‘आधार में आंखों की बायोमेट्रिक लेते हो तो अप्रूवल क्यों नहीं…’, बिहार वोटर वेरिफिकेशन पर तेजस्वी ने उठाए ये सवाल

बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक दल एक्टिव मोड में हैं. इस बीच बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग द्वारा बिहार में कराए जा रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर सवाल खड़े किए हैं.

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तेजस्वी यादवव ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हम पांच जुलाई को चुनाव आयोग गए थे और वहां अपनी बात रखी. लेकिन चिंता इस बात की है कि हमें हमारे सवालों का स्पष्ट जवाब अभी तक नहीं मिला. हमारा प्रतिनिधिमंडल दिल्ली और बिहार में चुनाव आयोग के पास गया था. पटना का चुनाव आयोग निर्णय लेने योग्य नहीं है. इसलिए हमारे सवालों को दिल्ली भेजा गया.

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उन्होंने कहा कि लेकिन विपक्ष के सवाल पर अभी तक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया. आयोग ने वोटर्स से जो 11 दस्तावेज मांगे हैं, वो उनके पास नहीं है. उनके पास आधार कार्ड है, राशन कार्ड है, मनरेगा कार्ड है. यानी स्पष्ट है कि जिनके पास ये 11 दस्तावेज नहीं होंगे, उनका वोटर लिस्ट से नाम काट दिया जाएगा.

तेजस्वी ने कहा कि देश में आधार मान्य है लेकिन बिहार में ऐसा क्यों नहीं है? वोटर लिस्ट पर हर घंटे निर्देश बदल रहे हैं. लोकतांत्रिक अधिकार छीना जा रहा है. बिहार में आधार कार्ड लिंक नहीं है. चुनाव आयोग की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है. इसे 18 दिन में सत्यापित कैसे किया जाएगा. बिहार में आधार लिंक नहीं किया गया.

उन्होंने चुनाव आयोग की साख पर सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग के फेसबुक से दो पोस्ट किए गए. विज्ञापन और ज्ञापन में बहुत अंतर है. चुनाव आयोग ने 11 तरह के दस्तावेज वोटर्स से मांगे हैं. ये वोटर्स के लिए मुमकिन नहीं है. चुनाव आयोग ने कल के अखबारों में विज्ञापन दिया. इन विज्ञापन में कहा गया कि अगर आवश्यक दस्तावेज नहीं हो तो केवल गणना प्रपत्र भरकर बीएलओ के पास जमा करें. इसी विज्ञापन में कहा गया कि दस्तावेज के साथ फोटो देकर जमा करें. चुनाव आयोग का विज्ञापन ही विरोधाभासी है. चुनाव आयोग पूरी तरह से कन्फ्यूज है.

उन्होंने कहा कि छह जुलाई को पहला पोस्ट किया गया कि वोटर्स अपना दस्तावेज बाद में भी जमा कर सकते हैं. एक घंटे बाद छह जुलाई को ही दूसरा पोस्ट आयोग ने किया कि 25 जुलाई तक दस्तावेज दिए जा सकते हैं. क्या चुनाव आयोग केवल विज्ञापन के जरिए चल रहा है. कोई आदेश क्यों नहीं जारी किया जा रहा? अगर आयोग गलत नहीं करना चाहता तो आदेश क्यों नहीं निकल रहा? क्या दस्तावेज के बगैर वोटर्स का प्रपत्र लेकर किसी खास तबके का नाम वोटर लिस्ट से हटाने की मंशा है? चुनाव आयोग बताए कि आधार को क्यों दस्तावेज लिस्ट से बाहर किया गया?

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