मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद के मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है. हिंदू पक्ष की अर्जी को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने की मांग वाली एप्लीकेशन नामंजूर कर दी है. इसे हिंदू पक्ष के लिए एक झटके के तौर पर देखा जा रहा है.
आपको बता दें कि जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की सिंगल बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी. फिलहाल, उनकी तरफ से सुनवाई की अगली तारीख दी गई है. अब 2 अगस्त, 2025 को अगली सुनवाई होगी.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि मौजूद तथ्यों और याचिका के आधार पर मथुरा की शाही ईदगाह को फिलहाल विवादित ढांचा घोषित नहीं किया जा सकता है. जबकि, हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया था कि ईदगाह का निर्माण श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर स्थित अति प्राचीन मंदिर को तोड़कर किया गया था. फिलहाल, सबकी निगाहें अगली सुनवाई पर टिकी हैं.
इस पूरे मामले में हिंदू पक्ष के वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट में 5 मार्च 2025 को मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किए जाने की मांग करते हुए एक एप्लीकेशन दी गई थी. इस पर 23 मई को कोर्ट में बहस पूरी हो गई थी और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था, जो आज सुनाया गया.
हिंदू पक्षकार के मुताबिक, हमने हाई कोर्ट के समक्ष कहा था कि वहां पहले मंदिर था. वहां पर मस्जिद होने का कोई साक्ष्य आज तक शाही ईदगाह मस्जिद पक्ष कोर्ट में पेश नहीं कर सका है. ऐसे में इसे मस्जिद क्यों कहा जाए, विवादित ढांचा घोषित किया जाए. जैसे कोर्ट ने अयोध्या मामले में अपना निर्णय देने से पहले बाबरी मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया था, उसी तरह शाही ईदगाह मस्जिद को भी विवादित ढांचा घोषित करना चाहिए.
जानिए पूरा विवाद
गौरतलब है कि पूरा विवाद मथुरा के कटरा केशव देव क्षेत्र की 13.37 एकड़ जमीन पर है, जिसमें मंदिर और मस्जिद दोनों बनी हैं. जानकारी के मुताबिक, कुल जमीन में 11 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि है, जबकि बाकीजमीन पर ईदगाह होने का दावा है. हिंदू पक्ष पूरी जमीन को श्रीकृष्ण जन्मभूमि बताता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इससे इनकार करता है.
हिंदू पक्ष के अनुसार, 1670 में औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर बने मंदिर को तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद बनवाई थी. वहीं, मुस्लिम पक्ष इस दावे को खारिज करता रहा है. आज यानी 4 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा हम इसे विवादित ढांचा नहीं घोषित कर सकते हैं.