पुलिस चौकियों से आदिवासियों को मिल रहे पट्‌टे:नक्सल कमांडर की पत्नी ने भरा फॉर्म; बालाघाट का मॉडल 89 इलाकों में होगा लागू

मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले में पुलिस ने 46 थानों और कैंपों में एकल सुविधा केंद्र शुरू किए गए है। इन केंद्रों के जरिए “ऑपरेशन पहचान” के तहत आधार कार्ड, आयुष्मान योजना, वृद्धावस्था पेंशन, और “आपकी भूमि आपके द्वार” अभियान के तहत वनाधिकार पट्टा जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं।

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हालांकि शुरुआत में नक्सलियों ने ग्रामीणों को इन केंद्रों से दूर रहने के लिए उकसाया। लेकिन जब इन केंद्रों से सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों को सीधे मिलने लगा, तो नजरिया बदला। धीरे-धीरे लोगों का इन केंद्रों पर भरोसा बढ़ा।

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इसका सबसे बड़ा उदाहरण तब देखने को मिला, जब इलाके के कुख्यात नक्सली कमांडर संपत की पत्नी हिरोड़ा बाई खुद पुलिस कैंप पहुंची और वनाधिकार पट्टे का फॉर्म भरकर जमा किया।

अब इस मॉडल को प्रदेश के 89 आदिवासी ब्लॉक में लागू किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रविवार को सीएम हाउस में एक बैठक ली, जिसमें उन्होंने ये निर्देश दिए। यह बैठक वन अधिकार अधिनियम और पेसा एक्ट के क्रियान्वयन को लेकर गठित राज्य स्तरीय टास्क फोर्स की शीर्ष कार्यकारी समिति के साथ हुई।

नक्सल प्रभावित क्षेत्र की पुलिस चौकियों को बदला

बालाघाट एसपी आदित्य मिश्रा साल 2022 में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पदस्थ थे। उसी दौरान उन्होंने बालाघाट के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस चौकियों को एकल सुविधा केंद्रों में बदलने की शुरुआत की थी।

इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू करते हुए ग्रामीणों, खासकर आदिवासी वर्ग को वनाधिकार पट्टों के आवेदन, जाति प्रमाण पत्र बनवाने और अलग-अलग सरकारी योजनाओं का फायदा दिलाने का जरिया बनाया गया।

हालांकि, बीच में आदित्य मिश्रा का तबादला हो गया। लेकिन इस साल, जब वे फिर बालाघाट एसपी बनकर पहुंचे, तो उन्होंने पिछले महीने (जून) से इस काम को फिर से शुरू किया।

हर कैम्प में 4-5 पुलिसकर्मियों को दी गई ट्रेनिंग

बालाघाट एसपी आदित्य मिश्रा ने बताया कि हमने इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए हर पुलिस चौकी और कैम्प में 4-5 पुलिसकर्मियों को आदिवासी वर्ग को सरकारी योजनाओं का फायदा दिलाने के लिए प्रशिक्षित किया। दूसरे विभागों के अधिकारी-कर्मचारियों के नंबर पुलिस चौकी को मुहैया कराए। जहां जिस आवेदक को दिक्कत आती, पुलिस चौकी से संबंधित विभाग में बातचीत कर समाधान कराया जाता है।

आदिवासी छात्रों और युवाओं का सम्मेलन बुलाएं

वहीं, सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा जनजातीय वर्ग के अध्ययनरत और युवाओं का सामाजिक सम्मेलन बुलाएं। इस सम्मेलन के जरिए सरकार इन बच्चों को उन तक पहुंचने वाले लाभ का फीडबैक भी लेगी और जिन्हें जरूरत है, उन तक सरकारी योजनाएं और सुविधाएं भी पहुंचाई जाएंगी।

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