सावन का पहला सोमवार: अमरकंटक और ज्वालेश्वर में शिव भक्ति की धूम, कांवड़ियों का तांता

जीपीएम: सावन के पवित्र महीने के पहले सोमवार को मध्यप्रदेश के अमरकंटक और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित ज्वालेश्वर में भगवान शिव की भक्ति का अनुपम नजारा देखने को मिला। नर्मदा उद्गम स्थल अमरकंटक से जल लेकर सैकड़ों कांवरिए आठ किलोमीटर पैदल चलकर छत्तीसगढ़ के ज्वालेश्वर महादेव मंदिर पहुंचे, जहां स्वयंभू शिवलिंग पर जलाभिषेक किया गया। इस दौरान “बोल बम” के उद्घोष से आसमान गूंज उठा.

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सावन का महीना शिव भक्ति का प्रतीक माना जाता है, और इस दिन अमरकंटक के नर्मदा उद्गम और ज्वालेश्वर महादेव का विशेष धार्मिक महत्व होता है. ब्रह्ममुहूर्त से ही कांवरियों और श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा से आए श्रद्धालुओं ने नर्मदा उद्गम से जल भरा और विशेष पूजा-अर्चना के बाद कांवरों की आरती के साथ ज्वालेश्वर के लिए रवाना हुए.

ज्वालेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं ने नर्मदा जल, बेलपत्र, दूध, दही और अन्य सामग्री से भगवान शिव का जलाभिषेक किया और मनोकामना के लिए प्रार्थना की। कांवरियों ने मां नर्मदा से आशीर्वाद लेकर भक्ति भाव के साथ अपनी यात्रा पूरी की.

हालांकि ज्वालेश्वर सामान्य दिनों में पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है, लेकिन सावन के इस विशेष दिन पर इसका धार्मिक और पौराणिक महत्व उभरकर सामने आता है। मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ इस स्थान की आध्यात्मिक महत्ता को दर्शाती है.

 

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