शिक्षा अधिकारी को झूठ बोलना पड़ा भारी, कलेक्टर ने 1 मिनट में खोली पोल, अब कटेगी सैलरी

 शुक्रवार को कलेक्टर मृणाल मीणा ने जब जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) कार्यालय का औचक निरीक्षण किया, तो अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्यशैली की पोल खुल गई। सबसे पहले डीपीसी जीपी बर्मन ही कार्यालय में मौजूद नहीं थे, जबकि उनका कंप्यूटर लॉग-इन हालत में टेबल पर खुला था।

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कलेक्टर ने तुरंत डीपीसी को कॉल किया और उनकी लोकेशन पूछी। जवाब मिला ‘सर, मैं ऑफिस में हूं।’ लेकिन कलेक्टर स्वयं उस वक्त कार्यालय में ही मौजूद थे। ये झूठ उसी क्षण उजागर हो गया। जब कलेक्टर निरीक्षण पूरा कर बाहर निकलने लगे, तब डीपीसी बर्मन वहां पहुंचे।

6 कर्मचारी भी मिले नदारद

केवल डीपीसी ही नहीं, उनके अधीनस्थ भी गैरहाजिर मिले। सहायक परियोजना समन्वयक विवेक गुप्ता, योगेश बिसेन, थानथराटे, दिनेश गौतम, आकाश वल्के, भाकचंद पारधी और दीपक सौरकुड़े अनुपस्थित पाए गए। किसी के पास उनकी अनुपस्थिति का संतोषजनक जवाब नहीं था। कलेक्टर ने तत्काल सभी अनुपस्थित कर्मचारियों का एक दिन का वेतन काटने के निर्देश दिए।

टेक्स्ट बुक डिस्ट्रीब्यूशन में भी गड़बड़ी

निरीक्षण के दौरान एक और चौंकाने वाली बात सामने आई। पाठ्यपुस्तकों की भारी संख्या में बंडल कार्यालय में पड़े मिले, जबकि एक दिन पहले ही समीक्षा बैठक में डीपीसी बर्मन ने बताया था कि स्कूलों में 100% वितरण हो चुका है। यह झूठी और भ्रामक जानकारी सीधे कलेक्टर को दी गई थी। इससे स्पष्ट है कि वितरण की स्थिति पोर्टल पर अपडेट न करना एक बहाना था। कार्यालय में साफ-सफाई का भी अभाव पाया गया। फाइलें अस्त-व्यस्त थीं और स्टाफ की कार्यशैली बेहद अनियमित नजर आई।

कलेक्टर मीणा ने इसके बाद सहायक संचालक, उद्यान विभाग कार्यालय का भी निरीक्षण किया। यहां भी तीन अधिकारी – सीपी नारनौरे, जितेंद्र वनवासी और संध्या इनवाती अनुपस्थित मिले। कार्यालय प्रमुख कार्यपालन यंत्री अड़मे भी नहीं मिले।

अन्य विभागों की स्थिति भी खराब

जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र में निरीक्षण के दौरान भी गड़बड़ियां सामने आईं। महाप्रबंधक प्रीति मर्सकोले, कर्मचारी वीणा चौहान और रागिनी ठाकुर उपस्थित नहीं थीं। प्रबंधक गजभिये ने तो उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर तक नहीं किया था। एक कक्ष कबाड़ से भरा मिला। कलेक्टर ने सहायक कलेक्टर आकाश अग्रवाल को लोक निर्माण विभाग कार्यालय की रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए।

 

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