सड़क पर मवेशी देख ड्राइवर ने कार से खोया कंट्रोल, चपेट में आने से बुजुर्ग महिला की मौत

कसडोल: क्षेत्र में इन दिनों मवेशियों के सड़कों पर बैठने के कारण सड़क दुर्घटनाओं की संख्या थमने का नाम नहीं ले रही है। रोजाना कहीं न कहीं छोटी-बड़ी घटनाएं सामने आ रही हैं। रविवार को ऐसी ही एक घटना में आद्या हास्पिटल के संचालक डा. सुरेंद्र दिव्याकर की माता की जान चली गई।

Advertisement

मामले में बुजुर्ग महिला की मौत

Ads

रविवार शाम करीब चार बजे रायपुर निवासी विशाल खैरवार पिता हेमलाल खैरवार, उम्र 26 वर्ष अपने साथी विनय सोनी, पिता संजय सोनी, उम्र 27 वर्ष, निवासी आमगांव, जिला सक्ती के साथ स्विफ्ट डिजायर कार से रायपुर की ओर जा रहा था।

कसडोल रिंग रोड पर अचानक सामने मवेशी आ गया, जिससे घबरा कर चालक ने कार से नियंत्रण खो दिया। कार पहले सड़क किनारे रखे गिट्टी के ढेर पर चढ़ गई, फिर पलटते हुए किनारे खड़ी रामायण बाई दिव्याकर, पति घनश्याम दिव्याकर, उम्र 65 वर्ष को अपनी चपेट में ले लिया।

गंभीर रूप से घायल रामायण बाई को तत्काल हास्पिटल ले जाया गया, जहां उनकी मृत्यु हो गई। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और मर्ग क्र. 49/25 धारा 106(1) भा.दं.सं. के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

सड़क पर मवेशी बन रहे हादसों की वजह

उल्लेखनीय है कि मवेशियों के सड़कों पर खुला विचरण अब आम बात हो गई है। न तो किसान इनके पालन में रुचि ले रहे हैं, न ही सरकार द्वारा इनके रखरखाव के लिए कोई प्रभावी व्यवस्था की जा रही है। किसानों को अब गौ पालन एक बोझ लगने लगा है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों का कहना है कि सरकार केवल मुफ्त अनाज या सहायता वितरित कर वोट बैंक की राजनीति करती है, लेकिन बदले में कोई सामाजिक जिम्मेदारी नहीं तय करती।

पिछली कांग्रेस सरकार ने ‘गोठान’ योजना की शुरुआत की थी, लेकिन देखरेख की कमी और व्यवस्थागत विफलता के कारण वह योजना प्रभावहीन रही। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि सरकार ने समय रहते सड़कों पर घूम रही इन गौ माताओं के लिए कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला, तो ऐसी दुखद घटनाएं लगातार सामने आती रहेंगी।

Advertisements