अयोध्या: सप्तपुरियों में शुमार प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या का प्राचीन सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. मान्यता है कि इसी पवित्र स्थल पर पवन पुत्र हनुमान आज भी गुप्त रूप से वास करते हैं. महंत राजू दास के अनुसार, हनुमानगढ़ी के चार पट्टियों के पुजारी हर भोर गुप्त पूजा करते हैं और इसी पूजा में हनुमान जी साक्षात दर्शन देते हैं.
कहा जाता है कि जब प्रभु श्रीराम लंका विजय के बाद अयोध्या लौटे तो उन्होंने यह स्थल अपने परम भक्त हनुमान को निवास हेतु सौंपा। तभी से यह स्थल सिद्ध पीठ के रूप में प्रसिद्ध है। परंपरा है कि अयोध्या आने वाला हर श्रद्धालु सबसे पहले हनुमानगढ़ी पहुंचकर पवन पुत्र का आशीर्वाद लेता है, फिर रामलला के दर्शन करता है.
विशेष बात यह भी है कि यहां हनुमान जी माता अंजनी की गोद में विराजमान हैं और उनके पीछे प्रभु श्रीराम का साक्षात स्वरूप स्थापित है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु मानते हैं कि यहां की परिक्रमा मात्र से सभी संकट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
महंत राजू दास का कहना है कि यह सिद्ध पीठ आज भी कई गुप्त रहस्यों को अपने में समेटे हुए है, जिन्हें आम जन कभी देख नहीं पाते। यहां रोज होने वाली गुप्त पूजा और साक्षात दर्शन की यह अनोखी परंपरा आज भी जीवित है.
हनुमानगढ़ी की इसी अद्भुत मान्यता ने इसे न केवल अयोध्या बल्कि पूरे देश में एक अनोखा आध्यात्मिक केंद्र बना दिया है। श्रद्धा और रहस्य का यह संगम हर भक्त को बार-बार यहां खींच लाता है.