9 साल पहले सिहर उठी थी बरेली, पूर्व मंत्री के दामाद की होली पर हत्या, अब रिटायर्ड हवलदार समेत तीन को उम्रकैद

उत्तर प्रदेश के बरेली की अदालत ने 9 साल पुराने चर्चित राजपाल गंगवार हत्याकांड में अपना फैसला सुना दिया है. इस मामले में कोर्ट ने सेना से रिटायर्ड हवलदार सतेंद्र पाल सिंह उर्फ पिंटू राणा, उसके भाई रविंद्र पाल उर्फ रिंकू राणा और साले मंजीत सिंह उर्फ मोनू को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही तीनों दोषियों पर कुल 6.90 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है.

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यह मामला 24 मार्च 2016 को होली के दिन बरेली के प्रेमनगर थाना क्षेत्र के शास्त्री नगर मोहल्ले में से सामने आया था. घटना ने उस समय पूरे शहर को हिला दिया था. क्योंकि यह हत्या किसी मामूली व्यक्ति की नहीं, बल्कि तत्कालीन मंत्री भगवत सरन गंगवार के परिवार से जुड़े सदस्य की थी. दरअसल, 24 मार्च 2016 को दोपहर शास्त्री नगर में पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार के छोटे भाई योगेंद्र गंगवार के घर होली का उत्सव मनाया जा रहा था. परिवार और रिश्तेदार खुशी के माहौल में होली खेल रहे थे. योगेंद्र की भतीजी अपने पति राजपाल गंगवार के साथ वहां मौजूद थीं.

होली पर ऐसे शुरू हुआ था विवाद

इसी दौरान पड़ोस में रहने वाले सतेंद्र पाल सिंह के घर कुछ मेहमान आए हुए थे. जिन्होंने गली में गाड़ी खड़ी कर दी थी. इससे रास्ता बंद हो गया. जब योगेंद्र गंगवार ने गाड़ी हटाने के लिए कहा तो कहासुनी शुरू हो गई और देखते ही देखते ये कहासुनी विवाद में बदल गई. कुछ देर बाद दोपहर करीब साढ़े तीन बजे, सतेंद्र पाल सिंह अपने भाई रिंकू राणा और साले मोनू के साथ हथियारों से लैस होकर योगेंद्र के घर में घुस आया. सतेंद्र ने लाइसेंसी बंदूक से राजपाल गंगवार के पेट में गोली मार दी. वहीं रिंकू और मोनू ने तमंचों की बट से योगेंद्र के बेटे अभिनय और भाई तेजपाल पर हमला किया. अभिनय के हाथ में और तेजपाल के सिर में गंभीर चोटें आई थीं. राजपाल को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. इस घटना के बाद इलाके में दहशत का माहौल बन गया था.

लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद मिला इंसाफ

घटना के बाद प्रेमनगर थाने में हत्या, जानलेवा हमला और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया. इस केस की शुरुआती जांच प्रेमनगर के तत्कालीन थानाध्यक्ष देवेश सिंह ने की, जो अब सीओ के पद पर तैनात हैं. कोर्ट में इस केस की सुनवाई लगातार चली. अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी क्राइम राजेश्वरी गंगवार ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए सशक्त पैरवी की. कोर्ट में कुल 13 गवाह पेश किए गए, जिनमें पीड़ित परिवार के सदस्य योगेंद्र गंगवार, तेजपाल गंगवार, अभिनय गंगवार और अन्य चश्मदीद शामिल थे.

एसपी साउथ अंशिका वर्मा के निर्देशन में ऑपरेशन कन्विक्शन अभियान के तहत इस केस पर लगातार निगरानी रखी गई. कोर्ट में दस्तावेजी और मौखिक साक्ष्यों के आधार पर दोषियों की पहचान और सजा सुनिश्चित की गई. इसमें हेड कांस्टेबल देवराज सिंह, कोर्ट पैरोकार रश्मि और मॉनिटरिंग सेल के कांस्टेबल शिव कुमार की भी अहम भूमिका रही. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सप्तम तबरेज अहमद की अदालत ने तीनों आरोपियों को दोषी मानते हुए सश्रम उम्रकैद की सजा सुनाई और 6.90 लाख का जुर्माना भी लगाया.

देर से सही लेकिन न्याय जरूर मिलता है

अदालत के फैसले के बाद पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार ने संतोष जताते हुए कहा कि यह फैसला उनके परिवार के लिए तो राहत भरा है ही, साथ ही पूरे समाज को यह संदेश देता है कि अपराध कितना भी संगीन हो, कानून से कोई नहीं बच सकता. उन्होंने बताया कि उनके भतीजी के दो छोटे बच्चे हैं, जिनकी परवरिश करना और मानसिक रूप से उन्हें संभालना परिवार के लिए बहुत मुश्किल था. उन्होंने कहा, हमारा पूरा परिवार उस घटना के बाद टूट गया था. आज भी जब हम उस दिन को याद करते हैं, तो रूह कांप उठती है. लेकिन आज हम कह सकते हैं कि हमें न्याय मिला है.

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