तान्या बनीं फरिश्ता, मगर वक्त ने नहीं दिया साथ — नवजात की मौत ने सबको रुलाया

जसवंतनगर/इटावा: एक सप्ताह पहले भोगनीपुर नहर किनारे लावारिस मिली उस नवजात बच्ची ने आखिरकार जिंदगी से अपनी जंग हार दी.सैफई मेडिकल कॉलेज में एक सप्ताह के गहन उपचार के बाद भी उस मासूम को बचाया नहीं जा सका, जिसने कई लोगों के मन में आशा जगाई थी.

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इस दुखद घटना ने गुरुग्राम की एक फाइनेंस कंपनी में कार्यरत तान्या शर्मा के उस सपने को भी अधूरा छोड़ दिया, जिन्होंने बच्ची को गोद लेकर उसे एक नई जिंदगी देने की इच्छा जताई थी.यह कहानी सिर्फ एक मासूम की असामयिक मृत्यु की नहीं, बल्कि एक महिला के निस्वार्थ त्याग और उस क्रूरता की भी है जिसने एक जीवन को असमय ही छीन लिया.

 

पिछले रविवार की बात है, जब तान्या शर्मा अपनी स्कूटी से इटावा की ओर जा रही थीं.भोगनीपुर नहर पुल के पास अचानक उनकी स्कूटी खराब हो गई। स्कूटी चेक करते वक्त उन्हें एक बच्चे के करुणा भरे रोने की आवाज सुनाई दी। आवाज की दिशा में जब तान्या आगे बढ़ीं, तो उन्होंने जो देखा, वह हृदय विदारक था.गंदे कपड़ों में लिपटी एक नवजात बच्ची ठंड और अकेलेपन से बुरी तरह कांप रही थी। इंसानियत का फर्ज निभाते हुए तान्या ने बिना किसी हिचकिचाहट के उस बेबस बच्ची को अपने साथ लिया और उसे घर ले जाकर दुलार दिया। इसके तुरंत बाद उन्होंने स्थानीय पुलिस को घटना की सूचना दी.

 

बच्ची को तेज बुखार था, जिसके कारण उसे तत्काल सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) में भर्ती कराया गया. उसकी गंभीर हालत को देखते हुए, उसे बाद में सैफई मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उसकी जान बचाने की हर संभव कोशिश की.लगभग एक सप्ताह तक बच्ची का इलाज चला, डॉक्टरों और नर्सों ने अपनी पूरी कोशिश की, लेकिन शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था. मासूम की नन्हीं सांसें आखिरकार जिंदगी की इस जंग में हार गईं और वह इस दुनिया को अलविदा कह गई.

 

बच्ची की मृत्यु की सूचना पर उपनिरीक्षक शिव शंकर सिंह मौके पर पहुंचे.उन्होंने शव का पंचनामा भरकर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.इस घटना से सबसे अधिक व्यथित तान्या शर्मा थीं, जिनकी आँखों से आँसू रुक नहीं रहे थे। नम आँखों से उन्होंने कहा, “वो मेरी बेटी जैसी थी… काश उसे मेरी जिंदगी भर का वक्त मिल जाता।” उनके ये शब्द उस गहरे लगाव को दर्शाते हैं जो उन्होंने चंद दिनों में ही उस बच्ची से महसूस कर लिया था.

इस दुखद घटना ने स्थानीय लोगों को भी झकझोर कर रख दिया है। उन्होंने उस हृदयहीन व्यक्ति या व्यक्तियों की कड़ी निंदा की, जिन्होंने इस नवजात को बेसहारा छोड़ दिया.वहीं, तान्या शर्मा के मानवीय जज्बे और उनके निस्वार्थ भाव की हर कोई प्रशंसा कर रहा है.उनकी यह कोशिश बताती है कि आज भी समाज में इंसानियत जिंदा है, भले ही कुछ लोगों की क्रूरता उस पर ग्रहण लगाने की कोशिश क्यों न करे.

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