अंतरिक्ष से शुभांशु शुक्ला की विदाई, अनडॉकिंग से पहले बोले- भारत सारे जहां से अच्छा 

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (iss) पर ऐतिहासिक यात्रा पूरी करने के बाद अंतरिक्ष से विदाई लेंगे. ये खास पल एक विदाई समारोह के रूप में आज शाम 7:25 बजे (भारतीय समयानुसार) आयोजित किया गया. ये समारोह LIVE प्रसारित किया गया, जिसे दुनियाभर में लाखों लोगों ने देखा. फेयरवेल प्रोग्राम में Ax-4 मिशन की टीम और NASA की Expedition 73 टीम के सदस्य भी शामिल रहे. बता दें कि शुभांशु शुक्ला ISS पर पहुंचने वाले पहले भारतीय हैं. फेयरवेल समारोह में शुभांशु शुक्ला ने भारत के लिए मैसेज देते हुए कहा कि- सारे जहां से अच्छा.

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बता दें कि 26 जून 2025 को नासा के केनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के ड्रैगन यान के जरिए शुभांशु शुक्ला और उनके साथी Ax-4 मिशन पर रवाना हुए थे. इस मिशन में अमेरिका की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन कमांडर के रूप में थीं, जबकि अन्य सदस्य पोलैंड के सावोस्ज़ उज़नान्स्की और हंगरी के तिबोर कपू थे.

इन चारों ने कुल 250 से अधिक बार पृथ्वी की परिक्रमा की और 6 मिलियन मील से ज्यादा की दूरी तय की. 17 दिन की इस यात्रा के दौरान अंतरिक्ष यान के दल ने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें माइक्रोएल्गी पर रिसर्च और नई सेंट्रीफ्यूगेशन तकनीकें शामिल हैं.

15 जुलाई को धरती पर आएंगे, ये होगी प्रोसेस

फेयरवेल सेरेमनी के बाद 14 जुलाई को दोपहर 2:25 बजे (IST) क्रू स्पेसएक्स के ड्रैगन एयरक्राफ्ट में सवार होगा और जरूरी प्री-फ्लाइट जांच पूरी करने के बाद शाम 4:34 बजे ISS से अलग हो जाएगा. उनका पृथ्वी पर लौटना 15 जुलाई को दोपहर करीब 3:00 बजे कैलिफोर्निया के तट पर स्प्लैशडाउन के साथ होगा. ISRO के अनुसार, पृथ्वी पर लौटने के बाद शुभांशु शुक्ला को 7 दिन के रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम से गुजरना होगा, ताकि वे पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण स्थिति में सहज हो सकें.

शुभांशु की वापसी का उनके परिवार को बेसब्री से इंतजार है. उनके गृहनगर में उनके स्वागत की जोर-शोर से तैयारियां की जा रही हैं. यह उपलब्धि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है. राकेश शर्मा के बाद शुभांशु अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने हैं, जबकि ISS पर पहुंचने वाले पहले भारतीय हैं. उन्होंने भारत की वैज्ञानिक प्रतिष्ठा को अंतरराष्ट्रीय मंच पर और मजबूत किया है और देशभर के युवाओं को प्रेरणा दी है. शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से, बल्कि राष्ट्रीय गौरव के रूप में भी महत्वपूर्ण है. जब शुभांशु अंतरिक्ष से विदाई लेंगे, तो उनके नाम के साथ भारत का नाम भी गौरव से जुड़ चुका होगा. उनका ये मिशन देश के लिए गर्व और प्रेरणा का प्रतीक बन गया है.

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