हाथियों की ‘दादी’ नहीं रहीं! 103 वर्षीय वत्सला की विदाई से पन्ना जंगल हुआ ग़मगीन

पन्ना : जीवन के 103 बसंत पार करने के बाद हथिनी वत्सला के दुनिया छोड़ देने से पन्ना टाइगर रिजर्व में सूनापन नजर आ रहा है.वत्सला के शव का अंतिम संस्कार हितौन कैंप के खिरिया जंगल में किया गया.केंद्रीय कृषि मंत्री व मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्यमंत्री मोहन यादव ने श्रद्धांजलि दी.कहा कि पन्ना टाइगर रिजर्व की माटी और हमारे मन में वत्सला की स्मृतियां हमेशा जीवित रहेंगी.

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पन्ना टाइगर रिजर्व के डॉक्टर संजीव गुप्ता ने बताया कि बुजुर्ग हथिनी वत्सला जंगलों में हाथियों की मुख्य संरक्षक और सखी थी.वह हाथियों की संवेदनाओं के प्रति बहुत ही संवेदनशील थी.उसकी आंखों में अनुभव का सागर था.हाथियों की दादी बनकर वत्सला ने उनके बच्चों की देखभाल की. बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व में मेरे कार्यकाल में अब तक 15 हाथी के बच्चों का जन्म हुआ, लेकिन किसी भी डिलीवरी में इंजेक्शन या उपचार की जरूरत नहीं पड़ी.हथिनी वत्सला ने दक्ष दाई की तरह हथिनियों का प्रसव कराया.

 

 

बताया कि वर्ष 2000 में ज्वाइनिंग के बाद वत्सला का स्वास्थ्य परीक्षण किया था.उस समय उसके दांत गिर चुके थे. तब उसकी उम्र 80 से 85 वर्ष रही होगी.उस हिसाब से अब वत्सला की उम्र 103 या 105 वर्ष आंकी जा रही है, जो दुनिया में जीवित हाथियों में सबसे अधिक है.

 

इधर, केंद्रीय कृषि मंत्री ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखते हुए कहा कि दुखद समाचार ने उनके हृदय को व्यथित कर दिया. पन्ना टाइगर रिजर्व की गौरवशाली धरोहर हम सबकी अत्यंत प्रिय हथिनी वत्सला अब हमारे बीच नहीं रहीं.

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