इटावा पुलिस का बड़ा खुलासा: ऑनलाइन गेमिंग फ्रॉड से साइबर ठगी करने वाले अंतर्राज्यीय गिरोह का भंडाफोड़, 4 गिरफ्तार

 

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Uttar Pradesh: इटावा पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए ऑनलाइन गेमिंग फ्रॉड के माध्यम से साइबर ठगी को अंजाम देने वाले एक अंतर्राज्यीय गिरोह के चार सदस्यों को धर दबोचा है.

यह कार्रवाई कानपुर जोन के अपर पुलिस महानिदेशक और कानपुर परिक्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक के सटीक निर्देशन में की गई, जिसमें इटावा पुलिस की एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप), सर्विलांस टीम, साइबर क्राइम थाना और कोतवाली पुलिस ने संयुक्त रूप से मोर्चा संभाला। इस गिरफ्तारी से साइबर अपराध के एक जटिल जाल का पर्दाफाश हुआ है, जो न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी फैला हुआ था.

गिरफ्तार अभियुक्त और बरामदगी का ब्यौरा
गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों की पहचान यश प्रताप सिंह (25 वर्ष, निवासी सहतवार, बलिया), यश आर्या (25 वर्ष, निवासी हरि बिहार कॉलोनी, झांसी), हिमांशु शर्मा (23 वर्ष, निवासी मदाइन, बढ़पुरा, इटावा) और हिमांशु चौधरी (24 वर्ष, निवासी जगदीशपुर, अहमदगढ़, बुलंदशहर) के रूप में हुई है.

पुलिस ने इनके कब्जे से भारी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री बरामद की है, जिसमें 06 मोबाइल फोन (विभिन्न कंपनियों के), 01 पैन ड्राइव, 03 पासबुक (विभिन्न बैंकों की), 07 चेकबुक (विभिन्न बैंकों की), 02 आधार कार्ड, 13 एटीएम कार्ड (विभिन्न बैंकों के), 03 पैन कार्ड, 01 मेट्रो कार्ड, 01 ड्राइविंग लाइसेंस, 03 क्यूआर कोड (इंडियन बैंक के), 01 फर्म की मोहर (चौधरी एंटरप्राइजेज फर्म की), 01 मोटरसाइकिल (पैशन प्रो, UP 75 V 2695) और 01 कार (टाटा पंच, UP 93 BU 6453) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, एक इंडोनेशियाई सिम की बरामदगी ने इस गिरोह के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को और पुख्ता किया है। बरामद कार और मोटरसाइकिल को मोटर वाहन अधिनियम की धारा 207 के तहत जब्त कर लिया गया है.

धोखाधड़ी का जटिल तंत्र: कैसे फंसाते थे युवाओं को
पुलिस पूछताछ और जांच में इस गिरोह के धोखाधड़ी करने के जटिल तरीके का खुलासा हुआ है। अभियुक्तों ने बताया कि उन्हें बड़े पैमाने पर रुपयों के लेनदेन के लिए चालू खाते (करंट अकाउंट) की आवश्यकता होती थी। इस जरूरत को पूरा करने के लिए वे फर्जी फर्मों या लघु उद्योगों के नाम पर MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) सर्टिफिकेट बनवाते थे। इन सर्टिफिकेट के आधार पर वे विभिन्न बैंकों में फर्म के नाम से चालू खाते खुलवाते थे.

खाते खुल जाने के बाद, इन खातों की विस्तृत जानकारी टेलीग्राम ऐप और व्हाट्सएप के ‘पैनल ग्रुप्स’ पर साझा की जाती थी। इन ग्रुप्स में साझा किए गए प्रत्येक खाते में लगभग 01 करोड़ रुपये की धनराशि का अवैध ट्रांजेक्शन किया जाता था। इस बड़े पैमाने के लेनदेन के लिए, अभियुक्तों को 3 से 4 प्रतिशत का कमीशन मिलता था, जिसे वे आपस में बांट लेते थे.

ऑनलाइन गेमिंग और डिजिटल मनी लॉन्ड्रिंग का गठजोड़
यह गिरोह केवल सीधे-सादे लोगों को ठगने तक ही सीमित नहीं था, बल्कि वे ऑनलाइन गेमिंग फ्रॉड को वैध व्यवसाय के रूप में प्रस्तुत कर युवाओं को अपने जाल में फंसाते थे और डिजिटल मनी लॉन्ड्रिंग का काम करते थे। वे युवाओं को यह कहकर फुसलाते थे कि गेमिंग कंपनियों के माध्यम से उनके खातों में पैसा आएगा और उन्हें कमीशन मिलेगा। उन्हें बड़ी राशि के लेनदेन के आकर्षक स्क्रीनशॉट भेजकर भी लुभाया जाता था.

ठगी का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह था कि खाताधारकों से एक विशेष APK सॉफ्टवेयर डाउनलोड करवाया जाता था। इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से गिरोह खाताधारकों के बैंक खातों को पूरी तरह से रिमोट कंट्रोल से संचालित कर लेता था, जिससे वे अवैध लेनदेन को आसानी से अंजाम दे पाते थे।
अंतरराष्ट्रीय संबंध और आपराधिक मानसिकता की जड़ें
जांच में यह भी सामने आया है कि इस गिरोह के तार चीन, हांगकांग और इंडोनेशिया जैसे अन्य देशों के साइबर अपराधियों से जुड़े हुए थे। अभियुक्तों के मोबाइल फोन और डिजिटल उपकरणों से एक खाते में 100 करोड़ रुपये तक के लेनदेन कराने के लालच भरे मैसेज और चैट्स मिली हैं, जो इनके व्यापक नेटवर्क का प्रमाण है.

अभियुक्त हिमांशु चौधरी के बंधन बैंक के खाते की जांच से पता चला है कि 25.05.2025 से 28.05.2025 के बीच लगभग 80 लाख रुपये की धनराशि की साइबर ठगी की गई है। JMIS (जमीस) पोर्टल पर इस बैंक खाते के विरुद्ध नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग (NCRP) पर विभिन्न राज्यों (आंध्र प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, असम, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश) से कुल 32 शिकायतें दर्ज हैं, जो इस गिरोह द्वारा फैलाए गए ठगी के व्यापक दायरे को दर्शाती हैं.

पुलिस पूछताछ से यह भी पता चला कि सभी गिरफ्तार अभियुक्त देहरादून में NDA (राष्ट्रीय रक्षा अकादमी) की तैयारी के दौरान एक-दूसरे के संपर्क में आए थे। यहीं से उनकी आपराधिक मानसिकता ने एक संगठित रूप लेना शुरू किया। शॉर्टकट में अमीर बनने की चाहत ने उन्हें साइबर अपराध के इस दलदल में धकेल दिया.

कानूनी कार्रवाई और पुलिस की अपील
इस पूरे मामले में थाना कोतवाली पर मुकदमा अपराध संख्या 143/2025 धारा 316(2)/318(4)/3(5)/238 बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) और 66/66D आईटी एक्ट (सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम) के तहत मामला पंजीकृत किया गया है.

इटावा पुलिस ने जनता से विशेष अपील की है कि वे किसी भी लालच में आकर अपने बैंक खातों की जानकारी या एक्सेस किसी को भी न दें. साइबर फ्रॉड, साइबर ठगी अथवा किसी भी प्रकार का साइबर अपराध घटित होने पर तुरंत स्थानीय साइबर सेल, थाना साइबर क्राइम या राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें. यह सराहनीय कार्य करने वाली पुलिस टीमों को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक इटावा द्वारा 15,000/- रुपये की राशि से पुरस्कृत किया गया है.

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