इंदरगढ़ कस्बे के बंडापारा, भडोल और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भैंसों में फैल रहा गलघोटू रोग पशुपालकों के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है। बीते 20 दिनों में 80 से ज्यादा भैंसों की मौत हो चुकी है। ग्रामीणों ने बार-बार पशु विभाग से मदद मांगी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
ग्रामीण बृजपाल गुर्जर, बालू गुर्जर और नरेंद्र गुर्जर ने बताया कि उन्होंने 25 जून से लगातार 1962 हेल्पलाइन पर कॉल किया, लेकिन आज तक कोई पशु चिकित्सक गांव नहीं पहुंचा। मजबूरी में जेसीबी बुलवाकर मृत भैंसों को खुद ही दफनाया जा रहा है।
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— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
60 हजार की भैंस गई, अब निजी डॉक्टर ही सहारा
एक पशुपालक ने बताया कि हाल ही में उसकी 60 हजार रुपए की भैंस की मौत हो गई, लेकिन विभाग की ओर से कोई नहीं आया। अब लोग निजी डॉक्टर बुलाकर इलाज करवा रहे हैं।
मंदिरों में मांगी जा रही मन्नत
ग्राम भडोल के मोहन पटवा ने बताया कि जब सरकारी मदद नहीं मिली, तो अब ग्रामीण मंदिरों में पूजा-पाठ कर रहे हैं। उनका कहना है, “अब डॉक्टर नहीं, भगवान ही भैंसों को बचा सकते हैं।”
विभाग दावा कर रहा इलाज का, जमीनी हकीकत अलग
इंदरगढ़ पशु चिकित्सक विजय शर्मा का कहना है कि बरसात में गलघोटू सामान्य रोग है और टीकाकरण न होने पर मौतें होती हैं। उन्होंने दावा किया कि विभाग की टीमें गांवों में इलाज कर रही हैं, लेकिन ग्रामीणों का अनुभव कुछ और ही कह रहा है।
टीकाकरण की तैयारी तहसीलदार दीपक यादव ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है और जल्द ही पशु चिकित्सकों की टीम भेजकर गांवों में टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा।