दिल्ली यूनिवर्सिटी (delhi university) ने सेलेबस में बदलाव करते हुए धर्म आधारित आलोचनात्मक और विवादास्पद चैप्टर्स को हटाने को फैसला किया है. दरअसल, डीयू की ओर से पोस्ट ग्रेजुएट के पॉलिटिकल साइंस और हिस्ट्री के सेलेबस से वो कंटेंट हटाया जा रहा है, जिसमें हिंदू राष्ट्रवाद, धर्मांतरण, हिंदू-मुस्लिम रिश्ते आदि पर चैप्टर शामिल थे. डीयू ने ऐसे चैप्टर को हटाने का फैसला किया है.
किन किताबों को हटाया गया?
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
नए प्रस्तावित सेलेबस में क्रिस्टोफ जैफरलॉट के द्वारा लिखित ‘हिंदू नेशनलिज्म: ए रीडर’ को शामिल नहीं किया गया है, जिसमें हिंदू राष्ट्रवाद की वैचारिक जड़ों के बारे में बताया गया था. इसके अलावा अमिता बाविस्कर की किताब ‘इन द बेली ऑफ द रिवर: ट्राइबल कॉन्फ्लिक्ट्स ओवर डेवलपमेंट इन द नर्मदा वैली’ को भी कोर्स से हटा दिया गया है. इसके साथ ही नर्मदा बचाओ आंदोलन और आदिवासी समुदायों के ‘हिंदूकरण’ पर फोकस करने वाली किताब ‘पब्लिक पॉलिसी इन साउथ एशिया’ को भी पैनल की ओर संवेदनशील माना गया है.
साथ ही ज्ञानेंद्र पांडे की ‘रूटीन वायलेंस: नेशंस, फ्रैगमेंट्स, हिस्ट्री’ को भी सेलेबस से हटा दिया गया है. इस किताब में अलग-अलग आठ निबंधों के जरिए भारत में दक्षिणपंथी राष्ट्रवाद के उदय का आलोचनात्मक अध्ययन किया गया है. इसके साथ ही इस किताब में वीडी सावरकर और एमएस गोलवलकर के कार्यों की आलोचना की गई है और गांधी के भी कई दृष्टिकोण की आलोचना की गई है.
हालांकि, डीयू की ओर से इन बदलावों को मामूली बताया गया है. डीयू की ओर से सिर्फ राजनीतिक विज्ञान विषय के कंटेंट में ही बदलाव नहीं किया गया है, जबकि एमए इतिहास के सेलेबस में भी कई चैप्टर्स को हटाया गया है.
इतिहास में फिलिप बी. वैगनर के निबंध ‘सुल्तान अमंग हिंदू किंग्स: ड्रेस, टाइटल्स एंड इस्लामिएशन ऑफ हिदू कल्चर एट विजयनगर’ को भी हटाया जा रहा है. इसके साथ ही इतिहासकार रिचर्ड एम. ईटन द्वारा लिखित ‘द राइज ऑफ इस्लाम एंड द बंगाल फ्रंटियर’ को भी हटाया जा रहा है, जिसमें जबरन धर्मांतरण के प्रमुख आख्यानों को चुनौती दी गई और बंगाल में इस्लाम के प्रसार के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के बारे में बताया गया है.
बता दें कि जून में, डीयू ने ग्लोबल पॉलिटिक्स में पीजी राजनीति विज्ञान सेलेबस से पाकिस्तान, चीन और इस्लाम से संबंधित पूरे पेपर हटाने को भी मंजूरी दे दी थी.