मंदिर परिसर में भारतीय संस्कृति के अनुरूप ही वस्त्र पहनकर प्रवेश करें, छोटे वस्त्र, हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट, जींस टॉप आदि कपड़े पहनकर मंदिरों में प्रवेश न करें. यदि कोई इस तरह के कपड़े पहनता है तो बाहर से ही दर्शन करें’… इस तरह की अपील वाले पोस्टर इन दिनों शहर के कई इलाकों में चिपकाए गए हैं. शहर के दर्जनों मंदिरों के बाहर इस तरह के पोस्टर चिपकाकर महिलाओं और युवतियों से भारतीय संस्कृति के अनुरूप कपड़े पहनने और मंदिरों में प्रवेश करते समय सिर ढकने की अपील की गई है.
संस्कारधानी कहे जाने वाले शहर जबलपुर में इन दिनों एक नई पहल के तहत हिंदूवादी संगठनों ने मंदिरों में भारतीय संस्कृति के अनुरूप ड्रेस कोड लागू करने की अपील की है. इस अभियान के तहत मिनी स्कर्ट, जींस-टॉप, हाफ पैंट, बरमूडा, नाइट सूट जैसे वेस्टर्न परिधानों में मंदिरों में प्रवेश करने पर आपत्ति जताई गई है. इस के तहत शहर के 30 से अधिक प्रमुख मंदिरों के बाहर पोस्टर लगाए गए हैं, जिनमें श्रद्धालुओं से भारतीय परंपरा के अनुरूप कपड़े पहनने और मंदिर में प्रवेश से पूर्व सिर ढकने की अपील की गई है. साथ ही पोस्टर के नीचे महाकाल संघ अंतरराष्ट्रीय बजरंग दल का जिक्र किया गया है. पोस्टर के नीचे लोगों से इसे अन्यथा ना लेने और भारतीय संस्कृति को बचाने का भी उल्लेख किया गया है.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
इन पोस्टरों में साफ तौर पर लिखा है कि भारतीय संस्कृति आपको ही है बचानी और यदि कोई व्यक्ति छोटे वस्त्रों में आता है, तो कृपया बाहर से ही दर्शन करें. साथ ही इसमें यह भी उल्लेख है कि इस अपील को अन्यथा न लिया जाए. यह केवल सनातन संस्कृति की गरिमा बनाए रखने का प्रयास है. संगठन का कहना है कि मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति का प्रतीक हैं. मंदिर परिसर में अनुचित परिधान भारतीय मूल्यों और परंपराओं के विरुद्ध है.
सांस्कृतिक जागरूकता अभियान
इस संबंध में जिला मीडिया प्रभारी अंकित मिश्रा ने बताया कि यह कोई प्रतिबंध नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक जागरूकता अभियान है. उन्होंने कहा कि हम केवल लोगों से अनुरोध कर रहे हैं कि मंदिर जैसे पवित्र स्थानों में प्रवेश करते समय परंपरागत वस्त्र पहनें. यह हमारी संस्कृति और सनातन धर्म की मर्यादा का सम्मान है. वही कुछ लोगों ने जहां इस पहल का स्वागत किया है तो वहीं कुछ ने इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप बताया है. सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर बहस भी शुरू हो गई है.
संगठन ने स्पष्ट किया है कि इसका उद्देश्य किसी की भावनाएं आहत करना नहीं बल्कि सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करना है. यह अभियान आने वाले समय में और मंदिरों तक विस्तारित किया जा सकता है जिससे लोगों में भारतीय संस्कृति के प्रति जागरूकता और सम्मान बढ़े.