राजधानी रायपुर में स्थित श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय विवादों के घेरे में है। पहले राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) को मेडिकल कॉलेज की सीटें बढ़वाने के लिए कथित रिश्वत देने और बी.फार्मा छात्रों से मनमानी फीस वसूली के आरोप लगे, अब पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों को लेकर गंभीर अनियमितता उजागर हुई है।
विश्वविद्यालय में बीएमएलटी (बैचलर ऑफ मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलाजी), डीएमएलटी (डिप्लोमा इन मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलाजी), डायलिसिस और आप्टोमेट्री जैसे कोर्स बिना छत्तीसगढ़ पैरामेडिकल काउंसिल की मान्यता के संचालित किए जा रहे हैं। छात्रों से हर वर्ष एक-एक लाख रुपये की फीस वसूली जा रही है। बताया जा रहा है कि अब तक एक बैच पासआउट भी हो चुका है, लेकिन न तो उनका रजिस्ट्रेशन हुआ और न ही वे कहीं रोजगार के पात्र माने जा रहे हैं।
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छात्रों का आरोप है कि प्रवेश के समय विश्वविद्यालय प्रबंधन ने यह कहकर भ्रमित किया कि सभी कोर्स काउंसिल से मान्यता प्राप्त हैं। लेकिन जब वे रजिस्ट्रेशन कराने पहुंचे तो पता चला कि न तो कोर्स को मान्यता मिली है और न ही दो या तीन वर्ष वाले पाठ्यक्रमों का राज्य में कोई रजिस्ट्रेशन होता है।
विशेषज्ञों की मानें तो छत्तीसगढ़ में केवल एक वर्षीय पैरामेडिकल पाठ्यक्रम ही अधिकृत रूप से रजिस्टर्ड होते हैं। दो और तीन वर्षीय कोर्सों को वैधानिक मान्यता नहीं मिलती। वहीं आप्टोमेट्री कोर्स को तो राज्य शासन ने पहले ही बंद कर दिया है। इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार इन पाठ्यक्रमों में नामांकन लेकर छात्रों का शोषण कर रहा है।
प्रशासनिक पक्ष और जवाबदेही
चिकित्सा शिक्षा विभाग के संचालक डॉ. यूएस पैंकरा ने स्पष्ट किया कि इन पाठ्यक्रमों से चिकित्सा शिक्षा विभाग का कोई लेना-देना नहीं है और यह पूरी तरह छत्तीसगढ़ पैरामेडिकल काउंसिल की जिम्मेदारी है। आयुष विश्वविद्यालय के डीन डॉ. पीके पात्रा ने कहा कि सर्टिफिकेट कोर्स की मान्यता केवल राज्य शासन और काउंसिल के तहत दी जाती है, न कि विवि अपने स्तर पर चला सकता है।
वि.वि. प्रबंधन की सफाई
श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय के सीपीआरओ राजेश तिवारी का दावा है कि कोर्ट ने कुछ विद्यार्थियों के रजिस्ट्रेशन के लिए काउंसिल को निर्देशित किया है। भविष्य से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। विवि तकनीकी रूप से दक्ष युवाओं को प्रशिक्षित कर रहा है।
काउंसिल का पलटवार
छत्तीसगढ़ पैरामेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ. जितेंद्र तिवारी ने साफ किया कि गैर मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमों का रजिस्ट्रेशन संभव नहीं है। कोर्ट के आदेश के बावजूद अब तक किसी छात्र का रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया है।
छात्रों और एनएसयूआइ का प्रदर्शन
बिना मान्यता के कोर्सों के खिलाफ छात्रों का आक्रोश अब सड़क पर उतर आया है। मंगलवार को एनएसयूआइ कार्यकर्ताओं के साथ विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्र काउंसिल के रजिस्ट्रार कार्यालय पहुंचे और विरोधस्वरूप श्रीफल भेंट कर प्रदर्शन किया। छात्रों ने हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी की और मान्यता देने की गुहार लगाई।
एनएसयूआई जिला अध्यक्ष प्रशांत गोस्वामी ने बताया कि चार वर्षों से विश्वविद्यालय इन अवैध पाठ्यक्रमों को संचालित कर रहा है और छात्रों को गुमराह कर लाखों रुपये वसूले जा चुके हैं। अब जब छात्र रजिस्ट्रेशन के लिए काउंसिल के चक्कर काट रहे हैं, तो कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही उचित कार्रवाई नहीं हुई तो कलेक्ट्रेट घेराव और राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ पैरामेडिकल काउंसिल और राज्य शासन की होगी। इस दौरान एनएसयूआइ प्रदेश महासचिव निखिल वंजारी, जिलाध्यक्ष शिवांक सिंह व अन्य मौजूद रहे।