अमेठी: जिले का एआरटीओ (ARTO) कार्यालय इन दिनों अव्यवस्थाओं और दलालों की सक्रियता को लेकर सुर्खियों में है. सोमवार को जब लोग अपने विभिन्न कार्यों के लिए एआरटीओ कार्यालय पहुंचे, तो उन्हें निराशा ही हाथ लगी. कार्यालय के निचले तल पर बने काउंटर पूरी तरह से खाली थे और कोई भी कर्मचारी मौजूद नहीं था, जिससे लोग इधर-उधर भटकते नजर आए.
सबसे चौंकाने वाला दृश्य कार्यालय के कमरे नंबर 9 में देखा गया, जहां फाइलें रखी जाती हैं. इस कमरे में करीब सात-आठ बाहरी लोग आवेदनों पर अप्रूवल देते दिखे. जैसे ही मीडिया का कैमरा देखा तो, कुछ लोग भागने लगे तो कुछ ने अपना चेहरा छिपा लिया.
कार्यालय में मौजूद एक कर्मचारी ने बताया कि अधिकारी अपने साथ कुछ बाहरी लोगों को लेकर आते हैं, जो अंदर बंद कमरे में काम कर रहे हैं. ये लोग कौन हैं और कहां से हैं, इसकी जानकारी उन्हें भी नहीं है. स्थानीय लोगों के अनुसार, एआरटीओ कार्यालय में पहले भी दलालों का बोलबाला था, लेकिन अब स्थिति और भी बदतर हो गई है. अब बिना किसी बाहरी व्यक्ति की मदद के कोई भी कार्य करवाना संभव नहीं रह गया है.
सूत्रों की मानें तो, लगभग ₹1400 में बनने वाले ड्राइविंग लाइसेंस के लिए लोगों को अब ₹7000 से ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं. यही नहीं, आम नागरिकों को अपने जरूरी काम करवाने के लिए कई दिनों तक चक्कर काटने पड़ रहे हैं.
प्रतापगढ़ से ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन करवाने आए तारकेश्वर सिंह ने बताया कि वह पिछले तीन दिन से कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई भी काम नहीं हो रहा. एआरटीओ से मिलने पर उन्हें बाबू के पास भेजा गया और बाबू की जानकारी लेने पर बताया गया कि वह ‘महाकाल गए हैं’. वहीं एक अन्य आवेदक राजेश कुमार ने बताया कि वह अपनी गाड़ी का ट्रांसफर करवाने आया था, लेकिन पूरे कार्यालय में कोई भी कर्मचारी नजर नहीं आया.
जब इस पूरे मामले पर एआरटीओ महेश बाबू गुप्ता से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि कार्यालय में कोई बाहरी व्यक्ति कार्यरत नहीं है. सभी कार्य काउंटर के माध्यम से ही किए जाते हैं.