क्या आपने कभी सोचा है कि मधुमक्खी का डंक आपकी जान बचा सकता है? शायद नहीं, लेकिन महाराष्ट्र के प्रसिद्ध प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. श्रीराम दिगम्बर कुलकर्णी का दावा है कि ‘एपिथैरेपी’ या मधुमक्खी चिकित्सा (हनी बी थैरेपी) से 70 से अधिक बीमारियों का इलाज संभव है। इसमें डायबिटीज, थायरॉइड, गठिया, अस्थमा जैसी जटिल बीमारियां शामिल हैं।
इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति में मधुमक्खी के डंक का उपयोग विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। एक मधुमक्खी में 118 प्राकृतिक स्टेरॉयड्स पाए जाते हैं, जो इसे एक पूर्ण प्राकृतिक दवाखाना बनाते हैं। डॉक्टर कुलकर्णी के अनुसार, एक मधुमक्खी का डंक तीन सेकेंड में ही हाई बीपी को नियंत्रित कर सकता है और मधुमेह जैसी बीमारियों को जड़ से खत्म कर सकता है। उनका कहना है कि पिछले 17 साल में उन्होंने 35 लाख से अधिक मरीजों का इलाज किया है। इस पद्धति में कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। बता दें कि सोमवार को एक दिवसीय शिविर बैतूल में लगा था।
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— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
200 का बीपी 100 पर ला सकता है
डॉ. श्रीराम दिगम्बर कुलकर्णी का दावा है कि यह पद्धति शुगर को जड़ से खत्म कर सकती है। 21 लाख लोगों की शुगर इस पद्धति से ठीक की है। उनके अनुसार एलोपैथी पद्धति अपूर्ण है। एक मधुमक्खी का डंक चुभाने से ही 200 का बीपी 100 पर आ जाता है। शुगर जड़ से निकल जाती है।
वह अब तक 21 लाख लोगों की शुगर इसी पद्धति से ठीक कर चुके हैं, इसलिए वे इस पुरातन पद्धति को बीमारियों के इलाज के लिए पूरे देश भर में फैला रहे हैं। इसके लिए उनके आठ असिस्टेंट डॉक्टर जगह-जगह कैंप लगा रहे हैं। उनका दावा है कि वे 17 साल में इस पद्धति से अब तक 35 लाख लोगों को ठीक कर चुके हैं।
ऐसे होता है मधुमक्खी से इलाज
डॉक्टर जय श्री बताती हैं कि मधुमक्खी को उंगली से पकड़कर व्यक्ति के उस हिस्से में लगाया जाता है जो किसी बीमारी से प्रभावित होता है। वह मधुमक्खी अपना डंक छोड़ देती है। इसके बाद डंक तीन सेकेंड में अपने आप शरीर से बाहर निकल आता है। इसके बाद उसे निकालकर फेंक दिया जाता है।
इसी तीन सेकेंड में व्यक्ति का ब्लड सर्कुलेशन जब ब्रेन तक जाता है तो बॉडी में जहां-जहां ब्लॉकेज अनवांटेड सेल्स होते हैं उनको ठीक करने का काम करता है। इससे जटिल से जटिल मरीजों का इलाज हो जाता है।
इस पद्धति के लिए महाराष्ट्र के पुणे के पास उसेंडी कंचन स्थित स्वामी सामर्थ के मठ में मधुमक्खियों का पालन किया जाता है। इस पद्धति के साथ मरीज को नेचुरोपैथी की कुछ दवाई भी दी जाती है। यह दवाएं अक्सर आपकी रसोई में ही मिल जाती हैं, जिसे सपोर्टिव मेडिसिन कहा जाता है।
डॉक्टर कुलकर्णी का दावा- 100% इलाज की गारंटी
डॉक्टर कुलकर्णी इसमें 100% इलाज की गारंटी देते हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अब तक इसी इलाज से 113 गैंगरीन के मरीज ठीक किए हैं। डॉक्टर ने जिनके पैर काटने की सलाह दे दी थी। वे बताते हैं कि डंक चुभाने की पद्धति में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।
डॉक्टर कुलकर्णी का कहना है कि मधुमक्खी चिकित्सा एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है, जिसके संभावित लाभ और जोखिम हैं। यदि आप मधुमक्खी चिकित्सा पर विचार कर रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करना और संभावित जोखिमों और लाभों के बारे में जानना जरूरी है।
इस पद्धति से बीपी, थायरॉइड, डायबिटीज, गठिया, अस्थमा, पथरी, त्वचा रोग, माइग्रेन, मानसिक रोग, थैलेसीमिया, एड्स, वेरिकोज वेन, ऑस्टियोपोरोसिस और रीढ़ व हड्डियों से संबंधित 70 से अधिक जटिल बीमारियों का प्राकृतिक उपचार किया जाता है।