्राइव या लंबी दूरी के सफर के लिए इस्तेमाल किया जा सके और ईवी को सिटी राइड कार के तौर पर. हालांकि, लॉन्ग रेंज वाली इलेक्ट्रिक कारें इस समस्या का एक बेहतर समाधान देती है, लेकिन उसके लिए ऐसे मॉडलों की मौजूदा कीमतों पर गौर करें तो अच्छी-खासी जेब ढीली करनी पड़ेगी.
EV चार्जिंग पॉइंन्ट्स की अवेलिबिलिटी का हाल
जब आप गाड़ी खरीदने जाते हैं तो ईवी के चार्जिंग पॉइंन्ट्स की अवेलिबिलिटी को लेकर मन में सवाल होते हैं. ऐसे में डीलर कुछ ऐप दिखाते हुए आपके आसपास या इस्तेमाल किए जाने वाले रूट (शॉर्ट हो या लॉन्ग) पर चार्जिग पॉइंन्ट्स की फ्रीक्वेंसी दिखाते हैं. लेकिन हकीकत में कई बार होता ये है कि ऐप्स पर दिखाए जा रहे चार्जिंग प्वाइंट पर आप पहुंचते हैं तो पता चलता है कि वह चालू हालत में ही नहीं हैं या खराब पड़े हुए हैं. कुछ जगहों पर चार्जिंग गन का नोजल आपकी गाड़ी के कम्पेटिबल नहीं होता, कुछ जगहों पर ये स्टेशन पब्लिक न होकर प्राइवेट होते हैं, यानी किसी खास ग्रुप/कंपनी के लिए ही व्हीकल चार्जिंग सुविधा उपलब्ध होती है.
कैसे बेहतर हो सकती है तस्वीर?
जैसा कि सरकार भी ईवी को बढ़ावा देने के लिए ज्यादा-से-ज्यादा चार्जिंग प्वाइंट्स मुहैया कराने की बात कहती आई हैं. 2022 के बाद ईवी की सेल में आई अभूतपूर्व तेजी के साथ ही दावे किए गए कि मॉल, सोसायटीज, ऑफिसों, पब्लिक पार्किंग स्पेसेस और पेट्रोल पंप्स पर चार्जर लगाए जाएंगे. लेकिन आज सालों बाद भी हकीकत इन दावों से कोसों दूर है और तस्वीर बिल्कुल भी उलट ही है. इस मामले में अन्य राज्यों से महज दिल्ली में हालात बेहतर हैं. ऐसे में सरकार से ये उम्मीद की जाती है कि हर 5 से 10 किमी में एक चार्जिंग प्वाइंट्स होना चाहिए. हाई-वे समेत ज्यादा-से-ज्यादा रूट्स पर इस प्लान को अमलीजामा पहनाने की तरफ कदम उठाना बेहद जरूरी है. वर्ना ईवी खरीदारों का अनुभव बेहतर होना नामुमकिन ही समझिए.