आजादी के बाद भी श्योपुर के इस गांव को नहीं मिली पक्की सड़क,प्रशासन ने नहीं सुनी तो सीएम से लगाई गुहार

श्योपुर : जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर जैनी गांव का टपरा, बेहरामपुरा,और जवासा का टपरा माली बस्ती गांव के लोग सड़क सुविधा से वंचित हैं.जैनी गांव से लगे इन गांवों तक जाने के लिए सड़क तक नहीं है.यह समस्या विगत कई वर्षों से है.ग्रामीणों ने जगह-जगह सड़क के लिए कई बार गुहार लगाई.

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लेकिन किसी ने ध्यान तक नहीं दिया. ग्राम पंचायत सिरसौद से टोंगनी होते हुए लगभग 5 किलोमीटर तक ग्रामीणों को अपने पंचायत में जाने के लिए मुख्यपथ आज तक नहीं बना.लगभग 100 से ज्यादा घरों की आबादी है. हजारों की संख्या में इस अधिक लोग इस गांव में रहते हैं. इन ग्राम वासियों को अपने गांव से बाहर जाने के लिए पक्की सड़क तक नसीब नहीं हुई है.

 

 

गांव वासी आज भी पुराने कच्चे मार्ग से ही आना-जाना करते हैं गांव के बच्चे, बुजुर्ग, महिला पुरुष को यदि गांव से बाहर स्कूल, अस्पताल, प्रखंड मुख्यालय या कहीं भी जाना है तो इन ग्रामवासियों को गांव की किसी कच्ची सड़क से गुजरना होता है.बाकी मौसम में तो लोग किसी प्रकार से निस्तार कर लेते हैं। लेकिन बारिश के मौसम में इस कच्चे रास्ते से निकलना मुमकिन ही नहीं नामुमकिन होता है.

 

 

5 किलोमीटर तक कच्चे रास्ते में जगह-जगह पानी कीचड़, गड्ढे से चलना आसान नहीं रहता.मिली जानकारी के अनुसार पंचायत से सौरसोद टोंगनी मार्ग तक जाने वाले रास्ते आज भी कच्चे है.कई वर्षों से लोगों की मांग सड़क सुधार को लेकर रही है पर ग्रामीणों की तकलीफों से मानो प्रशासन और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को कोई सरोकार ही ना हो.

ग्रामीणों ने सड़क निर्माण कार्य के लिए प्रशासन को आवेदन दिया 

सिरसौद से टोंगनी मुख्यपथ के लिए ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को कई बार आवेदन दे चुके है। जबकि इस मार्ग में कोई अड़चन नही है.फिर भी आज तक इस पथ के लिए स्वीकृति नही मिली.ग्रामीण राजू ने बताया कि सड़क कई वर्षों से कच्ची है। इस सड़क के निर्माण को लेकर कई बार सरकार और अधिकारियों से गुहार लगाया गया.

 

 

लेकिन कोई समाधान नही निकला.मुख्यालय जाने के लिए या कहीं भी जाने के लिए इन्हें 5 किलोमीटर का कच्चा रास्ता तय करना होता है.उसके बाद मुख्य सड़क आती है। लेकिन इस 5 किलोमीटर सड़क का निर्माण आज तक नहीं होने से ग्रामवासियों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है.ग्रामीण हनुमान सुमन, रामस्वरूप माली, रामनिवास सुमन, पप्पू लाल, चंपाराम, जीतू सुमन, रामसिंह माली बताया कि सबसे अधिक समस्या बारिश में होती है बारिश में पूरा रास्ता दलदल युक्त हो जाता है.

 

जहां से पैदल निकलना भी मुश्किल है.पूरे कच्चे रास्ते में गड्ढे पानी का भराव मिट्टी के कारण निकलना आसान नहीं होता वही जरूरत पड़ने पर कोई आपात स्थिति निर्मित हो जाए तो साइकिल एक दो पहिया वाहन ही नहीं बल्कि चार पहिया वाहन भी नहीं आ जा पाते वाहन के पहिए मिट्टी में धंस जाते गर्भवती महिलाओं को सबसे अधिक समस्या होती है.

 

बारिश में आना जाना ग्रामीणों के लिए दुर्लभ

ग्रामीण हनुमान सुमन, रामस्वरूप माली, रामनिवास सुमन, पप्पू लाल, चंपाराम, जीतू सुमन, रामसिंह माली,सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया बारिश में मार्ग की हालत इतनी खराब हो जाती है कि लोग अपना जरूरी काम करने के लिए भी गांव से बाहर नहीं जा पा रहे। यहां के ग्रामीणों की यह समस्या कोई आज की नहीं है बल्कि वर्षों की है एक तरफ तो प्रशासन और जनप्रतिनिधि जिले में सड़क विकास का ढिंढोरा पीट रहे हैं और दूसरी ओर प्रखंड मुख्यालय के नजदीक ग्रामीणों को चलने के लिए सड़क तक नसीब नहीं है.

 

कीचड़ से लथपथ होकर जाना पड़ता है स्कूलः

 

जैनी और आसपास के इलाकों समेत श्योपुर के स्कूल जाने वाले छात्रों को गांव की सड़क नहीं बनने से बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.यह समस्या आज की नहीं करीब कई वर्ष पहले से है। लोग अपने जीवन के लिए छोटी-छोटी जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पा रहे.क्योंकि उन सभी का गांव से बाहर निकलना मुश्किल सा हो गया है। इस सड़क के लिए कई क्षेत्रीय विधायक से गुहार लगाया गया है.

 

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