डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ (Trump Tariff) एक बार फिर दुनिया में हलचल मचाने लगा है. सोमवार को जापान-साउथ कोरिया समेत 14 देशों पर ट्रंप ने फ्रेश टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. वहीं इससे पहले ब्रिक्स पर निशाना साधते अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से बड़ी चेतावनी देते हुए कहा गया कि जो देश US Policy के खिलाफ जाएगा, उसपर 10% Extra Tariff लगाया जाएगा. ट्रंप की इस चेतावनी को लेकर ब्रिक्स में शामिल सदस्य देशों ने कड़ी आलोचना की है. आइए विस्तार से बताते हैं कि आखिर ऐसी कौन सी वजह है, जिसे लेकर ब्रिक्स देश ट्रंप के टारगेट (Why BRICS Is Trump Target) पर हैं और इन एक्स्ट्रा टैरिफ का इन देशों पर क्या असर होगा, जिसमें भारत भी शामिल है?
BRICS क्या है?
ट्रंप के एक्स्ट्रा टैरिफ के मायने समझने से पहले ये जान लेना जरूरी है कि आखिर ये BRICS है क्या? तो बता दें ये दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है. इसके संस्थापक सदस्य देसों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका हैं. दरअसल, इसका नाम भी इन्हीं पांच देशों के पहले अक्षर को लेकर बनाया गया है.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
BRICS की स्थापना 2009 में हुई और 1 जनवरी 2024 को ईरान, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिय और संयुक्त अरब अमीरात को संगठन में शामिल किया गया था. सऊदी अरब भी इसमें आमंत्रित राष्ट्र के रूप में ग्रुप की गतिविधियों में भाग लेता है, हालांकि अभी तक आधिकारिक तौर पर ये शामिल नहीं हुआ है. ब्रिक्स का उद्देश्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों में आर्थिक सहयोग, विकास और वैश्विक संतुलन बढ़ाना है.
ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को क्या चेतावनी दी?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते 2 अप्रैल को दुनिया के तमाम देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान किया था और बाद में इसे 90 दिन के लिए रोक दिया था और इस छूट की डेडलाइन 9 जुलाई को खत्म होने वाली थी, जिसे 1 अगस्त 2025 तक बढ़ाया गया है. हालांकि, इससे पहले सोमवार 7 जुलाई से ही ट्रंप ने अपना टैरिफ बम फोड़ना भी शुरू कर दिया और जापान-साउथ कोरिया के अलावा म्यांमार, लाओस, दक्षिण अफ्रीका, कजाकिस्तान, मलेशिया, ट्यूनीशिया, इंडोनेशिया, बोस्निया, बांग्लादेश, सर्बिया, कंबोडिया और थाईलैंड पर 25 फीसदी से 40 फीसदी तक टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया. इस बीच Donald Trump ने सोशल मीडिया के जरिए BRICS देशों के लिए एक चेतावनी भी जारी की.
US President ने ट्रुथ सोशल अकाउंट पर किए गए अपने पोस्ट में लिखा कि जो भी देश ब्रिक्स की एंटी-अमेरिकन पॉलिसी का समर्थन करेंगे, उन पर 10 फीसदी का एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया जाएगा और अमेरिका की इस नीति में किसी भी तरह की कोई छूट की गुंजाइश नहीं है. यहां बता दें कि ब्राजील के रियो डी जनेरियो में हाल ही में संपन्न हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद जारी एक घोषणापत्र में US Tariff की आलोचना की गई थी, जिसके बाद डोनाल्ड ट्रंप की ये तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है.
इसलिए BRICS को टारगेट कर रहे ट्रंप!
अब सवाल आता है कि आखिर क्या टैरिफ की आलोचना ही एकमात्र कारण है, जिसे लेकर Donald Trump ब्रिक्स को टारगेट कर रहे हैं, या इसके पीछे और भी वजह हैं. तमाम रिपोर्ट्स में एक्सपर्ट्स के हवाले से पहली बात तो ये कही जा रही है कि इस साल अमेरिकी करेंसी डॉलर में आई तगड़ी गिरावट और बीते कुछ समय में US Economy में सुस्ती के कारण ट्रंप को ऐसा लगता है कि हर कोई अमेरिका के खिलाफ साजिश कर रहा है.
वहीं दूसरा बड़ा कारण दुनिया के तमाम बड़े देशों द्वारा डॉलर के उपयोग को कम करने की दिशा में कदम बढ़ाना भी एक्स्ट्रा टैरिफ के पीछे माना जा सकता है. इसका बड़ा उदाहरण देखें, तो BRICS के संस्थापक सदस्य देशों में शामिल आर्थिक रूप से मजबूत रूस और चीन आपस में अपनी करेंसी में ट्रेड करते रहे हैं. यही नहीं 2022 में तो Russia ने ब्रिक्स देशों के लिए एक इंटरनेशनल करेंसा का प्रस्ताव भी दिया था. डॉलर पर बड़े देशों की निर्भरता कम होना अमेरिका के प्रभुत्व के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है और इसे लेकर ट्रंप की चिंता बढ़ी हुई है.
जब से अमेरिका ने ग्लोबल फाइनेंशियल इंफ्रास्ट्रक्चर को अपना हथियार बनाया है और ईरान (2012 में) के अलावा रूस (2022 में) को विश्वव्यापी अंतरबैंक वित्तीय दूरसंचार (SWIFT) सोसायटी से बाहर रखा गया है, तभी से दुनिया भर के देशों ने अमेरिकी डॉलर (US Dollar) और अमेरिकी नेतृत्व वाली वैश्विक वित्तीय प्रणाली पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश की है.
दुनिया की GDP में 35% योगदान ब्रिक्स से
डोनाल्ड ट्रंप BRICS को ऐसे ही टारगेट नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसका एक बड़ा कारण ये भी है कि ब्रिक्स अब वैश्विक आबादी का 45 प्रतिशत हिस्सा है और दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद (World GDP) में 35 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है. अब अगर वे वैश्विक व्यापार में इस समूह में शामिल बड़े देशों द्वारा डॉलर के उपयोग को कम किया जाएगा, तो ये अमेरिका के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं होगा. Dollar में इस साल Yen-Euro के मुकाबले 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है और ये बीते दिनों 3 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया था.
ब्राजील के राष्ट्रपति बोले- ‘हमें सम्राट नहीं चाहिए’
अमेरिका की एक्स्ट्रा टैरिफ की धमकी के बाद ब्रिक्स के संस्थापक सदस्यों में शामिल ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस इनसियो लूला दा सिल्वा ने सख्त तेवर दिखाए हैं और 10% टैरिफ लगाने की ट्रंप की धमकी को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि अब दुनिया बदल चुकी है और हमें कोई सम्राट नहीं चाहिए. लूला के मुताबिक, BRICS वैश्विक अर्थव्यवस्था को व्यवस्थित करने के नए तरीके तलाश रहा है और मुझे लगता है कि यही वजह है कि लोग असहज महसूस कर रहे हैं. वहीं China ने कहा है कि ब्रिक्स किसी भी देश के खिलाफ नहीं है.
100% टैरिफ की धमकी दे चुके हैं ट्रंप
इससे पहले साल 2025 की शुरुआत में ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप BRICS देशों को बड़ी चेतावनी दे चुके हैं और उन्होंने कहा था कि अगर इसमें शामिल देश Global Trade में डॉलर की भूमिका को चुनौती देंगे, तो फिर उन्हें100% टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि, ताजा चेतावनी सिर्फ 10% की है. इस बीच रॉयटर्स की एक रिपोर्ट की मानें, तो इसमें कहा गया है कि अमेरिका का ट्रंप प्रशासन सभी ब्रिक्स देशों पर तत्काल 10% टैरिफ लगाने की योजना नहीं बना रहा है, बल्कि अगर कोई भी देश ऐसे कदम उठाता है जिसे वह अमेरिका विरोधी (Anti-America) मानता है, तो उसे इस तरह की अमेरिकी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.
क्या भारत के लिए परेशानी का सबब?
यहां एक बड़ा सवाल ये भी है कि क्या Trump की ये एक्स्ट्रा टैरिफ की धमकी भारत के लिए भी परेशानी का सबब बन सकती है? ऐसा इसलिए क्योंकि भारत ब्रिक्स के संस्थापक सदस्यों में शामिल हैं और हाल ही में BRICS के उस घोषणापत्र पर साइन किए हैं, जिसमें अमेरिकी टैरिफ की आलोचना की गई. ये सवाल इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि Tariff War के बीच इंडिया और अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर फाइनल मुहर लगना बाकी है. हालांकि, ट्रंप ने सोमवार को 14 देशों पर नए सिरे से टैरिफ का ऐलान करते हुए India-US Trade Deal को लेकर कहा है कि हम भारत के साथ सौदा करने के करीब हैं.