5 दिन के मॉनसून सत्र से तय हो जाएगा बिहार का चुनावी एजेंडा, जानिए तेजस्वी-नीतीश और बीजेपी का प्लान

बिहार विधानमंडल का मॉनसून सत्र सोमवार (21 जुलाई) से शुरू हो रहा है और शुक्रवार तक (25 जुलाई) चलेगा. यह 17वीं विधानसभा का अंतिम सत्र होगा. इसके बाद सीधे विधानसभा चुनाव होने है, जिसके चलते सत्र हंगामेदार होने के आसार है. विधानमंडल का सत्र छोटा जरूर है, लेकिन बिहार चुनाव के लिहाज से काफी अहम है. पांच दिनों के मॉनसून सत्र के जरिए सत्तापक्ष-विपक्ष दोनों चुनावी एजेंडा सेट करते नजर आएंगे और अपनी राजनीतिक धार देने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.

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सीएम नीतीश कुमार के अगुवाई वाले एनडीए सरकार अनुपूरक बजट पेश करेगी. इसके अलावा कई अहम बिलों को पास कराकर बिहार चुनाव की सियासी बाजी अपने नाम करने की कवायद करेगी. वहीं, तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाला महागठबंधन ने नीतीश सरकार को बिहार के लॉ एंड ऑर्डर, बिजली, वोटर लिस्ट सहित कई मुद्दों पर घेरने की रणनीति बनाई है.

बिहार में पांच दिन का मॉनसून सत्र
बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश के बीच विधानमंडल का मॉनसून सत्र शुरू हो रहा है, जो पांच दिनों तक चलेगा. इस दौरान नीतीश सरकार 12 अहम विधेयक पेश करेंगी, जिनमें 4 मूल और 8 संशोधन विधेयक शामिल हैं. इस दौरान कुल 5 बैठकें होंगी. पहले दिन स्पीकर नंदकिशोर यादव के संबोधन के बाद नीतीश सरकार की ओर से अनुपूरक बजट पेश होगा. इसके साथ राज्यपाल की ओर से स्वीकृत क्रयादेशों और विभिन्न समितियों की रिपोर्टे्स सदन के पटल पर रखी जाएंगी. विधानसभा अध्यक्ष के अभिभाषण के बाद विपक्ष के आक्रामक तेवर को देखते हुए सदन की कार्रवाई स्थागित कर दी गई है.

मॉनसून सत्र के दौरान कार्यमंत्रणा समिति का गठन और अध्यासी सदस्यों की घोषणा भी की जाएगी और विभिन्न समितियों की रिपोर्टें भी इसी दिन प्रस्तुत की जाएंगी. 22 और 23 जुलाई को विभिन्न विभागों से जुड़े विधेयक सदन में रखे जाएंगे. इसके अलावा जो भी राजकीय कार्य होंगे, उसे भी नीतीश सरकार निपटाएगी. इस बार 7 से 8 विधेयक पेश किए जाएंगे. वहीं, इस दौरान विपक्ष सदन से लेकर सड़क तक बिहार की कानून व्यवस्था से लेकर तमाम मुद्दों पर विरोध करता हुआ नजर आएगा.

सदन से क्या तय होगा सत्ता का रास्ता
बिहार के विधानमंडल के मॉनसून सत्र के साथ संसद का भी मॉनसून सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है. केंद्र में मोदी सरकार राष्ट्रीय मुद्दों के जरिए बिहार के सियासी समीकरण साधने की कवायद करेगी तो बिहार विधानमंडल के मॉनसून सत्र के जरिए नीतीश कुमार के अगुवाई वाली एनडीए की सरकार पिछले दिनों कैबिनेट के जरिए कई अहम फैसले लिए हैं, जिन्हें विधानमंडल के जरिए कानूनी अमलीजामा पहनाने की कवायद कर सकती है.

नीतीश कुमार की अगुवाई वाली के सरकार द्वारा मॉनसून सत्र में लाए जा रहे विधेयकों में जननायक कर्पूरी ठाकुर कौशल विश्वविद्यालय विधेयक 2025 सबसे प्रमुख है. इस विधेयक के माध्यम से बिहार में पहला कौशल विश्वविद्यालय स्थापित होगा, जो सीएम नीतीश कुमार के एक करोड़ युवाओं को रोजगार देने के ड्रीम योजना को बल देगा. इस तरह से नीतीश कुमार विपक्षी के एजेंडे को काउंटर करने और बिहार के युवाओं का दिल जीतने का दांव माना जा रहा है.

सीएम नीतीश कुमार बिहार में स्वीगी, जोमैटो जैसे प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले अंशकालिक (गीग) कामगारों के हितों की रक्षा के लिए विशेष विधेयक ला रही है. साथ ही छोटे दुकानों में कार्यरत कामगारों की सेवा शर्तों को भी कानूनी दायरे में लाया जाएगा. बिहार में भूमि सुधार विभाग से जुड़े तीन विधेयक भी मॉनसून सत्र में पेश होंगे. इनमें प्रमंडल स्तर पर अपीलीय प्राधिकरण की स्थापना, शहरी क्षेत्रों में विशेष भूमि सर्वेक्षण और कृषि भूमि के अन्य उपयोग के नियमों को स्पष्ट किया जाएगा.

मोदी-नीतीश के नाम और काम
एनडीए ने बिहार का विधानसभा चुनाव पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार के काम और नाम पर लड़ने की स्ट्रैटेजी बनाई है. इसीलिए चुनाव से पहले ही साफ कर दिया है कि 2025 में एनडीए गठबंधन का सीएम चेहरा नीतीश कुमार होंगे. इस तरह से बिहार में सीएम नीतीश कुमार के चेहरे के साथ-साथ उनके सरकार के दौरान किए गए कामों को लेकर चुनाव लड़ने का प्लान बनाया है. इसके अलावा एनडीए का सबसे बड़ा लोकप्रिय चेहरा पीएम मोदी माने जाते हैं. बीजेपी ही नहीं एनडीए के सभी घटक दलों ने तय किया है कि बिहार चुनाव पीएम मोदी के नाम और काम पर लड़ेंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के बाद से बिहार पर खास फोकस कर रखा है. एक के बाद एक छह दौरे पीएम मोदी कर चुके हैं और विकास की सौगात देने के साथ-साथ सियासी माहौल बनाने का दांव चल रहे हैं. मॉनसून सत्र के दौरान पीएम मोदी संसद से सियासी संदेश देते हुए नजर आएंगे तो नीतीश कुमार विधानमंडल के जरिए सियासी एजेंडा सेट करेंगे ताकि विधानसभा चुनाव की सियासी जंग को आसानी से फतह की जा सके.

सदन में विपक्षी दिखाएगी सख्त तेवर
बिहार विधानमंडल का हो या फिर संसद का मॉनसून सत्र हंगामेदार होने के आसार हैं. तेजस्वी यादव के अगुवाई में विपक्ष ने नीतीश सरकार को राज्य के लॉ एंड ऑर्डर, बिजली, वोटर लिस्ट सहित कई मुद्दों पर घेरने की पूरी तैयारी की हैय विपक्ष मतदाता सत्यापन और विधि-व्यवस्था को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी में है. इस तरह विधानसभा सदन के जरिए सड़क तक सियासी माहौल बनाने की स्टैटेजी विपक्षी

बिहार में लगातार हो रही आपराधिक घटनाओं को विपक्ष इस बार बड़ा मुद्दा बनाएगा, जिस पर तेजस्वी यादव पहले ही अपने तेवर सख्त कर रखे हैं. इस तरह से विपक्ष की रणनीति है कि नीतीश कुमार के सुशासन वाली छवि को कठघरे में खड़े करने की रणनीति है. कानून-व्यवस्था के साथ विशेष मतदाता पुनरीक्षण को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है. इसकी गूंज सदन से सड़क तक दिखाई और सुनाई पड़ सकती है, क्योंकि मॉनसून सत्र के बाद विधानसभा चुनाव होने है. इस तरह से विपक्षी की रणनीति सरकार के फेल बताने की है.

मॉनसून सत्र क्यों सियासी तौर पर अहम?
राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो बिहार का मॉनसून सत्र महत्वपूर्ण होने वाला है, क्योंकि 17वीं विधानसभा का यह अंतिम सत्र है. इसके बाद सभी विधायकों को चुनाव में जाना है, इसलिए सभी की कोशिश होगी कि यह अंतिम सत्र उनके क्षेत्र की जनता के बीच एक मैसेज जाए. अंतिम सत्र के कारण एनडीए की तरफ से एकजुटता दिखाने की कोशिश होगी तो दूसरी तरफ महागठबंधन की तरफ से भी ताकत दिखाने की कोशिश होगी.

प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष तजेस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन के घटक दलों के सभी नेता जनहित के मुद्दे के साथ सदन में मजबूती के साथ आएंगे और सरकार से सवाल पूछेंगे. कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार और एसआईआर जैसे अहम मुद्दे सदन में उठाए जाएंगे और सरकार से जवाब मांगा जाएगा.बिहार में सरकार फेल हो चुकी है.

वहीं, जेडीयू विधायक अजय चौधरी का कहना है कि हम सदन में बहस के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. वहीं ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार का कहना है कि सरकार तो हर बार तैयारी करती है. विपक्ष की तरफ से जो भी सवाल लाए जाते हैं, उसका जवाब दिया जाता है. नीतीश सरकार की तरफ से पूरी तैयार है और विपक्ष के हर सवाल का जवाब देगी लेकिन नेता प्रतिपक्ष जिस तरह अनर्गल आरोप लगाते हैं तो मिथिला में कहावत है दूध भात हम लोग उनकी बात को दूध भात ही मानते हैं.

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