श्योपुर का एक ऐसा स्कूल जहां बच्चे खुले आसमान के नीचे छतरी लेकर बैठते हैं… 4 वर्ष पहले बाढ़ ने गांव में मचाया था तांडव 

Madhya Pradesh: बीते दो दिनों से सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. उक्त वीडियो में प्राइमरी स्कूल के ननिहाल बच्चे हाथों में छतरी लेकर स्कूल भवन के बाहर खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ाई करते दिखे. यह वीडियो शेयर जिले के सरोदा गांव का है.स्कूल भवन की छत गिरने के कारण ननिहाल बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर है. चाहे उनके साथ किसी भी प्रकार की अनहोनी हो सरकार और प्रशासन अनदेखी का शिकार यह प्राइमरी स्कूल अब सरकार और प्रशासन से खुद के लिए नवीन भवन की मांग करता हुआ दिखाई दे रहा है. बीते दो दिनों से वीडियो वायरल होने के बाद भी सरकार और प्रशासन ने इस ओर ध्यान तक देना उचित नहीं समझा.और प्रशासन लगातार शिक्षकों की लापरवाही पर नोटिस या कार्रवाई करने में व्यस्त बना हुआ है.

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रिपोर्ट के अनुसार बारिश होने पर स्कूल में पढ़ रहे ननिहाल बच्चे हाथों में छतरी लेकर पढ़ाई कर रहे है. और तो और इस समय बारिश के कारण मानव जीवन परेशान हो रहा है.पंरतु जिला प्रशासन इस गंभीर मामले में उदासीन बना हुआ है. ऐसे में प्राइमरी स्कूल के बच्चों को छत नशीब नहीं है.सरोदा गांव के बच्चे सर्दी गर्मी और बारिश के मौसम में एक मात्र छतरी के भरोसे पढ़ाई करते हैं.

4 वर्ष पहले बाढ़ ने गांव में मचाया था तांडव 

जानकारी के अनुसार 4 वर्ष पहले जिले में आई भीषण बाढ़ के चलते लोगों का जन जीवन काफी प्रभावित हुआ था.इस बाढ़ में सरोदा गांव भी शामिल था. यहां गांव के अलावा प्राइमरी स्कूल भी क्षतिग्रस्त हुआ था. उसके बाद से आजतक इस विद्यालय की नींव नहीं रखी गई. ऐसे में पढ़ने वाले कक्षा एक से 5 तक के ननिहाल बच्चे अपनी पढ़ाई एक पेड़ के नीचे करते हैं जहां चारों ओर खेत खलियान है. जहां कीड़े मकोड़े और कई तरह के जानवरों का खतरा पढ़ने वाले ननिहाल बच्चों और उनके शिक्षकों पर मंडराता रहता है. लेकिन जिला प्रशासन को इस बात की जूं तक नहीं रेंगी. ऐसा नहीं है कि शिक्षा विभाग और अन्य आल्हा अधिकारियों को इस मामले की जानकारी न हो. इसकी जानकारी होने के बाद भी बच्चे खुली छत के नीचे एक बरगद यह पेड़ के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर है.इन छोटे-छोटे मासूमों की प्रशासन ने नहीं सुनी. तब से इन बच्चों का सहारा यह बरगद का पेड़ बना है.

सरकार शिक्षा सुधारने की दावे कर रहा श्योपुर में हालात खराब 

सरकार लगातार शिक्षा का स्तर सुधारने की बात कर रही है.लेकिन इन छोटे-छोटे मासूम बच्चों को बैठने के लिए स्कूल की छत ही नसीब नहीं है.ऐसे में शिक्षा का स्टार कैसे सुधरेगा इसकी शिकायत ग्रामीणों के द्वारा कई बार प्रशासन से की जा चुकी है.लेकिन किसी ने इन मासूम बच्चों की सुनवाई तक नहीं की. सर्दी के मौसम में 6 डिग्री तापमान पर भी यह बच्चे पेड़ के नीचे ही बैठकर पढ़ते हैं. गर्मियों की बात करें तो 45 से 46 डिग्री का टेंपरेचर होता है तब भी यह बच्चे पेड़ के नीचे बैठने को मजबूर है.

बारिश के मौसम में बिजली गिरने की संभावना पर भी गंभीर नहीं सरकार और प्रशासन

जिले में लगातार भी मौसम बारिश और आसमान से गिरती बिजली से लोगों को काफी परेशानी भी झेलनी पड़ी है जिले में कई बार आकाशीय बिजली गिरने से कई लोगों की मौत भी हो चुकी है. उसके बाद प्रशासन लगातार एडवाइजरी जारी करता है की पेड़ के नीचे लोगों को नहीं रहना चाहिए परंतु यहां तो हालत बद से बत्तर होते जा रहे हैं. यहां बच्चे खुद पेड़ के नीचे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं अगर कोई घटना घटित होती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा सरकार या प्रशासन

शिक्षा विभाग के अधिकारी बोले राशि स्वीकृत होने के बाद लेप्स हुई 

जब शिक्षा विभाग के बीआरसीसी से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष में बिल्डिंग के लिए 11 लख रुपए की राशि स्वीकृत हुई थी लेकिन बिल्डिंग किसी के द्वारा भी नहीं बनवाई गई. मार्च में जो विद्यालय बनाने की राशि स्वीकृत हुई थी वह लेप्स हो गई. आप फिर से उसका प्रपोजल भेजा गया है. लेकिन शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की कितनी बड़ी लापरवाही है कि वह खुद तो स्वयं ऐसी और कूलर वाले रूम में बैठते हैं और यहां छोटे-छोटे बच्चे कड़ी धूप शादी और बरसात में बरकत के पेड़ के नीचे छतरी के सहारे पढ़ाई कर रहे हैं.

 

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