100, 500 नहीं UP में हैं इतनी राजनीतिक पार्टियां; 70 विधानसभा सीटों वाले दिल्ली में कितने दल?

भारत में राजनीतिक पार्टियों की संख्याओं में लगातार इजाफा हो रहा है. चुनाव आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में 2700 से भी अधिक राजनीतिक पार्टियां हैं. इन पार्टियों में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दोनों तरह के दल शामिल हैं. रिपोर्ट में देखा गया है कि जिस राज्य में जितनी विधानसभा सीटें नहीं हैं, उससे कई ज्यादा राजनीतिक पार्टियां है. चुनाव आयोग और एडीआर इन पार्टियों और उसके कार्यकर्ताओ की गतिविधियों पर नजर रखता है.

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चुनाव आयोग ने बताया कि हर बार चुनाव से पहले कई पार्टियां रजिस्टर्ड होती हैं, जिस वजह से देश में लगातार राजनीतिक दलों की संख्या बढ़ रही है. हालांकि चुनाव आयोग ने यह भी बताया है कि समय-समय पर तय मानकों को पूरा न करने पर कई पार्टियों को सूची से भी निकाल दिया जाता है.

उत्तर प्रदेश में हैं सबसे अधिक राजनीतिक पार्टियां

उत्तर प्रदेश में सबसे राजनीतिक पार्टियों की रेस में सबसे आगे हैं. यहां जितनी विधानसभा सीटें नहीं है उससे दोगुनी तो राजनीतिक पार्टियां हैं. उत्तर प्रदेश में विधानसभा सीटों की संख्या 480 है, तो वहीं इस राज्य में राजनीतिक दलों की संख्या 744 है. राज्य में ऐसी बहुत कम पार्टियां है जो राज्य स्तर पर फैली हैं, जिसमें भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी, कांग्रेस व एक या दो अन्य पार्टियां शामिल हैं. इसके अलावा यहां क्षेत्रीय दलों की संख्या बहुत अधिक है, जो सिर्फ किसी क्षेत्र में ही अपनी पहचान बनाए हैं.

दूसरे नंबर पर है दिल्ली

अगर दिल्ली की बात करें तो उत्तर प्रदेश के बाद यह दूसरे नंबर पर हैं जहां सबसे अधिक राजनीतिक पार्टियां हैं. दिल्ली में 70 विधानसभा सीटें है और इन सीटों पर 240 पार्टियों के कार्यकर्ता अपना-अपना परचम फहराने के लिए चुनावी मैदान में उतरते हैं. दिल्ली में बीजेपी, अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी और अन्य छोटे-छोटे दल सक्रिय रहते हैं.

इसके अलावा, बिहार में विधानसभा सीटों की संख्या 243 है और यहां 184 राजनीतिक दल सक्रिय है, वहीं तमिलनाडु में राजनीतिक दलों की संख्या 230, महाराष्ट्र में 216, हरियाणा में 102 और आंध्र प्रदेश में 129 राजनीतिक दल हैं.

इस वजह से बढ़ रही राजनीतिक दलों की संख्या

चुनाव आयोग सभी राजनीतिक पार्टियों की गतिविधियों पर नजर रखता है. जो दल आयोग द्वारा दिए गए मानकों को पूरा नहीं करते, उन्हें सूची से बाहर निकाल दिया जाता है. लेकिन हर बार चुनाव से पहले कई क्षेत्रीय पार्टियां रजिस्टर्ड हो जाती हैं, जिस वजह से देश में राजनीतिक दलों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

क्या राजनीतिक पार्टियां कर रहीं है गड़बड़झाला

देशभर में इतने सारे राजनीतिक दलों की वित्तीय घोषित आय को लेकर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है. हाल ही में एडीआर ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि देशभर की पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की घोषित आय में 223% की वृद्धि हुई. रिपोर्ट में बताया गया कि देशभर की 2764 दलों में से 73% दलों ने अपना वित्तीय रिकॉर्ड सार्वजनिक नहीं किया है.

क्या है एडीआर रिपोर्ट?

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि का विस्तृत विश्लेषण मतदाताओं को उपलब्ध कराता है. ताकि मतदाताओं को वोट डालने के दौरान सही व्यक्ति का चुनाव करने में मदद मिले. यह अपनी रिपोर्ट में उम्मीदवारों की आपराधिक, वित्तीय और शैक्षिक पृष्ठभूमि का खुलासा करते है. यह चुनावी प्रणाली में पारदर्शिता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

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