देश में खुदरा और थोक महंगाई में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. खास बात तो ये है जून के महीने की खुदरा महंगाई में 70 बेसिस प्वाइंट से ज्यादा की गिरावट देखी गई, जो सभी के अनुमान से ज्यादा गिरावट है. जिसके बाद खुदरा महंगाई के आंकड़े 2.1 फीसदी पर आ गए हैं. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या महंगाई के कम होने का असर आम लोगों की लोन ईएमआई पर देखने को मिलेगा या नहीं. उसका कारण भी है. खुदरा महंगाई में गिरावट 70 बेसिस प्वाइंट से ज्यादा की है.
ऐसे में आरबीआई के पास एक और ब्याज दरों में कटौकी विंडो खुल गई है. जानकारों की मानें तो अगस्त में होने वाली आरबीआई एमपीसी की बैठक में रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की जा सकती है? वैसे पिछली पॉलिसी मीटिंग में आरबीआई एमपीसी ने अपनी पॉलिसी के स्टांस को न्यूट्रल कर लिया था. साथ ही रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी, जो कि बीते कई सालों में एक बार में की सबसे बड़ी कटौती थी.
वैसे आरबीआई मौजूदा साल में 3 और मौजूदा वित्त वर्ष में 2 कटौती कर चुका है. लगातार तीन रेट कट के बाद आरबीआई का रेपो रेट एक फीसदी कम होकर 5.5 फीसदी पर आ गया है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर महंगाई के आंकड़े किस लेवल पर आ गए हैं और ब्याज दरों में कटौती को लेकर किस तरह का फैसला लिया जा सकता है.
खुदरा महंगाई में बड़ी गिरावट
बेहतर मानसून के साथ सब्जियों समेत अन्य खाने का सामान सस्ता होने से खुदरा मुद्रास्फीति जून में छह साल के निचले स्तर 2.1 प्रतिशत पर रही है. यह भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से काफी नीचे है. सीपीआई आधारित महंगाई मई में 2.82 प्रतिशत और जून, 2024 में 5.08 प्रतिशत थी. नवंबर, 2024 से महंगाई दर में लगातार गिरावट आ रही है. एनएसओ ने एक बयान में कहा कि इस साल जून में सीपीआई आधारित महंगाई सालाना आधार पर 2.1 प्रतिशत रही.
इसमें कहा गया कि इस साल मई की तुलना में जून की सकल महंगाई में 0.72 फीसदी की गिरावट आई है. यह जनवरी, 2019 के बाद महंगाई की सबसे कम दर है. इससे पहले जनवरी, 2019 में महंगाई का निचला स्तर 1.97 प्रतिशत था. एनएसओ ने कहा कि जून, 2025 में महंगाई और खाद्य महंगाई में उल्लेखनीय गिरावट मुख्य रूप से अनुकूल तुलनात्मक आधार और सब्जियों, दालों और उसके उत्पादों, मांस और मछली, अनाज और उत्पादों, चीनी और मिष्ठान्न, दूध और उसके उत्पादों तथा मसालों की कीमतों में गिरावट के कारण है.
थोक महंगाई में भी गिरावट
इस बीच, थोक महंगाई में भी गिरावट आई है और जून में यह 19 महीने के बाद शून्य से नीचे 0.13 प्रतिशत रही. मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों और ईंधन के दाम में गिरावट के साथ विनिर्मित उत्पादों की कीमत में नरमी से थोक महंगाई दर कम हुई है. डब्ल्यूपीआई आधारित महंगाई मई में 0.39 प्रतिशत रही. पिछले साल जून में यह 3.43 प्रतिशत थी. उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि महंगाई में जून महीने में गिरावट का कारण मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों, खनिज तेलों, मूल धातुओं के मैन्युफैक्चरिंग, क्रूड पेट्रोलियम और नेचुरल गैस गैस आदि की कीमतों में कमी है.
डब्ल्यूपीआई इंडेक्स के आंकड़ों के अनुसार, जून में खाद्य पदार्थों की महंगाई में 3.75 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि मई में इसमें 1.56 प्रतिशत की गिरावट आई थी. सब्जियों की कीमतों में भी भारी गिरावट आई है. एनएसओ के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार, जून, 2025 में खाद्य वस्तुओं की सालाना महंगाई दर शून्य से नीचे 1.06 प्रतिशत रही.
क्या आम लोगों की ईएमआई पर होगा असर?
महंगाई रिकॉर्ड लो पर आ गई है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या आरबीआई अगस्त की पॉलिसी मीटिंग में ब्याज दरों में कटौती करेगी या नहीं? जानकारों की मानें तो रिटेल महंगाई में 70 बेसिस प्वाइंट से ज्यादा की कटौती देखने को मिली है. ऐसे में 35 से 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती देखने को मिल सकती है. अगर ऐसा नहीं होता है तो ये काफी चौकाने वाली बात होगी. जानकारों की मानें तो देश में औसत महंगाई आरबीआई की अनुमानित औसत महंगाई से काफी नीचे आ चुकी है.
ऐसे में अगस्त के महीने में आरबीआई की ओर से एक और ब्याज दरों में कटौती देखने को मिल सकती है. नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर एक जानकार ने कहा कि आरबीआई 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती करने काा विचार कर सकता है. इसका कारण भी है. अगस्त की पॉलिसी मीटिंग जुलाई के खुदरा महंगाई के आंकड़े आने से पहले होगी. जुलाई के महंगााई के आंकड़े भी 3 फीसदी से नीचे ही रहने वाले हैं. ऐसे में आरबीआई को 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए.
इस साल एक फीसदी हो चुकी है कटौती?
वैसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी इस साल रेपो रेट में 1 फीसदी की कटौती कर चुकी है. फरवरी के महीने में आरबीआई एमपीसी ने 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी. उसके बाद अप्रैल के महीने में भी एमपीसी ने महंगाई के आंकड़ों को देखते हुए 0.25 फीसदी की कटौती कर आम लोगों को राहत दी थी. जून की पॉलिसी मीटिंग में आरबीआई ने जबरदस्त बूस्टर देते हुए 50 बेसिस प्वाइंट की राहत दी थी. ऐसे में लगातार तीन बार कटौती कर आरबीआई आम लोगों को लोन ईएमआई में 1 फीसदी की कटौती कर चुका है.
वैसे पिछले बार आरबीआई एमपीसी ने अपने स्टांस को न्यूट्रल कर दिया था. साथ ही आरबीआई गवर्नर ने संकेत दिया था कि आने वाले महीनों में महंगाई के आंकड़े कम रहने के आसार हैं. ऐसे में ब्याज दरों में कटौती का फैसला महंगाई के आंकड़ों को देखकर ही लिया जाएगा. ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि अगस्त के महीने में होने वाली मीटिंग में आरबीआई एक और 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती आम लोगों को राहत दे सकती है.