Rajasthan: सरकार को चेतावनी: नीतियों पर अड़े रहने पर व्यापक आंदोलन की तैयारी

उदयपुर: केंद्र सरकार द्वारा लागू किए जा रहे चार नए श्रम संहिताओं के विरोध में देशभर के मजदूर संगठनों ने अब “आर-पार की लड़ाई” का बिगुल फूंक दिया है। बुधवार को इंटक (INTUC), एटक (AITUC), एचएमएस (HMS), सीटू (CITU), एक्टू (ACTU) सहित कई राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों से जुड़े पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा.

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संगठन प्रतिनिधियों ने इस दौरान केंद्र सरकार पर पूंजीपतियों और उद्योगपतियों के दबाव में श्रमिकों के अधिकारों को खत्म करने वाली नीतियां लागू करने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि ये चार लेबर कोड श्रमिकों के काम के घंटे बढ़ाने, यूनियन बनाने की स्वतंत्रता पर रोक लगाने और न्यूनतम वेतन जैसे कानूनी अधिकारों को कमजोर करने की एक सुनियोजित साजिश है.

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ज्ञापन में स्पष्ट रूप से मांग की गई कि स्वतंत्रता से पहले बनाए गए श्रम कानूनों को बरकरार रखा जाए। साथ ही, 300 से अधिक कामगारों वाले कारखानों को बिना किसी ठोस कारण के बंद करने की छूट देने वाले नियमों को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए.

यूनियन प्रतिनिधियों ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि इन “मजदूर विरोधी” नीतियों को वापस नहीं लिया गया, तो श्रमिक संगठन एक व्यापक आंदोलन शुरू करने के लिए मजबूर होंगे। उन्होंने राष्ट्रपति से अपील की कि वे केंद्र सरकार को इन कानूनों को लागू करने से रोकें और श्रमिकों के हित में पुराने श्रम कानूनों को यथावत रखने के निर्देश दें। मजदूर संगठनों ने कहा कि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं.

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