महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी रविवार को मोतिहारी में थे. यहां तुषार गांधी उसी ऐतिहासिक नीम के पेड़ के नीचे बैठे थे, जहां बैठकर चंपारण सत्याग्रह के दौरान महात्मा गांधी ने किसानों की पीड़ा सुनी थी. यह पेड़ 100 साल से भी ज्यादा पुराना है. तुषार गांधी 12 तारीख को पश्चिम चंपारण से पदयात्रा शुरू कर रविवार को तुरकौलिया थे.
लेकिन रविवार को यहां तुषार गांधी के साथ स्थानीय मुखिया ने बदसलूकी की और अपमानित कर उन्हें सभा से भगा दिया. बापू के संघर्षों को याद करने के लिए शुरू की गई एक यात्रा राजनीतिक छींटाकशी का शिकार हो गई.
रिपोर्ट के मुताबिक तुषार गांधी तुरकौलिया में नीम के पेड़ के नीचे एक संगोष्ठी में शामिल हो रहे थे. इस दौरान तुषार गांधी के साथ आए एक पदयात्री ने महागठबंधन को वोट देने की अपील करने लगे और महागठबंधन के उम्मीदवारों को जिताने की अपील करने लगे.
ये बात कार्यक्रम के आयोजक और स्थानीय मुखिया बिनय सिंह को नागवार गुजरी और वे गांधीजी के प्रपौत्र तुषार गांधी पर बुरी तरह बरसने लगे. स्थानीय मुखिया ने कहा कि लोग सीएम नीतीश कुमार और पीएम नरेंद्र मोदी के कामों से खुश हैं. नीतीश सरकार अच्छी है, मोदी सरकार में सभी का कल्याण हुआ है.
स्थानीय मुखिया ने गांधी जी परपोते से कहा कि आप जाइए आपके प्रोग्राम में हम शामिल नहीं होना चाहते हैं, आप गांधी जी के नाम को ढो रहे हैं. इसमें गांधीवाद नहीं है. आप गांधी जी के वंशज नहीं हो सकते हैं. आपको शर्म आनी चाहिए. आप गांधी के वंशज हैं.
मुखिया के ऐसे बयान पर तुषार गांधी भी भड़क गए. उन्होंने कहा कि आप शांति से बात कीजिए. आप तमीज से बात कीजिए. इसके बाद स्थानीय मुखिया और तुषार गांधी के बीच काफी गर्मागर्म बहस हुई. हालात बिगड़ते देख वहां लोगों को बीच बचाव करना पड़ा.
तभी मुखिया बिनय सिंह ने उन्हें वहां से चले जाने को कहा और वे उग्र हो गए. इसके बाद स्थानीय लोगों और कार्यक्रम में मौजूद गांधीवादियों ने भी मुखिया का जमकर विरोध किया. माहौल तनावपूर्ण होता देख तुषार गांधी कार्यक्रम से बाहर आ गए. उसके बाद तुषार गांधी ने बाहर आकर लोगों से बात की और मुखिया पर बरसे.
उन्होंने कहा कि वे डरने वाले नहीं है. विरोध की आवाज को दबाया नहीं जा सकता है. वे पूरे देश में ऐसा करते रहेंगे. तुषार गांधी ने मुखिया को गोडसे का वंशज करार दिया. और कहा कि यहां बुलाकर उनका अपमान किया गया है. तुषार गांधी ने कहा कि यहां केवल मेरा नहीं बल्कि गांधीवाद और लोकतंत्र का अपमान हुआ है. चंपारण की धरती पर इस तरह का व्यवहार दुखद है. यहां लोकतंत्र की हत्या हुई है.
बता दें कि महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने 12 तारीख से भितिरवा आश्रम से पदयात्रा पर हैं. पदयात्रा के क्रम में तुषार गांधी तुरकौलिया पहुंचे थे जहां पर उन्होंने ऐतिहासिक नीम का पेड़ देखा. इसके बाद तुरकौलिया पूर्व के मुखिया के बुलावे पर ऐतिहासिक नीम का पेड़ देखने के लिए पहुंचे थे. जहां ये विवाद हुआ.