महाराष्ट्र की राजनीति में शनिवार को एक ऐतिहासिक क्षण सामने आया, जब करीब दो दशक बाद ठाकरे परिवार के दो चचेरे भाई- राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक मंच पर नजर आए. वर्ली स्थित एनएससीआई डोम में आयोजित ‘आवाज मराठीचा’ नामक महारैली में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने सरकार के तीन-भाषा फॉर्मूले को वापस लेने के फैसले को मराठी अस्मिता की जीत करार दिया और इस फैसले के पीछे मराठी एकता को श्रेय दिया.
रैली को संबोधित करते हुए राज ठाकरे ने कहा, “मैंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरा महाराष्ट्र किसी भी राजनीति और लड़ाई से बड़ा है. आज 20 साल बाद मैं और उद्धव एक साथ आए हैं. जो बालासाहेब नहीं कर पाए, वो देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया- हम दोनों (राज और उद्धव) को एक साथ लाने का काम.”
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
राज के इस बयान पर पूरे पंडाल में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी. उन्होंने बिना किसी का नाम लिए स्पष्ट रूप से कहा कि मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने की जो कोशिश की जा रही है, वह कभी कामयाब नहीं होगी. अगर किसी ने मुंबई पर हाथ डालने की हिम्मत की, तो मराठी मानुष का असली बल देखेगा.
‘अचानक हिंदी पर इतना जोर क्यों?’
राज ठाकरे ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए पूछा, “अचानक हिंदी पर इतना जोर क्यों दिया जा रहा है? ये भाषा का प्रेम नहीं, बल्कि एजेंडा है. हम पर हिंदी थोपने की कोशिश की जा रही है. हम ये बर्दाश्त नहीं करेंगे. जब हमारे बच्चे इंग्लिश मीडियम में पढ़ते हैं तो हमारे मराठीपन पर सवाल उठते हैं. लेकिन जब बीजेपी नेताओं ने मिशनरी स्कूलों में पढ़ाई की, तब उनके हिंदुत्व पर किसी ने उंगली नहीं उठाई. ये दोगलापन नहीं चलेगा.”
उन्होंने कहा कि बालासाहेब ठाकरे और उनके पिता श्रीकांत ठाकरे भी इंग्लिश मीडियम से पढ़े थे लेकिन मराठी को कभी नहीं छोड़ा. उन्होंने बालासाहेब से जुड़ा एक पुराना किस्सा सुनाया, जब 1999 में बीजेपी शिवसेना सरकार बनने की संभावना थी और बीजेपी नेता सुरेश जैन को मुख्यमंत्री बनाने की बात लेकर बालासाहेब से मिलने पहुंचे थे. बालासाहेब ने तब स्पष्ट कह दिया था कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री सिर्फ मराठी मानुष ही होगा.
उन्होंने दक्षिण भारत का उदाहरण देते हुए कहा, “स्टालिन, कनीमोझी, जयललिता, एन. लोकेश, ए. आर. रहमान, सूर्या, सब इंग्लिश मीडियम से पढ़े हैं. क्या कोई उनका तमिल प्रेम कम समझता है? रहमान तो एक बार हिंदी में भाषण सुनकर मंच ही छोड़कर चले गए थे.”
उन्होंने साफ कहा, “कल को मैं हिब्रू भाषा सीख लूं, तो किसी को क्या दिक्कत है? दक्षिण भारत से सीखो, उन्होंने अपनी भाषा के लिए एकजुटता दिखाई. दक्षिण भारत में तमिल और तेलुगु भाषाओं को लेकर लोगों ने एकजुटता दिखाई, लेकिन महाराष्ट्र में लोगों को बांटने की कोशिश हो रही है. महाराष्ट्र एक हो गया है, अब ये लोग जाति की राजनीति शुरू करेंगे. ताकि मराठी भाषा के लिए बनी एकता टूट जाए.”
‘मराठी रेजिमेंट की तरह एकजुट रहो’
राज ठाकरे ने भारतीय सेना का उदाहरण देते हुए कहा, “सेना में मराठा रेजिमेंट है, बिहार रेजिमेंट है, नागा रेजिमेंट है. सब अलग हैं, लेकिन जब युद्ध होता है, तो एकजुट होकर भारत के लिए लड़ते हैं. मराठी समाज को भी उसी तरह एकजुट रहना चाहिए.”
“मीरा रोड की घटना को तूल देना गलत: राज
राज ठाकरे ने हाल ही की मीरा रोड की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा, “अगर झगड़े में किसी को थप्पड़ मारा गया और वो गुजराती निकला तो क्या करें? क्या माथे पर लिखा होता है कि वो कौन है? बिना वजह किसी पर हाथ मत उठाओ, लेकिन कोई ज़्यादा करे, तो चुप भी मत बैठो. और हां, मारपीट के वीडियो बनाना बंद करो. बिना वजह किसी को मत मारो, लेकिन अगर कोई गलती करता है, तो उसे सबक भी सिखाओ.”
उन्होंने कहा कि उनके कई गुजराती दोस्त हैं जो मराठी से प्रेम करते हैं. उन्होंने कहा, “मैं एक गुजराती को ‘गुज-राठी’ कहता हूं क्योंकि वो दिल से मराठी से जुड़ा है. शिवाजी पार्क में मेरे भाषण सुनने वाले कई गुजराती मित्र भी हैं.”
अंत में उन्होंने कहा कि सरकारें आती-जाती रहेंगी, गठबंधन बनते-बिगड़ते रहेंगे, लेकिन मराठी भाषा और संस्कृति के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं होगा. यही बालासाहेब का सपना था और यही हमारी प्रतिबद्धता है.