सुपौल: जिला शिक्षा पदाधिकारी संग्राम सिंह ने कहा कि यू डायस प्लस पोर्टल पर छात्र-शिक्षक संस्था की प्रोफाइल प्रविष्टि शिक्षा व्यवस्था का आधार है. यह कार्य जितना शीघ्र पूर्ण होगा, उतनी ही जल्दी योजनाओं का लाभ छात्रों तक पहुंचेगा. सभी स्कूलों के प्रधान को निर्देश है कि लापरवाही न करें, अन्यथा जिम्मेदारी तय की जाएगी.
दरअसल आपको बता दें कि यू डायस प्लस 2025-26 के तहत स्कूल, शिक्षक और छात्र प्रोफाइल की आनलाइन प्रविष्टि में जिले की स्थिति काफी कमजोर है. उसमें भी तब जब जिला शिक्षा पदाधिकारी संग्राम सिंह ने इसको लेकर कई बार विद्यालय प्रधान को स्मारित किया है.
इसके बावजूद प्रोफाइल अपलोड मामले में जिले का ग्राफ काफी लुढ़का है. जिला शिक्षा पदाधिकारी ने एक और मौका देते हुए एक सप्ताह के अंदर कार्य को पूरा करने को निर्देशित किया है. कहा है कि तय समय सीमा के अंदर इसे पूरा नहीं करने वाले के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी. डीईओ ने स्थिति पर गहरी नाराजगी जताते हुए सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों, लेखा सहायकों और डाटा एंट्री आपरेटरों को अल्टीमेटम जारी किया है. जिले में सरकारी और मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों की कुल संख्या 2210 है. इनमें से 2139 विद्यालयों ने अभी तक इस दिशा में काम भी करना शुरू नहीं किया है. टीचर प्रोफाइल सिर्फ 171 विद्यालयों ने ही अपलोड किया है. अपलोड करने मामले में सबसे अधिक राघोपुर व सरायगढ़ प्रखंड ने किया है. इस दोनों प्रखंड के 16-16 स्कूलों ने शिक्षक प्रोफाइल अपलोड कर दिया है. इस मामले में सबसे खराब स्थिति जिले के मरौना प्रखंड की है. इस प्रखंड से सिर्फ दो स्कूल ने ही टीचर प्रोफाइल अपलोड किया है. स्कूल प्रोफाइल अपलोड मामले में जिले की स्थिति इससे भी बदतर है अब तक महज 87 विद्यालयों ने ही प्रोफाइल को अपलोड किया है इसमें सबसे बेहतर स्थिति निर्मली प्रखंड की है.
इस प्रखंड के 29 विद्यालयों का प्रोफाइल अपलोड हो पाया है जबकि किशनपुर प्रखंड सबसे निचले पायदान पर है. इस प्रखंड के 6 स्कूलों का ही प्रोफाइल अपलोड हो पाया है. डीईओ ने बताया कि यह बेहद खेदजनक स्थिति है और सभी संबंधित विद्यालयों के प्रधान को निर्देश दिया गया है कि वे एक सप्ताह में अपने-अपने विद्यालयों का डाटा अपडेट करना सुनिश्चित करें.
शिक्षा विभाग की इस सक्रिय पहल का उद्देश्य बच्चों की सटीक शैक्षणिक स्थिति की डिजिटल मैपिंग करना है, जिससे योजना, संसाधन और गुणवत्ता आधारित निर्णय लिए जा सकें. अब देखना है कि डेडलाइन तक कितने विद्यालय इस लक्ष्य को हासिल कर पाते हैं.