आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, मेरे कुछ बोलने से बहुत सारे लोगों को कष्ट हो जाता है. मैं तो बोलता रहता हूं लेकिन लोगों को बोलने से भी कष्ट होता है. इसलिए मैंने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र जी से कहा कि आप थोड़ा ज्यादा समय बोलें. माना जा रहा है कि ‘सेक्युलर और समाजवाद’ को लेकर दिए गए उनके बयान को लेकर जिस तरह का राजनीतिक प्रहार शुरू हुआ और बीजेपी ने चुप्पी साध ली, उसी पर संघ सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कटाक्ष किया.
दरअसल, होसबोले ने संविधान की प्रस्तावना में आपातकाल के दौरान जोड़े गए सेक्युलर और समाजवाद शब्दों पर पुनर्विचार की बात कही थी. अब होसबोले ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को लेकर एक बयान ऐसा दिया, जिसको लेकर तरह-तरह के मायने निकाले जा रहे हैं. जिस पुस्तक “समिधा” का विमोचन दत्तात्रेय होसबोले ने मंगलवार को किया, उसके लेखक राकेश मिश्र हैं और बीजेपी मुख्यालय में कार्यरत हैं.
राजनीतिक भविष्य तो भूपेंद्र यादव को तय करना है
राकेश एक दशक पहले बीजेपी वरिष्ठ नेता स्वर्गीय बाल आप्टे के निजी सहयोगी रहे. साथ ही गृहमंत्री अमित शाह के बीजेपी अध्यक्ष के कार्यकाल में उनकी टीम के हिस्सा रहे. अब मिश्र की राजनीति में आने की इच्छा को भांपते हुए दत्तात्रेय होसबोले ने टिप्पणी की- पुस्तक के रचयिता का राजनीतिक भविष्य तो भूपेंद्र यादव को तय करना है. अपने बयान में दत्तात्रेय होसबोले ने कहा राकेश जी जिस क्षेत्र में हैं, उसमें उनकी कुछ और भी इच्छा है वो तो भूपेंद्र जी पर निर्भर है.
उनके इस एक वाक्य ने बीजेपी संगठन में भूपेंद्र यादव की भविष्य की भूमिका को लेकर नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है. केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को लेकर दत्तात्रेय होसबोले के इस बयान के बाद कई तरह की चर्चा शुरू होना तय है. चर्चा इस बात की कि क्या बीजेपी संगठन में अब भूपेंद्र यादव के कद में बढ़ोतरी हो सकती है! क्या आने वाले समय में पार्टी अध्यक्ष जैसी कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है?
संगठन में कार्यकर्ताओं के महत्व पर बल
दत्तात्रेय होसबोले ने संगठनात्मक संस्कृति पर बल देते हुए कहा कि संगठन में हर कार्यकर्ता की बात सुनी जानी चाहिए. उन्होंने कहा, आप्टे जी ने हमें सिखाया कि संगठन में कोई छोटा भी हो तो उसके साथ बैठकर उसकी बात सुननी चाहिए. वो छोटे कार्यकर्ताओं से भी पूछते थे. अगर वो खुद निर्णय लेकर चले जाते तो कौन मना करता? लेकिन उन्होंने सभी की सोच को महत्व दिया. इस बयान के ज़रिए भी होसबोले ने संगठन में सबको साथ लेकर चलना चाहिए का मंत्र आज के परिप्रेक्ष्य में दिया है.
होसबोले ने कहा कि आज के संदर्भ में भी आप्टे जी जैसे मार्गदर्शक की आवश्यकता है. विचारों के द्वंद में दीपक दिखाने वाला कोई चाहिए, वह काम आप्टे जी करते थे. संगठन में नैतिक नियंत्रण भी रहना चाहिए. हमारी सभ्यता विश्व को आलिंगन करने निकली है. कार्यक्रम के दौरान होसबोले ने यह भी कहा कि भारत को अपने स्वप्नों को जागृत करना होगा. उन्होंने कहा कि दुनिया से लड़ाई नहीं, लेकिन हमारा भी अपना स्थान है. केवल भाषण देने से नहीं, समाज जब करके दिखाएगा, तब विश्व देखेगा.