भारत ने शुक्रवार को यूरोपीय संघ (EU) की ओर से रूस पर लगाए गए ताजा प्रतिबंधों की कड़ी आलोचना की. इन प्रतिबंधों में गुजरात की एक तेल रिफाइनरी को भी शामिल किया गया है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ऐसे किसी भी प्रतिबंध को नहीं मानता जो संयुक्त राष्ट्र के दायरे से बाहर लगाए गए हों.
EU का यह 14वां प्रतिबंध पैकेज रूस की आमदनी को रोकने के मकसद से लाया गया है, जिसमें बैंकों पर सख्ती, गुपचुप तेल ढुलाई (शैडो फ्लीट) पर रोक, और तेल की कीमत की सीमा को और नीचे लाने जैसे कदम शामिल हैं. इस बार पहली बार भारत की एक रिफाइनरी को भी निशाना बनाया गया है.
भारत ने प्रतिबंधों पर क्या कहा?
2 करोड़ टन प्रति वर्ष क्षमता वाली यह रिफाइनरी गुजरात के वाडिनार में है, जिसे नायरा एनर्जी चलाती है. इसमें रूस की कंपनी रोसनेफ्ट की करीब 49.13% हिस्सेदारी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘हमने EU के नए प्रतिबंधों को देखा है. भारत किसी भी एकतरफा प्रतिबंध को नहीं मानता. हम जिम्मेदारी से अपने कानूनी कर्तव्यों का पालन करते हैं.’
यूरोप को पेट्रोल-डीजल भेजने में हो सकती है दिक्कत
इन प्रतिबंधों के चलते नायरा एनर्जी यूरोप को डीजल और पेट्रोल जैसे तेल उत्पाद भेजने में दिक्कत झेल सकती है. इस पर भारत ने साफ कहा कि देश के लोगों को ऊर्जा (तेल-गैस) देना सरकार की प्राथमिकता है और इसमें कोई दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए. जायसवाल ने कहा, ‘भारत की सरकार के लिए एनर्जी सिक्योरिटी सबसे जरूरी है ताकि नागरिकों की बुनियादी जरूरतें पूरी हो सकें. ऊर्जा व्यापार में निष्पक्षता होनी चाहिए.’
EU ने कच्चे तेल की कीमत की ऊपरी सीमा को घटा दिया है, जो अब 60 डॉलर प्रति बैरल से भी कम हो सकती है. इससे भारत को रूसी तेल और सस्ते दामों में मिलने की संभावना बन सकती है, क्योंकि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रूसी तेल खरीदार है.