बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर बवाल मचा हुआ है. वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर जहां एक तरफ विपक्षी पार्टियां सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रही है. वहीं, दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने एक याचिका का उल्लेख किया है, जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग को नियमित समय में वोटर लिस्ट के रिवीजव का निर्देश देने की मांग की है.
अधिवक्ता ने चुनाव आयोग को नियमित अंतराल पर विशेष रूप से संसदीय, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों से पहले ‘मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण’ करने का निर्देश देने की मांग की है. अधिवक्ता ने कहा, ऐसा करने से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि सिर्फ भारतीय नागरिक ही वोट दें, सिर्फ भारतीय नागरिक ही वोट देकर अपने मत का इस्तेमाल करें. न कि अवैध विदेशी घुसपैठिए.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
वकील ने बताया SIR को अहम
वकील उपाध्याय ने कहा कि यह बिहार मतदाता सूची का मामला है, याचिकाएं दायर की गई हैं. अगर मेरी याचिका को टैग किया जा सकता है. इस पर जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा कि याचिका के डिफेक्ट को ठीक होने दें. उसके बाद रजिस्ट्री निर्णय लेगी.
बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन पर बवाल
बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसी बीच बिहार में वोटर रिव्यू का काम शुरू हुए 2 हफ्ते हो गए हैं. अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. विपक्ष ने कोर्ट से वोटर लिस्ट रिवीजन को रोकने की अपील की है. सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार करते हुए 10 जुलाई को सुनवाई की तारीख दी है. इस बीच 9 जुलाई को आरजेडी ने बिहार में चक्का जाम की घोषणा की है.
विपक्ष का कहना है कि ऐसा करने से कई लोग वोट देने से वंचित रह जाएंगे. एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मामले को लेकर चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है. विपक्ष का कहना है कि इस प्रक्रिया से वोटबंदी कराने की कोशिश की जा रही है.
दरअसल, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए किसी भी चुनाव से पहले वोटर लिस्ट को अपडेट किया जाता है. यह एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन चुनाव आयोग ने इस बार 1 जुलाई से वोटर लिस्ट की विशेष गहन समीक्षा शुरू कर दी है.