दिल्ली के चांदनी चौक में अवैध निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, संपत्ति सील करने का दिया आदेश

दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में बड़े पैमाने पर हो रहे कथित अवैध और अनधिकृत निर्माण कार्यों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस मुद्दे पर सुनवाई करते हुए पुलिस को निर्देश दिया कि यदि कोई व्यक्ति एक भी अनधिकृत ईंट रखते हुए पाया जाता है, तो उसे तत्काल गिरफ्तार किया जाए.

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कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह पूरा मामला नगर निगम अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहे घोटाले जैसा प्रतीत होता है, जिसे तत्काल रोका जाना जरूरी है. न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि जिन संपत्तियों पर अवैध निर्माण कार्य चल रहा है, उन्हें तुरंत सील किया जाए.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने टिप्पणी की, आप (पुलिस) रोज गश्त करते हैं. अगर कोई एक ईंट भी रखता दिखे, तो उसे गिरफ्तार किया जाना चाहिए. यह सब एमसीडी की मिलीभगत से हो रहा है. अगर स्थिति नहीं सुधरी, तो हम पुलिस को भी हस्तक्षेप करने के लिए कहेंगे.

गश्त के लिए पुलिस तैनात करने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, दिल्ली पुलिस आयुक्त को चांदनी चौक क्षेत्र में गश्त के लिए एक पुलिस टीम तैनात करने का निर्देश दिया गया है. यह टीम सुनिश्चित करेगी कि एमसीडी द्वारा जारी सभी ध्वस्तीकरण नोटिसों — जिन पर अदालत द्वारा स्थगन नहीं दिया गया है — का पालन किया जाए और अवैध निर्माण वाली संपत्तियों को सील किया जाए. साथ ही, संबंधित स्थानीय डीसीपी को इस कार्रवाई की अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है.

अदालत ने बिल्डर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी देते हुए उसके विवरण मांगे हैं, ताकि उचित दंडात्मक कदम उठाया जा सके. अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसडी संजय से कहा कि ऐसे डिफॉल्टरों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए, क्योंकि वे अपने तौर-तरीके नहीं बदलने वाले. न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने यहां तक कहा, हम देखना चाहते हैं कि उन्हें जमानत कौन देता है.

अधिकारियों और बिल्डरों की मिलीभगत

इससे पहले की सुनवाई में, सुप्रीम कोर्ट ने चांदनी चौक में हो रहे अनधिकृत व्यावसायिक निर्माणों और नगर निगम की निष्क्रियता पर सीबीआई जांच की संभावना भी जताई थी. न्यायालय ने क्षेत्र में आवासीय भवनों को व्यावसायिक परिसरों में बदलने पर भी रोक लगा दी थी.

सुनवाई के दौरान अदालत ने एमसीडी को चेतावनी दी कि किसी भी प्रकार की अनदेखी न केवल न्यायालय की अवमानना मानी जाएगी, बल्कि यह संकेत भी देगी कि निगम अधिकारियों और बिल्डरों के बीच मिलीभगत है.

आज की सुनवाई में अदालत ने एमसीडी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव सागर की ओर से दी गई प्रगति रिपोर्ट पर भी टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि एमसीडी “अंततः अपनी नींद से जाग गई है”, लेकिन अब भी कई संपत्तियों को गुप्त रूप से जोड़ने जैसी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर सवाल उठे हैं.

एक विशेष आवेदन पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आदेश दिया कि संबंधित संपत्तियों पर कोई व्यावसायिक गतिविधि न हो और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें सील किया जा सकता है. अदालत ने एमसीडी को निरीक्षण रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है और याचिकाकर्ता से अनधिकृत निर्माणों के संबंध में अतिरिक्त जानकारी शपथपत्र के माध्यम से देने को कहा है.

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