चंदौली: समाधान दिवस बना ‘विकलांग अपमान दिवस’! जब शिकायत से पहले सीढ़ियों से लड़ी जिंदगी

चंदौली : शासन-प्रशासन द्वारा आमजन की समस्याओं के निस्तारण के उद्देश्य से आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस शनिवार को डीडीयू नगर तहसील में आयोजित किया गया, लेकिन यह आयोजन दिव्यांगजन के लिए “असंपूर्ण समाधान” साबित हुआ.

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कार्यक्रम स्थल तहसील भवन के प्रथम तल पर रखा गया था, जहां पहुंचने के लिए केवल सीढ़ियों की व्यवस्था थी. इस कारण दो दिव्यांग शिकायतकर्ताओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा, जो अपनी समस्याएं लेकर कार्यक्रम में पहुंचे थे.

दिव्यांग बोले – “पहले खुद से लड़ना पड़ा, फिर सिस्टम से”

दिव्यांग नागरिकों ने बताया कि उन्हें तहसील परिसर में रैंप, लिफ्ट या व्हीलचेयर सुविधा जैसी बुनियादी जरूरतें भी उपलब्ध नहीं थीं.

“हम अपनी शिकायत लेकर आए थे, लेकिन उससे पहले हमें अपने शरीर की सीमाओं और प्रशासन की बेरुखी से लड़ना पड़ा,
ऐसा कहना था एक दिव्यांग शिकायतकर्ता का. उन्होंने इसे “दूसरी बार अपंगता झेलना” जैसा अनुभव बताया

दोनों शिकायतकर्ताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि भविष्य में संपूर्ण समाधान दिवस को भूतल (ग्राउंड फ्लोर) पर आयोजित किया जाए, ताकि दिव्यांगजनों को बार-बार असहज और अपमानजनक परिस्थितियों से न गुजरना पड़े.

समावेशी प्रशासन’ का सच आया सामने

यह मामला केवल सुविधा की कमी का नहीं, बल्कि शासन की योजना प्रक्रिया में समावेशी दृष्टिकोण की स्पष्ट कमी का प्रतीक है.
जब “सभी के लिए समाधान” का दावा करने वाला कार्यक्रम ही सभी के लिए सुलभ न हो, तो सरकारी संवेदनशीलता पर सवाल उठना स्वाभाविक है.

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर विकलांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की जमीनी हकीकत को सामने रख दिया है, जिसमें सार्वजनिक भवनों को सभी के लिए सुलभ बनाने की कानूनी बाध्यता है.

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