‘यदि भारत ही मर गया तो फिर कौन जिंदा…’, कांग्रेस से वफादारी के सवाल पर शशि थरूर का जवाब

कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) के सदस्य शशि थरूर ने शनिवार को कहा कि राष्ट्र सर्वोपरि है और पार्टियां देश को बेहतर बनाने का जरिया हैं. तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने कहा कि किसी भी पार्टी का मकसद एक बेहतर भारत का निर्माण करना होता है और पार्टियों को इस टारगेट को हासिल करने के सर्वोत्तम तरीके पर असहमत होने का अधिकार है.

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एजेंसी के मुताबिक, उन्होंने यह भी कहा कि वह देश के सशस्त्र बलों और सरकार का समर्थन करने के अपने रुख पर अड़े रहेंगे क्योंकि मेरा मानना है कि यह देश के लिए सही है.

‘पार्टियों को पूरा अधिकार…’

शशि थरूर ने कहा, “अब, पार्टियों को इस बारे में असहमत होने का पूरा अधिकार है कि ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है, जैसा कि आप जानते हैं, बहुत से लोग मेरे रुख़ की बहुत आलोचना करते रहे हैं, क्योंकि मैंने हाल ही में जो हुआ, उसके बाद सशस्त्र बलों और हमारी सरकार का समर्थन किया है.” शशि थरूर एक प्रोग्राम में ‘शांति, सद्भाव और राष्ट्रीय विकास’ पर एक निजी कार्यक्रम में स्पीच दे रहे थे.

उन्होंने आगे कहा, “जब मैं भारत की बात करता हूं, तो मैं सभी भारतीयों की बात करता हूं, न कि सिर्फ़ उन लोगों की जो मेरी पार्टी को पसंद करते हैं.

शशि थरूर ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पंक्तियों का हवाला देते हुए कहा, “अगर भारत मर गया तो कौन बचेगा?” और उन्होंने सभी दलों के नेताओं और लोगों से गुजारिश की कि जब देश खतरे में हो, तो मतभेदों को किनारे रख दें.
‘पार्टियों के साथ सहयोग की जरूरत…’

अपनी स्पीच के दौरान, शशि थरूर ने आगे कहा कि दुर्भाग्यवश, किसी भी लोकतंत्र में, राजनीति प्रतिस्पर्धा पर आधारित होती है. उन्होंने कहा, “नतीजतन, जब मेरे जैसे लोग कहते हैं कि हम अपनी पार्टियों का सम्मान करते हैं, हमारे कुछ मूल्य और विश्वास हैं, जो हमें अपनी पार्टियों में बनाए रखते हैं, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में हमें अन्य पार्टियों के साथ सहयोग करने की जरूरत है, तो कभी-कभी पार्टियों को लगता है कि यह उनके प्रति विश्वासघात है और यह एक बड़ी समस्या बन जाती है.”

जब शशि थरूर से पूछा गया कि क्या उन्हें कांग्रेस आलाकमान से कोई समस्या है, तो उन्होंने कहा कि वे यहां किसी राजनीति या समस्या पर चर्चा करने नहीं आए हैं. शशि थरूर ने कहा, “मैं दो भाषण देने आया हूं, दोनों भाषण ऐसे विषयों पर थे जिनका मुझे उम्मीद है कि जनता सम्मान और महत्व देगी. पहला भाषण विकास, व्यवसायों की भूमिका और शांति एवं सद्भाव पर था. दूसरा भाषण मुख्य रूप से सांप्रदायिक सद्भाव और साथ ही, हम सभी के विकास और प्रगति के लिए एक साथ रहने के प्रयास पर था. राजनीति में मेरे 16 साल के दौरान समावेशी विकास मेरा मूलमंत्र रहा है और मैं समावेशिता और विकास में विश्वास करता हूं. मैं राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय हित में भी विश्वास करता हूं.”

हालिया मतदाता सर्वेक्षण विवाद के बारे में, थरूर ने कहा कि उन्हें साफ तौर से नहीं पता कि ऐसे सर्वेक्षण कौन करता है. किसी ने इसे मुझे भेजा और मैंने जवाब में एक सैल्यूट किया. उन्होंने कहा, “मेरे पास कहने के लिए और कुछ नहीं है और मैंने कोई टिप्पणी नहीं की है और मैं कोई टिप्पणी नहीं कर रहा हूं.”

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