Madhya Pradesh: रीवा से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित देवतालाब गांव में सावन के दूसरे सोमवार पर अद्भुत श्रद्धा और आस्था का नज़ारा देखने को मिला. यहां स्थित देवतालाब शिव मंदिर, जिसे श्रृंगेश्वरनाथ के नाम से भी जाना जाता है, में करीब 50 हजार श्रद्धालु जलाभिषेक करने पहुंचे.
इस प्राचीन मंदिर को लेकर मान्यता है कि इसे भगवान विश्वकर्मा ने एक ही रात में विशाल चट्टान को काटकर निर्मित किया था. यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है. कहा जाता है कि त्रेता युग में ऋषि श्रृंगी और महर्षि मार्कण्डेय ने यहां कठोर तपस्या की थी. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने स्वयं प्रकट होकर इस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की थी. इसी कारण इस शिवलिंग को ‘श्रृंगेश्वरनाथ’ नाम मिला, जो श्रद्धालुओं के बीच अत्यंत पूजनीय है.
इस शिवलिंग की एक खास बात यह है कि इसका रंग समय-समय पर बदलता रहता है, जिसे भक्त चमत्कार के रूप में देखते हैं. मंदिर के पुजारी का कहना है कि शिवलिंग का रंग बदलना दिव्य संकेत है, और यही बात भक्तों को बार-बार यहां खींच लाती है.
मंदिर के नीचे एक रहस्यमयी तहखाना भी है, जिसे अब बंद कर दिया गया है. स्थानीय जनश्रुति के अनुसार, यहां नागों और एक चमत्कारी मणि की रक्षा होती है। पहले यहां अक्सर सांप निकलने की घटनाएं देखी जाती थीं, जिससे यह स्थान और भी रहस्यमयी बन गया.
भक्तों का यह भी मानना है कि देवतालाब का महत्व रामेश्वरम के समान है. ऐसी मान्यता है कि जब तक गंगोत्री से लाया गया पवित्र जल इस शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता, तब तक चारधाम यात्रा अधूरी मानी जाती है.
सावन के इस पावन अवसर पर देवतालाब शिव मंदिर में उमड़ी श्रद्धा की यह अद्वितीय छवि, मध्य प्रदेश की धार्मिक विरासत और लोगों की अपार आस्था का प्रमाण है.