एमपी में ₹20 में इलाज करने वाले डॉक्टर का निधन:राष्ट्रपति ने दिया था पद्मश्री; पीएम मोदी ने जबलपुर दौरे पर की थी उनसे मुलाकात

पद्मश्री से सम्मानित मध्यप्रदेश के 79 वर्षीय डॉक्टर मुनीश्वर चंद्र डावर का शुक्रवार सुबह निधन हो गया। जबलपुर के मदनमहल क्षेत्र में रहने वाले डॉ. डावर कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। इन्हें गरीबों का मसीहा कहा जाता था। वजह यह थी कि पूरी जिंदगी लाखों मरीजों को इलाज करने वाले डॉक्टर सिर्फ 20 रुपए फीस लेते थे।

डॉ. डावर को 2023 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें यह सम्मान दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जब जबलपुर दौरे पर आए थे तो व्यक्तिगत रूप से उन्होंने केवल डॉक्टर डावर से ही मुलाकात की थी।

पाकिस्तान में हुआ था जन्म डॉ. एमसी डावर का जन्म पाकिस्तान में हुआ था, देश में हुए बंटवारे के बाद उनका परिवार जबलपुर आ गया था। पिता के निधन के समय उनकी उम्र सिर्फ 2 साल की थी। उनका बचपन बहुत गरीबी में बीता। पढ़ाई सरकारी स्कूल में हुई थी।

जालंधर में भी पढ़ाई की, इसके बाद जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री पूरी करने के बाद, कुछ दिन ही सेना मे नौकरी भी की, इसके बाद जबलपुर आ गए और शहर के महानद्दा में एक छोटी सी क्लीनिक शुरू कर प्रैक्टिस करने लगे।

2 रुपए में जटिल से जटिल बीमारी का इलाज डॉ. डावर ने 1972 से मरीजों का इलाज करना शुरू किया था। उन्होंने 14 साल तक लोगों से मात्र 2 रुपए फीस ली। 1986 में उनकी तबीयत खराब हुई, उनकी जगह दूसरे डॉक्टर उनकी क्लीनिक में आकर बैठने लगे तो उन्होंने 2 रुपए की जगह 3 रुपए फीस कर दी।

इसके बाद डॉ. डावर भी जब क्लीनिक आए तो फीस 3 रुपए ही थी। 11 साल तक 3 रुपए फीस ली। 1997 के बाद जब चिल्लर की समस्या आने लगी तो फीस 5 रुपए कर दी गई। 15 साल तक मात्र 5 रुपए लेकर मरीजों का इलाज करते रहे।

सीएम और भाजपा अध्यक्ष नड्‌डा भी मिले थे बता दें कि कुछ दिन पहले सीएम डॉ. मोहन यादव और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा ने डॉ. डावर से उनके घर पर मुलाकात की थी। सीएम डॉ. मोहन यादव ने उस तस्वीर को एक्स पर शेयर कर उनके निधन पर दुख जताया।

डॉ. डावर सभी डॉक्टरों के लिए आदर्श नेता जी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने बताया कि डॉ. डावर सभी चिकित्सकों के लिए आदर्श थे। उन्होंने अपने जीवन काल में इलाज करते हुए बताया कि लोगों का इलाज करना, उनकी जान बचाना मानवीय कर्म है, न कि इलाज करने के लिए सिर्फ फीस को महत्व देना। उनके निधन से मध्यप्रदेश और देश को अपूर्ण क्षति हुई है।

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