मध्यप्रदेश के हरदा जिले में एक अनूठा मामला सामने आया है. यहां के एक प्राइवेट कॉलेज के विज्ञापन में मुर्गी के नाम को लेकर सनातनी लोगों को आपत्ति है. इसको लेकर नर्मदीय ब्राह्मण समाज सहित अन्य लोगों ने विरोध जताया है. इसकी शिकायत कलेक्टर को की गई और मुर्गी का नाम बदलने की मांग की गई है.
दरअसल, जिले के एक प्राइवेट वेटरनरी कॉलेज ने अपने विज्ञापन में मुर्गी की प्रजाति के नाम लिखे हैं, जिसमें एक नाम ‘नर्मदा निधि’ भी शामिल है. इसी को लेकर जिले के लोगों को आपत्ति है. नर्मदीय ब्राह्मण समाज ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और कलेक्टर को ज्ञापन देकर प्रजाति का नाम बदलने की मांग की है.
ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष अशोक पाराशर के नेतृत्व में गुरुवार को लोगों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर संयुक्त कलेक्टर संजीव कुमार नागू को ज्ञापन सौंपा. उन्होंने कहा कि मां नर्मदा सिर्फ़ एक नदी नहीं, बल्कि क्षेत्र के लोगों की आराध्य देवी हैं. नर्मदीय ब्राह्मण समाज के लोग ख़ुद को मां नर्मदा का मानस पुत्र मानते हैं.
संयुक्त कलेक्टर संजीव नागू का कहना है कि मुर्गी के नाम को लेकर ज्ञापन प्राप्त हुआ है, इस मामले में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.
नर्मदीय ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष अशोक पाराशर सहित दूसरे समाज के लोगों ने एक कॉलेज के विज्ञापन पर आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि मां नर्मदा हम सभी की आस्था का प्रतीक हैं, वे सिर्फ़ एक नदी नहीं, बल्कि हम सभी की जीवनदायिनी हैं. उनके नाम पर मुर्गी का नाम रखना उचित नहीं है. तत्काल विज्ञापन से नाम हटाया जाए.
कॉलेज संचालक राजीव खरे ने मुर्गा-मुर्गी विक्रय के लिए विज्ञापन जारी किया था. इसमें मुर्गी की प्रजाति का नाम ‘नर्मदा निधि’ और ‘सोनाली’ रखा गया है. इससे सनातन धर्म के अनुयायियों और नर्मदा भक्तों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं.
कॉलेज संचालक राजीव खरे का कहना है कि उन्होंने जबलपुर के एक मुर्गी पालन केंद्र से मुर्गे-मुर्गियां खरीदी हैं. वहां से ही ‘कड़कनाथ’, ‘नर्मदा निधि’ और ‘सोनाली’ प्रजातियों के नाम मिले हैं. उन्होंने कहा कि पक्षी का नामकरण हमने नहीं किया है, यह जबलपुर के एक सरकारी कॉलेज से हुआ है.
वहीं, कॉलेज की ओर विज्ञापन जारी करने के बाद से सोशल मीडिया पर लोग ट्रोल कर रहे हैं. लोग इसको लेकर कई तरह के कमेंट्स कर रहे हैं.