पुलिस बनकर कॉल किया, रिटायर्ड साइंटिस्ट से ठगे एक करोड़… ऐसे पकड़े गए जालसाज

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में आईवीआरआई (भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान) के रिटायर्ड वैज्ञानिक को साइबर ठगों ने अपने झांसे में लेकर उनसे करीब 1.10 करोड़ रुपये ठग लिए. ठगों ने उनको पहले डराया-धमकाया और फिर डिजिटल अरेस्ट कर लिया. इस मामले में बरेली की साइबर पुलिस ने लखनऊ एसटीएफ की मदद से चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों में तीन लखनऊ के रहने वाले हैं – सुधीर कुमार चौरसिया, श्याम कुमार वर्मा और महेंद्र प्रताप सिंह. चौथा आरोपी रजनीश द्विवेदी गोंडा का निवासी है. पुलिस ने इनके पास से चार चेकबुक, छह डेबिट कार्ड और छह मोबाइल फोन बरामद किए हैं.

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दरअसल पश्चिम बंगाल के रहने वाले वैज्ञानिक बरेली में आईवीआरआई में कई साल से सेवा दे रहे थे. जनवरी 2025 में वो रिटायर हो गए. अभी वह अपने परिवार के साथ संस्थान के सरकारी क्वार्टर में रह रहे हैं.

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17 जून को उनके मोबाइल पर व्हाट्सएप कॉल आई. कॉल करने वाले ने खुद को बंगलूरू सिटी पुलिस का अफसर बताया. उसने कहा कि उनके आधार कार्ड से किसी ने सिम निकलवा कर नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी और मानव तस्करी जैसे संगीन अपराध किए हैं. उसने कहा कि इस मामले में सदाकत खां नाम का एक आदमी पकड़ा गया है जिसने आपका नाम लिया है. इस पर वैज्ञानिक घबरा गए. क्योंकि जिस नंबर से कॉल आई, उसकी व्हाट्सएप डीपी में पुलिस का लोगो लगा था, तो उन्हें सब असली लगा. फिर उस कॉलर ने उन्हें कहा कि अब सीबीआई अफसर दया नायक से बात करनी होगी. उसने एक और नंबर दे दिया. जब वैज्ञानिक ने उस नंबर पर कॉल की तो उधर से खुद को दया नायक बताने वाला आदमी भी उसी अंदाज में धमकाने लगा.

उसने कहा कि आपके खातों में जो पैसा पड़ा है, उसमें कितनी रकम सही है और कितनी गलत, ये जांचना होगा. इसलिए आप अपने सभी खातों का पैसा एक ही खाते में ट्रांसफर कर दो. जांच के बाद वापस आपके खाते में पैसा लौटा दिया जाएगा.

भरोसा दिलाकर लाखों लूटे

वैज्ञानिक को भरोसे में लेने के लिए ठगों ने एक चाल चली. उन्होंने वैज्ञानिक के ग्रामीण बैंक के खाते में एक लाख रुपये वापस भी कर दिए. इससे वैज्ञानिक को यकीन हो गया कि ये लोग सही हैं. 19 जून को ठगों ने उनके दो अन्य बैंक खातों से 10 लाख और 9 लाख रुपये अपने बताए हुए इंडसइंड बैंक के खाते में ट्रांसफर करा लिए. इसके बाद बाकी रकम भी ऐसे ही ट्रांसफर कराते गए. इस तरह वैज्ञानिक से करीब 1.10 करोड़ रुपये ठग लिए गए. महेंद्र नाम के आरोपी के खाते में आए 12 लाख रुपये तो इन लोगों ने बैंक जाकर तुरंत निकाल भी लिए. बाद में उसे क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर विदेश भेज दिया.

पुलिस से संपर्क किया तो खुला राज

कुछ दिन बाद वैज्ञानिक को शक हुआ. उन्होंने कॉल करने वाले नंबरों को गूगल पर चेक किया, लेकिन कुछ नहीं मिला. फिर उन्होंने असली बंगलूरू पुलिस से संपर्क किया. तब असली पुलिस अफसर ने बताया कि आप साइबर ठगी का शिकार हो चुके हैं. इसके बाद वैज्ञानिक ने बरेली साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई.

पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए लखनऊ एसटीएफ की मदद ली. जांच पड़ताल कर चारों आरोपियों को लखनऊ से गिरफ्तार कर बरेली लाया गया. एसपी क्राइम मनीष कुमार सोनकर ने इस पूरे मामले का खुलासा किया. बाद में चारों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

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