मानसून में सांप अपने बिलों से बाहर आ जाते हैं. तेलंगाना में इन दिनों सर्प मित्र सांपों का लगातार रेस्क्यू कर रहे हैं. सांप इतनी संख्या में हैं कि रेस्क्यू करने वालों के भी पसीने छूट गए हैं. फ्रेंड्स ऑफ स्नेक्स सोसायटी (FoSS) के स्वयंसेवकों ने अब तक 7088 कोबरा प्रजाति के सांपों का रेस्क्यू किया है. इस प्रजाति के सांप जून से सितंबर तक अंडे सेते हैं. जनवरी से जून तक सोसाइटी द्वारा बचाए गए 5,954 सांपों में से 2,970 से ज्यादा चश्मे वाले कोबरा थे. जून से 16 जुलाई तक 1,134 और सांप बचाए गए.
लगभग एक हफ्ते पहले, सोसाइटी के एक स्वयंसेवक, आदित्य श्रीनाथ ने जगद्गिरिगुट्टा में 23 सांपों और एक वयस्क चश्मे वाले कोबरा को बचाने में 12 घंटे से ज्यादा समय बिताया. ये सांप घर और एक परिसर की दीवार के बीच कंक्रीट के फर्श में एक छोटी सी दरार से अंदर-बाहर रेंगते हुए पाए गए थे.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, श्रीनाथ ने बताया- जमीन खोखली थी और सांपों को अंडे देने के लिए एकदम सही जगह थी. मैं शाम करीब 7 बजे वहां पहुंचा और सुबह 3 बजे तक 19 सांपों को बचाया. अगले दिन मैं वापस आया और बाकी पांच सांपों का भी रेस्क्यू किया.
उस्मानिया विश्वविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग के प्रोफेसर और जैव विविधता एवं संरक्षण अध्ययन केंद्र के निदेशक, चेल्मेला श्रीनिवासुलु ने बताया- चश्मे वाले कोबरा का प्रजनन काल जनवरी से अप्रैल तक होता है और ये मार्च से जुलाई तक अंडे देते हैं. ऊष्मायन अवधि 45 से 70 दिन की होती है. उन्होंने कहा- अगस्त का महीना अंडे देने का सबसे अच्छा समय होता है.
सांप ज्यादा दिखने लगते हैं
हालांकि मानसून आ गया है, लेकिन बारिश ज्यादा नहीं हुई है. सोसाइटी के महासचिव अविनाश विश्वनाथम ने बताया कि कम बारिश में लोगों को सांप ज्यादा दिखाई देने लगते हैं. गैर-लाभकारी अनुसंधान संगठन, कलिंगा फाउंडेशन के संस्थापक ट्रस्टी पी. गौरी शंकर ने कहा- मानसून में सिर्फ सांप ही नहीं, मेंढक, टोड, कृंतक और अन्य कीड़े भी अधिक मात्रा में अंडे देते हैं.