भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तेलंगाना के गोशामहल से विधायक टी राजा सिंह का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. पार्टी ने उनके द्वारा लगाए गए आरोपों को अप्रासंगिक और पार्टी की विचारधारा के खिलाफ बताते हुए खारिज कर दिया है. बता दें कि 30 जून 2025 को राजा सिंह ने तेलंगाना भाजपा अध्यक्ष जी किशन रेड्डी को पत्र लिखकर इस्तीफा दिया था.
उन्होंने तेलंगाना इकाई के नए अध्यक्ष के तौर पर रामचंदर राव की संभावित नियुक्ति पर नाराजगी जताई थी. अपने पत्र में राजा सिंह ने कहा था कि यह फैसला उनके और लाखों कार्यकर्ताओं के लिए निराशाजनक है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि कुछ लोग निजी स्वार्थों के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को गुमराह कर रहे हैं. जिसके चलते उन्हें ये कदम उठाना पड़ा था.
भाजपा अध्यक्ष ने इस्तीफे को किया स्वीकार
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने 11 जुलाई को राजा सिंह को पत्र लिखकर सूचित किया कि उनका इस्तीफा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के निर्देश पर तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया गया है. अरुण सिंह ने कहा कि ‘आपके पत्र में उल्लिखित बातें पार्टी की कार्यप्रणाली, विचारधारा और सिद्धांतों से मेल नहीं खातीं है. जिसके चलते आपका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है.’ उन्होंने साफ किया कि राजा सिंह के आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं.
हिंदुत्व की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध रहूंगा: राजा
तीन बार के विधायक टी राजा सिंह ने अपने पत्र में कहा था कि तेलंगाना में भाजपा के पास पहली बार सरकार बनाने का मौका था. लेकिन गलत नेतृत्व के चयन से यह अवसर खतरे में पड़ सकता है. उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से नेतृत्व के फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की थी. राजा सिंह ने यह भी कहा था कि वह हिंदुत्व की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध रहेंगे और हिंदू समुदाय के लिए काम करते रहेंगे.
क्या है पार्टी का रुख?
भाजपा ने राजा सिंह के इस्तीफे को अनुशासनात्मक आधार पर स्वीकार किया है. पार्टी प्रवक्ता रानी रुद्रमा देवी ने कहा कि राजा सिंह के साथ कोई व्यक्तिगत विवाद नहीं है, लेकिन उनके आरोप पार्टी के मूल्यों के अनुरूप नहीं हैं. उन्होंने यह भी बताया कि राजा सिंह को पहले भी निलंबन का सामना करना पड़ा था, लेकिन पार्टी ने उन्हें वापस लिया था. राजा सिंह ने कहा था कि उनका इस्तीफा व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा का परिणाम नहीं है, बल्कि यह लाखों कार्यकर्ताओं की नाराजगी को दर्शाता है. हालांकि, पार्टी ने उनके इस्तीफे को स्वीकार कर यह साफ कर दिया है कि वह अपने फैसले पर अडिग है.