उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को उपराष्ट्रपति निवास पर आईडीईएस 2024 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, बाहरी विमर्शों से प्रभावित न हों. इस देश में, एक संप्रभु राष्ट्र में, सभी निर्णय इसके नेतृत्व द्वारा लिए जाते हैं. दुनिया में कोई भी शक्ति भारत को यह निर्देश नहीं दे सकती कि उसे अपने मामलों को कैसे संचालित करना है. हम एक राष्ट्र हैं, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का हिस्सा हैं. हम एकजुटता के साथ काम करते हैं, समन्वय के साथ. हमारे बीच आपसी सम्मान है, कूटनीतिक संवाद हैं. लेकिन अंततः, हम संप्रभु हैं और अपने निर्णय स्वयं लेते हैं.
उन्होंने कहा, क्या हर बॉल खेलनी जरूरी है? क्या हर विवादास्पद बयान पर प्रतिक्रिया देना आवश्यक है? जो खिलाड़ी अच्छा स्कोर करता है, वह खराब गेंदों को छोड़ देता है. वे लुभावनी होती हैं, पर खेली नहीं जातीं और जो खेलते हैं, उनके लिए विकेटकीपर और गली में खड़े खिलाड़ी तैयार रहते हैं.।
उन्होने कहा,चुनौतियां होंगी और उनका उद्देश्य होगा समाज में फूट डालना. आपने दो वैश्विक युद्ध देखे हैं. वे अब तक अनिश्चित हैं. देखिए उस तबाही को-संपत्ति की, मानव जीवन की, और उस पीड़ा को, और देखिए हमारा संतुलन-हमने एक पाठ पढ़ाया, और अच्छी तरह से पढ़ाया. हमने बहावलपुर और मुरिदके को चुना और फिर उसे अस्थायी रूप से समाप्त किया.
हम संप्रभु हैं और अपने निर्णय स्वयं लेते हैं: उपराष्ट्रपति
उन्होंने कहा किऑपरेशन सिन्दूर अभी समाप्त नहीं हुआ है, यह जारी है. कुछ लोग पूछते हैं, इसे रोका क्यों गया? हम शांति, अहिंसा, बुद्ध, महावीर और गांधी की धरती हैं. जो जीवों को भी कष्ट नहीं देना चाहते, वे इंसानों को कैसे निशाना बना सकते हैं? उद्देश्य था-मानवता और विवेक को जगाना.
उन्होने कहा, हमारा जनसांख्यिकीय लाभांश पूरी दुनिया के लिए ईर्ष्या का विषय है. हमारी 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है. भारत की औसत आयु 28 वर्ष है, जबकि चीन और अमेरिका की 3839 और जापान की 48 है. आप चुने हुए लोग हैं. आपको भारत की सेवा का अवसर मिला है-उस भारत की, जो मानवता का छठा हिस्सा है और आपका कार्यक्षेत्र देखिए-अगर आप पूरी निष्ठा से हमारे सभ्यतागत मूल्यों को ध्यान में रखते हुए कार्य करें, तो आप सम्पत्ति प्रबंधन, पारिस्थितिकी, पर्यावरण, हर्बल गार्डन, सतत विकास और आधुनिक तकनीक के प्रयोग में देश के लिए उदाहरण बन सकते हैं.
लोगों का सर्वांगीण विकास करना हमारा लक्ष्य
उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, एक बात जो मुझे चिंतित करती है-जब आपके क्षेत्र में विकास कार्य होते हैं, तो उसकी अनुमति आपसे ली जाती है. यह अनुमति कई बार विवेकाधीन बन जाती है और देरी का शिकार होती है. मैं आग्रह करता हूं कि एक ऐसी प्रणाली विकसित करें, जिससे लोगों को पहले से ही जानकारी हो कि किसी क्षेत्र में भवन की अधिकतम ऊंचाई क्या हो सकती है. यह सब एक प्लेटफॉर्म पर क्यों नहीं हो सकता? तकनीक के इस युग में यह संभव है. इससे जनता को राहत मिलेगी, खर्च बचेगा और पारदर्शिता बढ़ेगी.
विकसित भारत की बात करते हुए उन्होंने कहा, हमारा उद्देश्य केवल अर्थव्यवस्था को बढ़ाना नहीं है-हमारा उद्देश्य लोगों का विकास करना है. विकसित भारत केवल हमारा सपना नहीं है, वह अब हमारी मंजिल भी नहीं है. हम उस दिशा में चल पड़े हैं. हम हर दिन प्रगति कर रहे हैं, और यह एक बड़ी चुनौती है क्योंकि बीते 10 वर्षों में देश ने असाधारण विकास देखा है.