इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) के रिप्रेजेंटेटिव महिर बिनिसी ने रविवार को कहा कि पाकिस्तान की आर्थिक सुधारों की दिशा अब तक “मजबूत” रही है. यह बयान उस समय आया है जब पाकिस्तान IMF के 7 अरब डॉलर के तीन साल के एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) प्रोग्राम के तहत अपने पहले सफल समीक्षा चरण को पूरा कर चुका है.
IMF और पाकिस्तान के बीच यह समझौता जुलाई 2024 में हुआ था. मई 2025 में IMF की एग्जीक्यूटिव बोर्ड द्वारा की गई पहली समीक्षा को एक अहम पड़ाव के रूप में देखा जा रहा है.
मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता की दिशा में प्रोग्रेस
महिर बिनिसी ने कहा कि शुरुआती नीतिगत कदमों से पाकिस्तान को मैक्रोइकोनॉमिक स्थिरता हासिल करने और निवेशकों के भरोसे को फिर से हासिल करने में मदद मिली है, भले ही बाहरी चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं. उन्होंने कहा कि अब तक दो किश्तों में IMF ने पाकिस्तान को राशि जारी की है और पाकिस्तान तय किए गए दिशा-निर्देशों का ईमानदारी से पालन कर रहा है.
सुधारों की अहम भूमिका
आईएमएफ के रिप्रेजेंटेटिव बिनिसी ने स्पष्ट किया कि लॉन्ग रन में आर्थिक स्थिरता के लिए संरचनात्मक सुधार बेहद जरूरी हैं. इसमें टैक्स सिस्टम में समानता लाना, व्यापारिक माहौल को बेहतर बनाना और प्राइवेट सेक्टर के नेतृत्व वाले निवेश को बढ़ावा देना शामिल है.
आईएमएफ के अधिकारी ने यह भी बताया कि IMF पाकिस्तान के आर्थिक और जलवायु सुधार एजेंडे का समर्थन करता रहेगा. मार्च 2025 में 1.3 अरब डॉलर की Resilience and Sustainability Facility (RSF) योजना के माध्यम से पाकिस्तान जैसे देशों को जलवायु संकटों से निपटने और अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में मदद दी जा रही है.
जलवायु सुधारों की प्राथमिकता
RSF योजना के तहत पाकिस्तान में जिन क्षेत्रों में सुधार किए जाने हैं, उनमें सार्वजनिक निवेश योजना को मजबूत बनाना, जल संसाधनों के प्रभावी इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना, आपदा तैयारियों के लिए संस्थागत कोऑर्डिनेशन को बेहतर बनाना और जलवायु संबंधित आंकड़ों की ट्रांसपेरेंसी और मौजूदगी बढ़ाना शामिल है.
बिनिसी ने कहा कि RSF योजना से पाकिस्तान को हरित निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और देश की आर्थिक नीतियों में जलवायु जागरूकता को मजबूती मिलेगी.
MENA और पाकिस्तान की आर्थिक संभावनाएं
आईएमएफ के अधिकारी ने वेस्ट एशिया और उत्तर अफ्रीका (MENA) क्षेत्र की आर्थिक स्थिति पर भी बात की. उन्होंने कहा कि MENA क्षेत्र और पाकिस्तान में 2025 और उसके बाद आर्थिक बढ़ोतरी की संभावनाएं मजबूत दिख रही हैं. हालांकि उन्होंने आगाह किया कि व्यापारिक तनाव, भू-राजनीतिक अस्थिरता और वैश्विक सहयोग में कमी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर डाल सकती है.