‘बाहर दरवाजे पर जड़ा ताला। ऊपर चारों ओर लगे मकड़ी के जाल। खुली खिड़कियों में से अंदर दिख रहा टूटा-फूटा और गंदा फर्श। फैली गंदी किताबें। कमरे के बीचों-बीच कुर्सी पड़ी है। कमरे में चारों ओर धूल जमा है।’
ये नरसिंहपुर जिले के करेली ब्लॉक का गोंडी धुबघट स्थित प्राइमरी स्कूल है। चर्चा इसलिए क्योंकि गांव वालों की मानें, तो इस स्कूल के रिकॉर्ड में एक भी बच्चा दर्ज नहीं है। यहां दो टीचर भी पदस्थ हैं। वे पिछले आठ साल में सिर्फ दो ही दिन राष्ट्रीय त्योहार पर आते हैं। बाकी दिन स्कूल में ताला पड़ा रहता है। उससे भी बड़ी बात है कि टीचर्स लगातार सरकार से सैलरी लेते रहे हैं।
इसका खुलासा तब हुआ, जब हाल में प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी सलीम खान ने स्कूल और टीचर्स की रिपोर्ट मंगवाई। करेली ब्लॉक में ऐसे चार प्राइमरी स्कूल मिले, जहां बच्चों की संख्या शून्य है। हर स्कूल में दो टीचर पदस्थ हैं। सभी आठ टीचर मुफ्त की तनख्वाह भी ले रहे हैं। अब प्रभारी डीईओ ने शिक्षामंत्री उदय प्रताप सिंह और विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है।
आसपास गंदगी, दीवार भी नहीं पुती डीईओ सलीम खान से जानकारी लेने के बाद दैनिक भास्कर की टीम जिला मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर गोंडी धुबघट स्थित प्राइमरी स्कूल पहुंची। एक गांव वाले ने स्कूल का पता बताया। गांव के बीचों-बीच प्राइमरी स्कूल का पुराना भवन है। सबसे पहले ऊपर गंदी सी दीवार पर स्कूल शिक्षा मिशन के साथ स्कूल का नाम लिखा दिखा।
कई साल से दीवार पोती नहीं गई है। दरवाजे पर ताला लटका है। जंग खाए ताले को देखकर लगा कि इसे कई महीनों से खोला ही नहीं गया। दरवाजों की भी सफाई नहीं की गई है। ऊपर मकड़ियों ने जाला बना लिया है। खिड़की से अदंर झांका, तो कमरे में किताबें जमीन पर फैली दिखीं। फर्श भी टूटा हुआ था। धूल जमा थी। कमरे की छत पर भी सफाई नहीं की गई थी। कमरे के बीचों-बीच एक कुर्सी भी दिखी। उस पर भी धूल थी।
इसके बाद आसपास देखा, तो पास ही बंद पड़ा टॉयलेट है। स्कूल भवन के आसपास गंदगी जमा है। टीम को देखकर गांव वाले भी इकट्ठा हो गए। कुछ महिलाएं भी थीं।
स्कूल में शिक्षक नहीं आते, इसलिए नरसिंहपुर में कराया एडमिशन गांव की ममता बाई जाट ने बताया कि स्कूल में दो टीचर तूल कुमार शर्मा और चंचल शर्मा पदस्थ हैं। दोनों सिर्फ 15 अगस्त और 26 जनवरी को स्कूल आते हैं। बाकी पूरे साल स्कूल में ताला डला रहता है। इस कारण गांव के बच्चों का एडमिशन नरसिंहपुर में करना पड़ा। हमें रोजाना बच्चों को छोड़ने और लेने जाना पड़ता है। रास्ता भी काफी खराब है। इससे आने-जाने में भी परेशानी होती है।
बुजुर्ग महिला रनवती बाई बताती हैं कि मेरी एक ही बेटी है। उसके दो बेटे हैं। गांव में स्कूल न खुलने के कारण उनको मजबूरन नरसिंहपुर शहर में ही किराए से रहना पड़ता है। अगर यहां स्कूल में पढ़ाई होती, तो बेटी गांव में ही रहती।
गांव के रहने वाले राव राजेंद्र सिंह ने बताया कि गांव के स्कूल शिक्षक नहीं आते। रास्ता भी खराब है। इस कारण गांव के कई बच्चों का शहर के स्कूलों में नाम लिखवा दिया है। अगर यही स्कूल अच्छे से खोलें और अच्छे से पढ़ाई हो, तो बच्चों को पढ़ने के लिए बाहर क्यों भेजा जाएगा।
बिना पढ़ाई रखरखाव पर खर्च अलग जिले के पिंडरई, सेहरा बड़ा, महेश्वर और गोंडी धुबघट में सरकारी स्कूलों के भवन जर्जर हैं। यहां कोई क्लास नहीं लगती। डीईओ के मुताबिक सबसे हैरानी की बात ये भी है कि हर महीने चारों स्कूलों का रखरखाव हो रहा है। वहीं, हर महीने एक लाख रुपए खर्च भी हो रहे हैं। जबकि किताबें धूल खा रही हैं। दीवारें गिरने के कगार पर हैं। यह राशि साल में करीब 50 लाख रुपए से ज्यादा होती है।
पिंडरई स्कूल में लगा गंदगी का अंबार यह शासकीय प्राथमिक शाला पिंडरई है, जो विकासखंड गोटेगांव के अंतर्गत आती है। दैनिक भास्कर की टीम जब स्कूल पहुंची तो स्कूल के बाहर गंदगी का अंबार लगा हुआ था, और अंदर बहुत सारा कचरा जमा हुआ था। यहां दो शिक्षक पदस्थ हैं। इनमें एक रज्जू लाल मेहरा और दूसरी नमीता राजपूत है।
स्कूल की दीवारों पर लिखे हुए नंबरों पर जब हमने फोन किया तो स्कूल के शिक्षक रज्जू लाल मेहरा ने बताया कि अगस्त 2024 में सिर्फ एक बच्ची का नामांकन हुआ था। संकुल प्राचार्य ने कहा कि बच्ची की टीसी देकर स्कूल को बंद कर आप गोहचर में अटैच हो जाइए। हालांकि मेरी वेतन पिंडरई के स्कूल से ही बनती है। वहीं, दूसरी शिक्षक नमिता राजपूत के बारे में बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि मैडम इमलिया के स्कूल में अटैच हो गई हैं।
प्रभारी डीईओ बोले- प्रदेशभर में ऐसे 495 स्कूल प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी सलीम खान ने बताया कि प्रभारी मंत्री के अनुमोदन पर शून्य नामांकन वाले स्कूलों से टीचर्स को दूसरे स्कूल में पदस्थ करने की बात कही गई थी। इसके बाद ये जानकारी निकलकर आई है। करीब एक साल की समयावधि में जीरो नामांकन हुए होंगे। इस साल 15 दिन पहले जब हमने अपडेट किया, तब यह जानकारी मिली। ये भी हो सकता है कि स्कूल बंद हो गए होंगे। एक, दो बच्चे होंगे तो शिक्षक इधर-उधर अटैच हो गए होंगे।
पहले 2.0 पोर्टल में सब अपडेट होता था। प्रदेशभर में जीरो नामांकन वाले कुल 495 स्कूल हैं, लेकिन हो सकता है 3.0 पोर्टल में डीपीआई भोपाल की टीम ने इन स्कूलों को मैप नहीं किया, जिस कारण यह विसंगति उत्पन्न हो रही है। हमने शिक्षामंत्री, आयुक्त भोपाल को ऐसे स्कूलों की जानकारी 3.0 पोर्टल में अपडेट करने के लिए दो बार पत्र लिखकर दिया है, वहां से भी काम किया जा रहा है।
करेली ब्लॉक के बीआरसी प्रमेंद्र सिंह जाट ने बताया कि शासकीय प्राथमिक शाला गोंडी धुवघट के शिक्षक चंचल शर्मा तो शायद स्कूल जाते ही नहीं हैं। वहीं, अतुल कुमार शर्मा कपूरी के स्कूल में अटैच हैं।