तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के 90वें जन्मदिन की पूर्व शाम धर्मशाला में भव्य समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और जेडीयू नेता राजीव रंजन (ललन) सिंह ने भाग लिया. जहां उन्होंने चीन को सख्त संदेश देते हुए कहा कि चीन का धार्मिक संस्थान पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है.
यह आयोजन न केवल दलाई लामा के दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए था, बल्कि उनके शांति और अहिंसा के संदेश को दुनिया भर में फैलाने की उनकी कोशिश को सम्मानित करने का भी एक अवसर था.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
धर्मशाला में बने तिब्बती मठ में आयोजित इस समारोह में हजारों भक्त और अनुयायी एकत्र हुए. इस मौके पर केंद्रीय मंत्री ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘दलाई लामा का संस्थान पूर्ण रूप से धार्मिक है और भारत सरकार का मानना है कि धार्मिक मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए. मैं उनकी लंबी आयु की कामना करता हूं. उनके सभी भक्त उन्हें स्वस्थ देखना चाहते हैं, ताकि वैश्विक समुदाय उनकी बुद्धिमत्ता से लाभान्वित हो सके.’
उन्होंने चीन के बयानों पर प्रतिक्रिया देने से इनकार करते हुए कहा, ‘हम सब कुछ दलाई लामा के विवेक पर छोड़ते हैं.
‘चीन को धार्मिक संस्थान पर टिप्पणी का नहीं है अधिकार’
इस मौके पर बोलते हुए अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा, ‘मैं यहां अरुणाचल प्रदेश के लोगों का प्रतिनिधित्व करने आया हूं. ये एक ऐतिहासिक आयोजन है और चीन को इस धार्मिक संस्थान पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि बौद्ध धर्म भले ही चीन में मौजूद हो, लेकिन ये संस्थान तिब्बत का है और हिमालयी क्षेत्र के लोगों का है…’
उन्होंने भारत और चीन के बीच शांति और कूटनीति के महत्व पर जोर देते हुए कहा, ‘भारत और चीन दो विशाल देश और आर्थिक महाशक्तियां हैं. इसलिए विवादों का हल कूटनीति से होना चाहिए, युद्ध कोई समाधान नहीं है… दोनों देशों को मिलकर दुनिया का नेतृत्व करना चाहिए.’
‘धर्म और आस्था में हस्तक्षेप नहीं करती भारत सरकार’
वहीं, जेडीयू नेता और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने समारोह में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, ‘हम यहां दलाई लामा को शुभकामनाएं देने और उनके शांति व अहिंसा के संघर्ष को नमन करने आए हैं. हम ईश्वर से कामना करते हैं कि उन्हें आगे बढ़ने की शक्ति मिले… भारत सरकार धर्म और आस्था में हस्तक्षेप नहीं करती.’