कुरुद: छत्तीसगढ़ के इस गांव में आज से 75 साल पहले ही शहर जैसी सुविधाओं के लिए मास्टर प्लान बनाया गया था। यह गांव कई मायनों में खास और दूसरे गांवों से बेहद अलग है। यह गांव गूगल मैप में भी अलग से पहचान आ जाता है, इस गांव में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की तरह रोड बने हैं। वहां ग्राम विकास समिति और ग्राम पंचायत काफी एक्टिव है। जीरो क्राइम वाला पंचायत है, कोई भी मामला गांव वाले आपस में ही सुलझा लेते हैं।
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— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
दरअसल हम बात कर रहे है धमतरी जिले के मगरलोड विकासखंड अंतर्गत आने वाले गांव करेली छोटी की। जिसे छोटे करेली भी कहते है, जो कि महानदी के किनारे बसा है। बाढ़ का पानी गांव में चला जाता था, इसलिए 1952 में गांव के मालगुजार पवन कुमार अग्रवाल, जिन्हें दाऊ भी कहते हैं, उन्होंने पंचम लाल साहू, दशरथ लाल साहू और अन्य लोगों के साथ चर्चा की और गांव के लिए मास्टर प्लान की प्लानिंग की। 1952 में भोपाल से इंजीनियर बुलाया गया, करीब 6 महीने में मास्टर प्लान बनाया और भिलाई और अन्य शहरों की तरह प्लांटिंग की गई। मास्टर प्लान कर पंचायत, रंगमंच, स्कूल, तालाब का डिजाइन कर 75 साल पहले करेली को बसाया गया।
गांव में चौड़ी सड़कें के साथ ड्रेनेज सिस्टम भी है
गांव में चौड़ी सड़कें हैं। ड्रेनेज सिस्टम भी है, छोटी करेली है तो एक ग्राम पंचायत, लेकिन किसी बसाए गए टाउनशिप से कम नहीं है। गांव की आबादी 3500 है, 20 वार्ड में 20 पंच है। हर वार्ड का काम व्यवस्थित चलता है, गांव में अतिक्रमण नहीं होता है। मकान का निर्माण करने पर 200 रुपये शुल्क के साथ ग्राम विकास समिति में आवेदन दिया जाता है। समिति मौके पर पहुंचकर निरीक्षण करेगी, उसके बाद ही कोई भी मकान निर्माण कर सकेगा।
सामाजिक संरचना और अनुशासन की मिसाल
गांव में हर परिवार को बेटों के हिसाब से प्लॉट आबंटन किया गया। गांव के विकास और आपातकालीन जरूरतों के लिए एक समिति गठित की गई, जो अब तक सक्रिय है। समिति द्वारा अंतिम संस्कार से लेकर सड़क मरम्मत, विद्युत व्यवस्था और अन्य आवश्यक कार्यों का खर्च वहन किया जाता है। गांव की समिति में आज भी 36 लाख रुपए से अधिक की राशि जमा है। विशेष बात यह है कि गांव में अपराध की दर शून्य है। विवाद की स्थिति में समिति का निर्णय ही अंतिम माना जाता है, जिसके चलते थाने में आज तक गांव से जुड़ी कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।
रोजगार मूलक योजनाएं भी शुरू होंगी
कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने गांव को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यहां छोटे उद्योगों की स्थापना की योजना की भी घोषणा की है, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिल सकें।