राजस्थान में हुआ एक भीषण सड़क हादसा लखनऊ के दो परिवारों पर कहर बनकर टूटा. कार और पिकअप की टक्कर में जया शर्मा और नमन चतुर्वेदी समेत चार लोगों की मौत हो गई. जैसे ही जया और नमन के शव लखनऊ के उनके घर पहुंचे कोहराम मच गया. मां-बाप के आंसू थम नहीं रहे थे, हर किसी की आंखें नम थीं. लेकिन जया के परिवार की कहानी तो दर्द से भी ज्यादा भयावह है. पहले परिवार की बड़ी बेटी सोनाली, फिर बेटा अभिषेक और अब बेटी जया सड़क हादसे में परिवार से दूर जा चुके हैं. तीन-तीन बच्चों को सड़क हादसे में खो चुकी मां मंजू और पिता विनोद पूछ रहे हैं – हे भगवान! हमारे साथ ये क्या कर रहे हो.
पिता की चीख ने सबकी रूह कंपा दी
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
जया शर्मा के घर जैसे ही एंबुलेंस पहुंची, मातम का शोर तेज हो गया. बड़ी बहन पिंकी छोटी बहन जया का शव लेकर जैसे ही घर में घुसी मां इतना कहते बेहोश हो गई कि पहले सोनाली, फिर अभिषेक और अब तू भी जया…भगवान बेटी की जगह मुझे उठा लेता. पिता विनोद शर्मा को जैसे होश ही नहीं रहा. शव को देखकर बिलखते हुए बोले सोचा था तेरी डोली उठाऊंगा पर मेरी किस्मत में तो तेरी अर्थी उठाना लिखा था. उनकी आवाज में इतना दर्द था कि आस-पास खड़े लोग भी फूट-फूटकर रोने लगे.
ऐसे लगता गया झटका
विनोद शर्मा लखनऊ के अमीनाबाद में एक कॉस्मेटिक की दुकान चलाते हैं. साधारण, मेहनती और मध्यमवर्गीय इस परिवार में कभी पांच बच्चे थे. पिंकी, सोनाली, अभिषेक, जया और हर्षित. 17 अप्रैल 2014 को परिवार ने पहली बार मौत का ऐसा झटका झेला, जब बड़ी बेटी सोनाली एक सड़क हादसे में चल बसी. मां-बाप ने खुद को किसी तरह संभाला. लेकिन 22 अगस्त 2022 को अभिषेक की भी सड़क हादसे में मौत हो गई. वो परिवार का इकलौता बेटा था. इन दोनों चोटों से उबर ही रहे थे कि तीसरी चोट जया की मौत के रूप में आ गई. मां मंजू बार-बार एक ही बात कह रही थीं. भगवान, एक मां से तीन बच्चे क्यों छीने? उनकी रुलाई थमने का नाम नहीं ले रही थी.
नमन की मौत से दूसरा परिवार भी हुआ तबाह
इस दर्दनाक हादसे में अमीनाबाद के नमन चतुर्वेदी भी चल बसे. नमन अपने माता-पिता की आंखों का तारा, उनका इकलौता बेटा था. नमन के पिता राम कुमार चतुर्वेदी एलडीए से बाबू के पद से रिटायर हुए हैं. मां रीमा और बहन विदम के लिए नमन ही पूरी दुनिया था. नमन कैंटीन चलाता था और बेहद मिलनसार स्वभाव का था. उसके चाचा मनोज चतुर्वेदी ने बताया कि वो अपने दोस्तों के साथ कानपुर जाने की बात कहकर निकला था, पर फिर राजस्थान पहुंच गया. किसी को यह अंदाजा नहीं था कि ये सफर मौत की मंजिल तक जाएगा. जब नमन के घर उसके निधन की खबर पहुंची, तो मां रीमा बेहोश हो गईं. पिता राम कुमार जैसे सुधबुध खो बैठे. शव आते ही माहौल बिलक गया, हर कोई फफक कर रो पड़ा. मां शव से लिपटकर बार-बार कह रही थीं. तू तो मेरा सहारा था. अब कौन मुझे बेटा कहेगा.
तेज रफ्तार कार ने छीन ली चार जिंदगियां
शनिवार देर रात राजस्थान के बारां जिले में गजनपुरा हाईवे पर एक कार तेज रफ्तार में आगे चल रही पिकअप से टकरा गई. कार में सवार लोग राजस्थान के कोटा जा रहे थे. कार के परखच्चे उड़ गए. मौके पर ही लखनऊ के नमन त्रिवेदी, गोरखपुर की अंशिका मिश्रा और दिल्ली के राहुल प्रकाश की मौत हो गई. जया शर्मा को गंभीर हालत में कोटा के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसने भी दम तोड़ दिया. पुलिस ने बताया कि कार की गति बहुत ज्यादा थी और मोड़ पर नियंत्रण बिगड़ गया. टक्कर इतनी जबर्दस्त थी कि कार का अगला हिस्सा पूरी तरह चकनाचूर हो गया. चारों को निकालने के लिए गाड़ी को काटना पड़ा.
हर आंख नम, हर दिल भारी
रविवार दोपहर भैंसाकुंड में जया और नमन का अंतिम संस्कार किया गया. दोनों के पिता ने ही मुखाग्नि दी. एक तरफ विनोद शर्मा ने अपनी तीसरी संतान को अग्नि दी, तो दूसरी ओर राम कुमार ने अपने इकलौते बेटे को खोकर दुनिया से जैसे नाता तोड़ लिया. वहां मौजूद हर व्यक्ति रो रहा था. कोई कह रहा था इतने अच्छे बच्चे थे दोनों. भगवान को क्या मंज़ूर था. तो कोई बोल रहा था कि मां-बाप पर क्या गुजर रही होगी, सोचकर ही रूह कांप जाती है.