काशी में डूबे घाट, बदली आरती की जगह, पंडा-पुजारी कर रहे पलायन… छत पर हो रहा अंतिम संस्कार

वाराणसी में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. गंगा उफान पर है. दो सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गंगा का जलस्तर ऊपर की ओर आ रहा है. पक्के घाटों का संपर्क टूट जाने से गंगा घाटों पर लोगों का आवागमन बंद हो चुका है. सीढ़ियों के डूब जाने से घाटों की खूबसूरती गंगा के पानी में समा चुकी है. एहतियात के तौर पर छोटी और मझोली नावों के संचालन पर रोक लगा दी गई है. इसके अलावा बड़ी मोटरबोट को क्षमता से आधी ही सवारी बैठाने की अनुमति है.

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गंगा में बाढ़ की वजह से घाट से छोटे अस्थाई दुकानदार विस्थापित होने पर मजबूर हैं. पंडा-पुजारी भी रोज अपनी चौकियों और छतरी को बाढ़ से बचने के लिए ऊंचाई पर ले जा रहे हैं. महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर 5 में से शवदाह वाले 3 प्लेटफार्म के डूब चुके हैं. अब सिर्फ 2 ही प्लेटफार्म बचे हैं. अब ऐसी परिस्थिति के लिए बनाए गए छत पर लोगों को शवदाह करना पड़ रहा है.

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आरती स्थल डूबा

गंगा आरती कराने वाली संस्था ‘गंगा सेवा निधि’ ने बताया कि अब दशाश्वमेध घाट का विश्वप्रसिद्ध आरती स्थल भी जलमग्न हो चुका है. इसकी वजह से गंगा आरती स्थल को 8-10 फीट पीछे हटा दिया गया है. इस साल पहली बार है जब गंगा आरती का स्थल बदला गया है.

संस्था ने बताया कि जैसे-जैसे बाढ़ का पानी ऊपर आएगा वैसे-वैसे आरती की जगह बदलेगी. जगह के अभाव में आरती 7 के बजाए 5 और फिर 3 प्लेटफार्म पर ही करनी पड़ेगी. कई दिनों से गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. मंगलवार को भी जलस्तर में वृद्धि दर्ज की गई. दो सेंटीमीटर/घंटे की रफ्तार से जलस्तर बढ़ रहा है. फिलहाल जलस्तर 64 मीटर के पास पहुंच गया है.

Kashi Ghat

आगे भी बदल सकती है जगह

आरती की जगह बदलने के बावजूद हजारों की संख्या में श्रद्धालु मां गंगा की दैनिक संध्या आरती में शामिल हुए. इस दौरान गंगा सेवा निधि के वालेंटियर एवम् सेवादार व पुलिस कर्मी सुरक्षा के लिए मौजूद रहे. इस संबंध में गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मां गंगा का जलस्तर बढ़ गया है. ऐसे में गंगा आरती का स्थान आज पहली बार परिवर्तित किया गया है.

उन्होंने बताया कि अब जैसे-जैसे गंगा का जलस्तर बढ़ेगा वैसे-वैसे स्थान बदलता जाएगा. इसके अलावा गंगा का जलस्तर बढ़ने से घाटों का आपसी संपर्क भी टूट गया है. ऐसे में श्रद्धालुओं को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. दर्शनार्थियों के सुरक्षा के लिए जरूरी अनाउंसमेंट किए जा रहे है. आरती के दौरान सतर्कता बरती जा रही है.

नाविक और पुरोहित परेशान

नाविक शंभू निषाद ने बताया कि लगभग ढाई हजार छोटी-बड़ी नाव हैं. इस पर ढाई हजार नाविकों का परिवार निर्भर करता है, लेकिन बाढ़ के मौसम में 3 महीने रोजी-रोटी छिन जाती है. नाविकों से स्वेच्छा से छोटी और मझोली नाव के संचालन को रोक दिया है. सिर्फ बड़ी मोटरबोट का ही संचालन हो रहा है.

तीर्थ पुरोहितों ने बताया कि बीते एक हफ्ते से गंगा का जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ रहा है, जिसके चलते अब आरती स्थल भी डूब गया है. इस वजह से उन्हें समय-समय पर अपनी चौकी-छतरी को ऊंचाई पर ले जाकर पूजा-पाठ करना पड़ता है. इस स्थिति में बाढ़ के चलते जगह का अभाव हो जाता है.

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