उत्तर प्रदेश के आगरा में सामने आए धर्मांतरण गैंग की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. इस गैंग का संबंध आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से था और इसका संचालन इंटरनेशनल फंडिंग से हो रहा था. जांच एजेंसियों के मुताबिक, लश्कर से जुड़ी फंडिंग को यूएई, कनाडा, लंदन और अमेरिका के रूट से डायवर्ट कर भारत भेजा जाता था. इसी पैसे से देशभर में धर्मांतरण और लड़कियों का ब्रेनवाश करने का नेटवर्क खड़ा किया गया था.
गैंग की फाइनेंस गोवा की रहने वाली आयशा उर्फ एसबी कृष्णा थी, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. आयशा विदेश से आने वाली फंडिंग को देशभर में बांटने का काम करती थी. जांच में सामने आया है कि कनाडा में बैठा सैयद दाउद अहमद फंडिंग को डायरेक्ट भारत में आयशा के खातों में भेजता था. आयशा का पति शेखर राय उर्फ हसन अली कोलकाता में बैठकर काम करता था, वह गैंग का लीगल एडवाइजर था. वह भी अरेस्ट हो चुका है. वह धर्मांतरण से जुड़े कानूनी दस्तावेज तैयार करवाने और कागजी कार्रवाई पूरी करने का जिम्मा संभालता था.
इस नेटवर्क का सबसे खतरनाक चेहरा था अब्दुल रहमान कुरैशी, जो आगरा का रहने वाला है. कुरैशी यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया के जरिए नाबालिग लड़कियों का ब्रेनवाश करता था. इस्लामिक शिक्षा के नाम पर वह लड़कियों को कट्टरता की ओर ले जाता और फिर जिहादी विचारधारा से जोड़ता था. इसी गिरोह में कोलकाता से पकड़ा गया ओसामा भी अहम भूमिका निभाता था. दोनों मिलकर लड़कियों को मानसिक रूप से पूरी तरह तोड़ते और उनके परिजनों से दूरी बनाने के लिए उकसाते थे.
दिल्ली से गिरफ्तार किया गया मुस्तफा उर्फ मनोज इस नेटवर्क का लॉजिस्टिक मैनेजर था. वह लड़कियों के लिए फर्जी नाम-पते पर प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड का इंतजाम करता था, ताकि उनका लोकेशन ट्रेस न हो सके.
ब्रेनवाश की गई लड़कियों को पहले दिल्ली लाया जाता था और फिर बस के जरिए अगले ठिकानों तक पहुंचाया जाता था. ट्रेन का इस्तेमाल इसलिए नहीं किया जाता था, क्योंकि उसमें लोकेशन ट्रेस होने का खतरा रहता था. दिल्ली पहुंचने के बाद लड़कियों को उत्तर भारत के अन्य राज्यों में भेज दिया जाता था. पूरी गैंग का कामकाज आईएसआईएस के पैटर्न पर संचालित हो रहा था. एजेंसियों का दावा है कि इस नेटवर्क के जरिए देशभर में लव जिहाद और धर्मांतरण का जाल फैलाया गया. जांच एजेंसियां अब इस नेटवर्क के हर लिंक को खंगालने में जुटी हैं.