छत्तीसगढ़ को मोतियाबिंद से मुक्त करने की तैयारी, 11 जिलों का दावा केंद्र को भेजा; 43 अस्पतालों में मुफ्त इलाज

छत्तीसगढ़ सरकार ने आंखों की रोशनी से जुड़ी बीमारियों को रोकने और इलाज की सुविधा बेहतर करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया है. सबसे आम वजह मानी जाने वाली मोतियाबिंद बीमारी का इलाज अब राज्य के 43 अस्पतालों में मुफ्त किया जा रहा है.

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मोतियाबिंद एक उम्र बढ़ने के साथ होने वाली बीमारी है, जिसमें धीरे-धीरे आंखों की रोशनी कम हो जाती है. इसका ऑपरेशन कर नजर वापस पाई जा सकती है. छत्तीसगढ़ में 25 जिला अस्पतालों और 10 मेडिकल कॉलेजों समेत 43 सरकारी अस्पतालों में इस ऑपरेशन की सुविधा पूरी तरह मुफ्त है.

इससे जुड़े कुछ सरकारी आंकड़े

  • अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक 1,45,580 मोतियाबिंद ऑपरेशन
  • अप्रैल 2025 से जून 2025 के बीच 27,245 मोतियाबिंद ऑपरेशन

ये सभी ऑपरेशन केंद्र सरकार की ‘राष्ट्रीय नेत्र ज्योति योजना’ के तहत हो रहे हैं. इसका मकसद हर जिले को ‘मोतियाबिंद से मुक्त’ घोषित करना है

11 जिलों का दावा केंद्र को भेजा गया: अब तक राज्य के कबीरधाम, रायपुर, धमतरी, बलौदाबाजार, बालोद, दुर्ग, राजनांदगांव, खैरागढ़, रायगढ़, कोरबा और बस्तर जिले को मोतियाबिंद से मुक्त घोषित करने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र को प्रस्ताव भेज दिया है. कांकेर और बेमेतरा जिलों का सर्वे फिलहाल चल रहा है, जिसके बाद वहां का भी प्रस्ताव भेजा जाएगा.

ग्लूकोमा से बचाव के लिए समय पर जांच जरूरी: आंखों की एक और गंभीर बीमारी ग्लूकोमा की पहचान समय रहते न हो तो नजर हमेशा के लिए जा सकती है. यह बीमारी धीरे-धीरे असर करती है और शुरुआत में कोई लक्षण भी नजर नहीं आते. इसके लिए जरूरी है कि 40 साल की उम्र के बाद हर छह महीने में आंखों की जांच कराई जाए. राज्य के सभी ब्लॉक स्तर के अस्पतालों में इसकी जांच की सुविधा है.

नेत्रदान की संख्या बढ़ी: कॉर्निया की खराबी से नजर खोने वालों के इलाज के लिए भी राज्य सरकार ‘कॉर्नियल अंधत्व मुक्त राज्य’ योजना चला रही है. इसके तहत सभी जिलों में ऐसे मरीजों की पहचान की गई है और नेत्र बैंकों में उनका पंजीकरण किया गया है. अप्रैल 2024 से जून 2025 तक कुल 351 नेत्रदान हुए हैं, जिनमें से 88 नेत्रदान हाल ही के तीन महीनों में हुए.

नेत्र रोगों की स्पेशल क्लीनिक और इलाज मुफ्त: ग्लूकोमा, रेटिना की बीमारी, डायबिटिक रेटिनोपैथी और बच्चों की आंखों से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए सभी जिला अस्पतालों में नियमित रूप से स्पेशल क्लीनिक चलाई जा रही हैं. पिछले एक साल में इन क्लीनिकों में 81 हजार से ज्यादा मरीजों का इलाज हुआ. जबकि अप्रैल से जून 2025 के बीच 25 हजार से अधिक मरीजों को इलाज मिला.

छत्तीसगढ़ सरकार का दावा है कि आधुनिक मशीनों, नियमित जांच कैंप और तुरंत सर्जरी जैसी सुविधाओं से लोगों को नजर से जुड़ी बीमारियों से राहत मिल रही है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि वह सभी नागरिकों को बेहतर, आसान और समय पर नेत्र चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह तैयार है. साथ ही सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे नियमित रूप से आंखों की जांच कराएं और नेत्रदान के लिए आगे आएं, ताकि जिन लोगों की रोशनी चली गई है, उन्हें दोबारा देखने का मौका मिल सके.

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